नई दिल्ली, 6 जनवरी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री बीएस येडियुरप्पा के खिलाफ भूमि की अधिसूचना को अवैध रूप से रद्द करने के मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया। ये दूसरी बार है जब कोर्ट ने एक पखवाड़े के भीतर बीएस येडियुरप्पा की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने मुख्यमंत्री पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। येडियुरप्पा की ओर से मंगलवार को याचिका दायर किए जाने के बाद जस्टिस जॉन माइकल कुन्हा ने इसे खारिज करते हुए लोकायुक्तको मामले में जांच जारी रखने का निर्देश दिया।
भूमि की अधिसूचना को अवैध रूप से रद्द करने के एक अन्य मामले में 23 दिसंबर को भी कोर्ट ने बीएस येडियुरप्पा की याचिका खारिज कर दी थी। ये मामला गंगेनाहल्ली में 1.11 एकड़ भूमि की अधिसूचना को अवैध रूप से रद्द करने से जुड़ा है। ये भूमि आरटीनगर में मातादहल्ली प्लान का हिस्सा है। दरअसल बेंगलुरु के एक आरटीआई कार्यकर्ता जय कुमार हीरेमठ ने 20215 में मातादहल्ली मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद लोकायुक्तपुलिस ने येडियुरप्पा और जनता दल (सेक्युलर) के नेता एचडी कुमारास्वामी के नाम पर एफआईआर दर्ज की थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि येडियुरप्पा ने अवैध रूप से पॉश इलाके आरटी नगर के पास मातादहल्ली में 1.1 एकड़ जमीन की अवैध रूप से अधिसूचना रद्द कर दी थी।
20 दिन में जमीन कुमारास्वामी की सास के नाम ट्रांसफर हो गई
1976-77 में कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु विकास प्राधिकरण के लिए भूमि अधिग्रहण किया था और 1988 में जमीन को कब्जे में ले लिया था। बाद में राजशेखरैया ने दावा किया था कि सम्पत्ति उनसे सम्बंधित थी और उन्होंने कोर्ट के जरिए इस केस में जीत भी हासिल की थी। उन्होंने सरकार से भूमि की अधिसूचना को रद्द करने का आग्रह किया था, जिसके बाद 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कुमारास्वामी के निर्देश पर कथित रूप से यह फाइल सामने आई थी। साल 2010 में बीएस येडियुरप्पा मुख्यमंत्री बने और उन्होंने जमीन की अधिसूचना रद्द कर दी। इसके बाद सारी जमीन 20 दिनों के अंदर ही कुमारास्वामी की सास विमला को एक वकील के माध्यम से ट्रांसफर कर दी गई।