कैडर व्यवस्थापकों को बैंक का कर्मचारी बनाए जाने का मामला
श्रीगंगानगर (मुखपत्र)। सुप्रीम कोर्ट ने ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कैडर व्यवस्थापकों को सम्बंधित केंद्रीय सहकारी बैंक का कर्मचारी बनाए जाने के राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर के निर्णय की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है।
कोर्ट ने गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक की ओर से छोटूलाल व अन्य के विरुद्ध दायर विशेष अनुमति याचिका (सिविल) पर सुनवाई करते हुए 11 मार्च को ये स्थगनादेश जारी किया।
राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर की डिवीजन बैंक ने छोटूलाल व अन्य व्यवस्थापकों द्वारा दायर याचिकाओं का निपटारा करते हुए 14 सितम्बर 2018 को यह निर्णय दिया था कि जिन कैडर व्यवस्थापको के नियुक्तिपत्र बैंक की अेार से जारी किये गये थे, वे बैंक के कर्मचारी माने जाएंगे। इन व्यवस्थापकों पर व्यवस्थापकीय सेवा नियम 2008 लगू नहीं होंगे।
पृथक सेवा नियम बनाने का निर्देश
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वो याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुनकर उनके लिए अलग से सेवानियम बनाए। इससे पूर्व एक अन्य मामले में जोधपुर हाईकोर्ट ने श्रीगंगानगर के कैडर व्यवस्थापक चड़सिंह को बैंक का कर्मचारी मानते हुए उसे बैंक कर्मचारी के अनुरूप वेतन सहित सेवानिवृत्ति परिलाभ देने का आदेश पारित किया था।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बैंक की अपील खारिज करने पर, बैंक द्वारा हाल ही में चड़सिंह को 13 लाख 40 हजार रुपये का भुगतान किया गया। (विस्तृत समाचार सहकार गौरव के 16 मार्च 2019 के अंक में पढ़ें।)