नई दिल्ली, 4 दिसंबर। मोदी सरकार की आंख की किरकिरी बने किसान आंदोलन को समाप्त करवाने के लिए अब अदालत के हथियार का इस्तेमाल किया जायेगा। कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर सर्दी की ठिठुरन के बीच दिल्ली के आसपास खुले आसमान के नीचे के बैठे किसानों की आवाज को दबाने के लिए कोरोना संक्रमण और यातायात असुविधा की आड़ लेकर उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है।
नियत स्थान पर शिफ्ट करने का अनुरोध
ऋषभ शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली एनसीआर में कोरोनावायरस के बढ़ते खतरे के मद्देनजर किसानों के प्रदर्शन को समाप्त करवाने का अनुरोध किया गया है। याचिका में दिल्ली के सभी बॉर्डर को खोलने और प्रदर्शनकारियों को उपलब्ध करवाए गये स्थान पर शिफ्ट करने के लिए सम्बंधित ऑथारिटी को निर्देश देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि 26 नवंबर को दिल्ली पुलिस ने किसानों को बुराड़ी निरंकारी मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन की इजाजत दी थी, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया।
कोरोना के सामुदायिक संक्रमण का खतरा बताया
याचिका में कहा गया है कि किसानों के इतनी बड़ी संख्या में जमा होने से कोरोना के सामुदायिक प्रसार का खतरा बढ़ गया है, इसलिए इनको तुरंत हटाया जाना चाहिए। याचिका में कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों ने सड़क बंद कर दिया है जिससे आपातकालीन और चिकित्सा सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। याचिका में कहा गया है कि धरना-प्रदर्शन के चलते दिल्ली में बड़े सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए आने वाले लोगों को दिक्कत हो रही है।