अदालत को तय करना है कि मामले को संविधान पीठ को भेजा जाना है या नहीं
नई दिल्ली, 31 जुलाई (एजेंसी)| सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को 103वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम-2019 को संविधान पीठ को सौंपने की एक याचिका के संदर्भ में फैसला सुरक्षित रखा। यह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 फीसदी आरक्षण प्रदान करता है। न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने पक्षकारों को सुनने के बाद इस आदेश को सुरक्षित रखा कि मामले को संविधान पीठ को भेजा जाना है या नहीं।
महान्यायवादी के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि 10 फीसदी आरक्षण ने संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं किया है। उन्होंने सरकार के फैसले को सही ठहराया और कहा कि ईडब्ल्यूएस में आरक्षण सामान्य वर्ग के उन गरीबों को लाभान्वित करने का एक प्रयास है, जो अब तक सुविधाओं से वंचित हैं।
याचिकाकर्ताओं में से एक के अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि बुनियादी ढांचे के सवाल का फैसला करने के लिए मामले को एक बड़ी बेंच को भेजा जाना चाहिए, क्योंकि 103वां संशोधन समानता की परिभाषा को बदल देता है।
एक जुलाई को हुआ था लागू
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 अप्रैल को केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों में ईडब्ल्यूएस छात्रों के लिए प्रवेश में आरक्षण के प्रावधान को मंजूरी दी थी। इस साल एक जुलाई को इसे लागू किया गया था। केंद्र सरकार के इस फैैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी। तब, शीर्ष अदालत ने एक जुलाई को समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत कोटा देने के केंद्र के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि इस मामले में विस्तार से सुनवाई की आवश्यकता है।