अपराध सिद्ध होने पर पति को होगी तीन साल की सजा
नई दिल्ली, 30 जुलाई। राज्यसभा ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने के प्रावधान वाले एक ऐतिहासिक विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को राज्यसभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
विधेयक पारित होने से पहले ही जदयू एवं अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने इससे विरोध जताते हुए सदन से बहिर्गमन किया। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एक प्रसिद्ध न्यायाधीश आमिर अली ने 1908 में एक किताब लिखी है। इसके अनुसार तलाक ए बिद्दत का पैगंबर मोहम्मद ने भी विरोध किया है।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 बहस और पारित करने के लिए ऊपरी सदन में पेश किया गया। इस दौरान कानून मंत्री ने कहा कि कई इस्लामिक देशों में इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मगर, भारत ने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने के बावजूद ऐसा नहीं किया।
बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने वाला प्रस्ताव गिरा
इससे पहले उच्च सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के विपक्षी सदस्यों द्वारा लाये गये प्रस्ताव को 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज कर दिया। विधेयक पर लाये गये कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के एक संशोधन को सदन ने 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज कर दिया।
लोकसभा में पारित हो चुका है बिल
इससे पहले यह विधेयक लोकसभा में पारित किया गया था। विधेयक में मुस्लिम समुदाय में तत्काल तलाक देने के मामले में पुरुषों के लिए सजा का प्रावधान रखा गया है। इसी प्रावधान को लेकर विपक्षी दलों और मुस्लिम समाज के एक हिस्से को आपत्ति रही है।