नई दिल्ली, 29 अक्टूबर। भारत सरकार ने सोशल मीडिया साइट्स को जवाबदेह बनाने की शुरूआत कर दी है। फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम सहित अन्य की सोशल मीडिया साइट्स की अभी तक केवल यह जिम्मेदारी थी कि हानिकारक या गैरकानूनी सामग्री की कुछ श्रेणियों को अपलोड नहीं करने के बारे में उन्होंने यूजर्स को सूचित कर दिया है। लेकिन, अब इन सोशल साइट्स की जिम्मेदारी बढ़ा दी गई है। उन्हें अब यूजर्स को ऐसी सामग्री अपलोड करने से रोकने के उचित प्रयास भी करने होंगे। इसके लिए उन्हें कानूनी दायित्व सौंपे गए हैं। इसके लिए भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 में संशोधन को 28 अक्टूबर, 2022 को अधिसूचित कर दिया है।
खुले, सुरक्षित और भरोसेमंद तथा जवाबदेह इंटरनेट पर बल देते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से इन संशोधनों को अधिसूचित किया है। यह ड्यू डिलिजेंस की आवश्यकता को भी बढ़ाते हैं और सोशल मीडिया व अन्य मध्यवर्तियों की जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं। उपयोगकर्ता की ओर से की गई आपत्तिजनक सामग्री या उनके खातों के निलम्बन से सम्बंधित शिकायतों के बारे में मध्यवर्तियों की कार्रवाई/निष्क्रियता के सम्बंध में शिकायत की पृष्ठभूमि के बारे में इन संशोधन को अधिसूचित किया गया है।
आपत्तिजनक सामग्री को अपलोड करने से रोकना होगा
मध्यवर्तियों से अब यह सुनिश्चित करने की अपेक्षा होगी कि ऐसी किसी सामग्री को अपलोड नहीं किया जा रहा है जो जानबूझकर किसी भी गलत सूचना या जानकारी का प्रसार करती है जो कि पूरी तरह से गलत या असत्य है, इसलिए मध्यवर्तियों को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। नियमों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि मध्यवर्ती भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के अंतर्गत भारतीय नागरिकों को प्रदत्त अधिकारों का सम्मान करें।
इंटरनेट को नागरिकों के लिए सुरक्षित एवं भरोसेमंद बनाने की कवायद
नए नियमों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि ये संशोधन यह सुनिश्चित करने के लिए किए गए हैं कि इंटरनेट हमारे डिजिटल नागरिकों के लिए खुला, सुरक्षित भरोसेमंद तथा जवाबदेह है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय द्वारा सभी हितधारकों को शामिल कर विस्तृत सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया का पालन करने के बाद संशोधन को अधिसूचित किया गया है।
इंटरनेट को सुरक्षित और भरोसेमंद रखने के समान लक्ष्य को हासिल करने के लिए मध्यवर्तियों के साथ काम करने के सरकार के विज़न और इरादे को साझा करते हुए राजीव चंद्रशेखर ने इस बात की पुष्टि की कि “ये नियम सभी भारतीयों के लिए हमारे इंटरनेट को सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने तथा बरकरार रखने में सरकार और मध्यवर्तियों के बीच नई साझेदारी को चिह्नित करते हैं।”
“संशोधित नियम मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद हैं और यहां उपलब्ध हैं:
https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/239919.pdf
नियमों में प्रभावी किए गए प्रमुख परिवर्तन
(ए) वर्तमान में, मध्यवर्तियों को केवल हानिकारक/गैरकानूनी सामग्री की कुछ श्रेणियों को अपलोड नहीं करने के बारे में उपयोगकर्ताओं को सूचित करना होता है। ये संशोधन मध्यवर्तियों को उपयोगकर्ताओं को ऐसी सामग्री अपलोड करने से रोकने के उचित प्रयास करने का कानूनी दायित्व सौंपते हैं। नया प्रावधान यह सुनिश्चित करेगा कि मध्यवर्ती का दायित्व केवल औपचारिकता भर नहीं रहे।
(बी) मध्यवर्ती के नियमों और विनियमों के संबंध में प्रभावी सूचना देने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि सूचना क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं में भी दी जाए।
मानहानिकारक और अपमानजनक शब्दों को हटाकर युक्तिसंगत बनाया
(सी) नियम 3(1) (बी)(ii) के आधार को ‘मानहानिकारक’ और ‘अपमानजनक’ शब्दों को हटाकर युक्तिसंगत बनाया गया है। कोई सामग्री मानहानिकारक या अपमानजनक है या नहीं, यह न्यायिक समीक्षा के माध्यम से निर्धारित किया जाएगा।
(डी) नियम 3 (1) (बी) में कुछ सामग्री श्रेणियों को विशेष रूप से गलत सूचना, और ऐसी सामग्री जो विभिन्न धार्मिक/जाति समूहों के बीच हिंसा को उकसा सकती है, से निपटने के लिए अलग ढंग से व्यक्त किया गया है।
(ई) संशोधन में मध्यवर्तियों को संविधान के तहत उपयोगकर्ताओं को प्रदत्त अधिकारों का सम्मान करने की आवश्यकता बतायी गई है, जिनमें ड्यू डिलिजेंस, निजता और पारदर्शिता की उचित अपेक्षा किया जाना शामिल है।
शिकायत अपील समिति की स्थापना होगी
(एफ) मध्यवर्तियों की निष्क्रियता या उपयोगकर्ता की शिकायत पर उनके द्वारा लिए गए निर्णयों के खिलाफ अपील करने के लिए शिकायत अपील समिति की स्थापना की जाएगी। हालांकि किसी भी समाधान के लिए उपयोगकर्ताओं को अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार होगा।