नोन-आरएएस अफसरों के आई.ए.एस. बनने की बाधा हुई दूर
हाई कोर्ट ने आरएएस एसोसिएशन की याचिका खारिज कर, पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया
जयपुर, 5 दिसम्बर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद (RAS Association) की ओर से दाखिल, उस याचिका को निरस्त कर दिया है, जिसमें नोन-आरएएस सर्विस (Non-RAS) से आई.ए.एस. (IAS) बनाये जाने पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की दो सदस्यीय खंडपीठ ने आरएएस एसोसिएशन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया, यह कहते हुए कि इस प्रकार की याचिका व्यक्तिगत हित के लिए लगायी गयी, जिससे अदालत का समय बर्बाद किया गया। उच्च न्यायालय के इस फैसले से नोन-आरएएस अफसरों को आईएएस बनाये जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। कोर्ट में याचिका लम्बित होने के कारण, नोन-आरएएस अधिकारियों के आईएएस पद पर प्रमोशन नहीं हो पा रहे थे, अब यह रोक भी हट गयी है।
अदालत में सरकार का पक्ष प्रस्तुत करते हुए, अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा कि नियमों में नोन-आरएएस अफसरों को आईएएस बनाये जाने का प्रावधान है। नियमों में स्पष्ट है कि सरकार, पदोन्नति के 15 प्रतिशत पदों पर अन्य राज्य सेवाओं के अफसरों को भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्नत कर सकती है। अब तक, इस प्रकार हुए किसी भी प्रमोशन में सरकार की ओर से नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया। शाह ने अदालत को यह भी बताया कि नोन-आरएएस से आईएएस में प्रमोट किये जाने के लिए प्रक्रिया निर्धारित है और अन्य राज्य सेवाओं के विशेषज्ञ अफसरों को ही ऐसा अवसर दिया जाता है।
यह याचिका राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद की ओर से अदालत में पेश की गयी थी। इसमें यह तर्क दिया गया कि राज्य सरकार केवल विशेष परिस्थितियों में ही अन्य राज्य सेवा के अफसरों को आईएएस में प्रमोट कर सकती है। सरकार के पास पर्याप्त संख्या में राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी उपलब्ध हैं, फिर भी सरकार, अन्य राज्य सेवा के अधिकारियों की पदोन्नति की अनुशंसा, यूपीएससी को भेज रही है।