नई दिल्ली, 26 अप्रेल। देश में नर्सिंग कार्यबल को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2014 से स्थापित मौजूदा मेडिकल कॉलेजों के साथ सह-अवस्थिति में 157 नए नर्सिंग कॉलेज की स्थापना की मंजूरी दी है। इस कदम से, हर साल लगभग 15,700 नर्सिंग स्नातक कार्यबल में और जुड़ेंगे। यह भारत में, विशेष रूप से इस सुविधा से वंचित जिलों और राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में गुणवत्तापूर्ण, किफायती और न्यायसंगत नर्सिंग शिक्षा सुनिश्चित करेगा। कुल वित्तीय लागत 1,570 करोड़ रुपये होगी।
इस पहल का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भौगोलिक और ग्रामीण-शहरी असंतुलन को दूर करना है, जिसके कारण नर्सिंग पेशेवरों की उपलब्धता में कमी आती है और इस सुविधा से वंचित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा प्रभावित होतीं हैं। इन नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में योग्य मानव संसाधनों की उपलब्धता को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा।
मेडिकल कॉलेज के उपकरणों का यथोपयोग सम्भव होगा
सरकार का मानना है कि मौजूदा मेडिकल कॉलेजों के साथ इन नर्सिंग कॉलेजों की सह-अवस्थिति से मौजूदा अवसंरचना, कौशल प्रयोगशालाओं, नैदानिक सुविधाओं और संकाय का अधिकतम उपयोग हो सकेगा। इस पहल से नर्सिंग छात्रों को बेहतर नैदानिक अनुभव मिलने की उम्मीद है और इसके परिणामस्वरूप मेडिकल कॉलेजों में रोगियों के लिए बेहतर देखभाल और सेवा सुविधा सुनिश्चित होगी। इन नर्सिंग कॉलेजों में हरित प्रौद्योगिकियों के उपयोग का भी पता लगाया जाएगा तथा इन्हें ऊर्जा दक्षता और कार्बन फुटप्रिंट में कमी सुनिश्चित करने के लिए प्रासंगिकता के अनुसार अपनाया जाएगा।
मेडिकल कॉलेज और एमबीबीएस की सीटों में निरंतर वृद्धि
सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में वृद्धि की है और एमबीबीएस की सीटों में भी वृद्धि की है। मेडिकल कॉलेजों की संख्या 2014 से पहले 387 थी, लगभग 71 प्रतिशत की वृद्धि के साथ अब इनकी संख्या 660 हो गयी है। इसके अलावा, एमबीबीएस सीटों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है और स्नातकोत्तर सीटें 2013-14 की तुलना में दोगुनी से भी अधिक हो गई हैं।