सहकारिता

सहकारी समिति कर्मचारियों के आंदोलन का असर, सहकारिता विभाग ने तीनों संगठनों के प्रदेश अध्यक्षों को वार्ता के लिए बुलाया

जयपुर, 26 सितम्बर (मुखपत्र)। राजस्थान सहकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, जयपुर के आह्वान पर 23 सितम्बर से आरंभ हुए ग्राम सेवा सहकारी समितियां (PACS) कार्मिकों के आंदोलन का असर दिखाई देने लगा है। अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार के पहले दो चरणों में सहकार कर्मियों ने जबरदस्त एकता का परिचय दिया, जिसे देखते हुए सहकारिता विभाग ने संयुक्त संघर्ष समिति के तीनों संयोजकों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया है।

प्रधान कार्यालय (रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां) के अतिरिक्त रजिस्ट्रार (मासवि) भोमाराम की ओर से राजस्थान सहकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, जयपुर के संयोजक हनुमानसिंह राजावत (प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान बहुउद्देश्यीय सहकारी समिति कर्मचारी संघ), मदन मेनारिया (प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान सहकारी कर्मचारी विकास मंच) और कुलदीप जंगम (प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ) को वार्ता के लिए आमंत्रण भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि पैक्स व्यवस्थापकों को सेवा प्रदान करने में संबंध में विभिन्न प्रकार की समस्याओं को विभाग के संज्ञान में लाया गया है, जिनके समाधान के लिये साथक चर्चा के लिए द्विपक्षीय वार्ता होगी। यह वार्ता 29 सितम्बर 2025 को सायं 5 बजे राजस्थान राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड (अपेक्स बैंक) के प्रबंध निदेशक कक्ष में होगी। उल्लेखनीय है कि इसी दिन यानी 29 सितम्बर 2025 से ही संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की शुरूआत किया जाना प्रस्तावित है।

इससे पूर्व, राजस्थान सहकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर शुक्रवार को प्रदेशभर में पैक्स कार्मिकों ने अभूतपूर्व एकजुटता का परिचय देते हुए सहकारिता विभाग के उप रजिस्ट्रार एवं सहायक रजिस्ट्रार कार्यालयों के समक्ष धरना दिया एवं अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। तदोपरांत उप रजिस्ट्रार/सहायक रजिस्ट्रार एवं सम्बंधित जिले के प्रबंध निदेशक, केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड के माध्यम से राजस्थान सरकार के नाम मांग पत्र प्रस्तुत किये गये।

नागौर में ज्ञापन देते हुए सहकारी समिति कामिक।

19 सितम्बर को की थी आंदोलन की घोषणा

संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा 19 सितम्बर 2025 को आंदोलन की घोषणा की गयी थी, तब संघर्ष समिति की ओर से राज्य सरकार, सहकारिता विभाग, नाबार्ड, श्रम आयुक्त और प्रदेश के समस्त केंद्रीय सहकारी बैंकों को विधिक नोटिस देकर 29 सितम्बर 2025 से अनिश्चिकालीन कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी गयी। औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 22 एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत सम्बंधित पक्षों को प्रेषित विधिक नोटिस में बताया गया कि संघर्ष समिति की ओर से 6 अगस्त 2025 को सहकारिता विभाग को अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन प्रस्तुत किया गया, जिसमें मांगों/समस्याओं के समाधान के लिए सहकारिता विभाग को 31 अगस्त 2025 तक का समय दिया गया था, लेकिन इस दौरान विभाग द्वारा संगठन की मांगों पर किसी प्रकार का विचार नहीं किया गया और न ही वार्ता के लिए आमंत्रित किया गया, जिससे प्रदेश के समस्त पैक्स, लैम्पस कार्मिकों में आक्रोष व्याप्त है।

आंदोलन के पहले दो चरण सफल रहे

संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक हनुमानसिंह राजावत ने मुखपत्र को बताया कि अपनी मांगों के समर्थन में प्रदेश के समस्त पैैक्स कार्मिकों ने पहले चरण में 23 सितम्बर को काली पट्टी बांधकर कार्य किया और दूसरे चरण में 26 सितम्बर को उप रजिस्ट्रार/सहायक रजिस्ट्रार कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन आयोजित किया गया, जो राज्य के अधिकांश जिलों में शत-प्रतिशत सफल रहा। अब तीसरे चरण में 29 सितम्बर से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू किया जाना प्रस्तावित है।

ये है संगठन की प्रमुख मांगें

1. ग्राम सेवा सहकारी समितियां कार्मिकों को जिला कैडर बनाया जाये।

2. समस्त जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों में ऋण पर्यवेक्षक के पद, शत-प्रतिशत व्यवस्थापकों की पदोन्नति से भरे जायें।

3. 10 जुलाई 2017 से पहले समितियों में कार्यरत एवं स्क्रीनिंग से वंचित ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कर्मचारियों के नियमितिकरण की अनुशंसा के लिए स्क्रीनिंग प्रक्रिया पुन: शुरू की जाये।

4. ग्राम सेवा सहकारी समिति कार्मिकों के सेवानियम 2022 को संशोधित करते हुए, सेवानियम कार्मिक विभाग द्वारा बनाये जायें।

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