अधिकरण की टिप्पणी, निर्वाचन अधिकारी ने नियमों का पालन नहीं किया, मंगतराम खन्ना थे चुनाव अधिकारी
श्रीगंगानगर। राजस्थान राज्य सहकारी अधिकरण (को-ऑपरेटिव ट्रिब्यूनल) जयपुर ने श्रीगंगानगर को-ऑपरेटिव इण्डस्ट्रीयल एस्टेट लि., श्रीगंगानगर के चुनाव के सम्बन्ध में पंच निर्णायक के निर्णय को अपास्त कर दिया है।
अधिकरण के अध्यक्ष मुकेश श्रीवास्तव (आरजेस, जिला न्यायाधीश संवर्ग), सदस्य सुधीर कुमार बंसल व मुश्ताक मोहम्मद ने इण्डस्ट्रीयल एस्टेट के सदस्य और निवर्तमान अध्यक्ष बंशीधर जिन्दल की अपील संख्या 5/2015 सीआईएस संख्या 119/2015 पर दोनों पक्षों के तर्क एवं उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर 15 मार्च 2019 को यह निर्णय सुनाया। अधिकरण के इस निर्णय से इण्डस्ट्रीयल एस्टेट के 2013 में हुए चुनाव अमान्य हो गये हैं। इसके साथ ही पिछले 6 वर्ष में विजय जिन्दल की अध्यक्षता वाले संचालक मण्डल द्वारा लिये गये सभी निर्णयों की वैधता पर तलवार लटक गई है।
बंशीधर जिन्दल की अपील में इण्डस्ट्रीयल एस्टेट के अध्यक्ष विजय जिन्दल, उपाध्यक्ष विनोद कुमार, संचालक भूषण गोयल, संचालक विद्यादेवी, संचालक विमल मिढढ, संचालक सुभाष गोयल, संचालक व जीकेएसबी के तत्कालीन अध्यक्ष गुरवीर सिंह गिल, संचालक शिवदयाल गुप्ता, उप रजिस्ट्रार श्रीगंगानगर, पूर्व निर्वाचन अधिकारी ओमप्रकाश बिश्नोई (विशेष लेखा परिक्षक), निर्वाचन अधिकारी मंगतराम खन्ना, मध्यस्थ एवं पंच निर्णायक उप रजिस्ट्रार हनुमानगढ, एचकेएसबी प्रबन्ध निदेशक को प्रतिवादी बनाया था। अधिकरण में मामले को पैरवी बंशीधर जिन्दल की ओर से एडवोकेट निर्मल कुमार गोयल ने की।
अपील में सितम्बर 2013 में हुए इण्डस्ट्रीयल एस्टेट के चुनाव को पूर्व में दी गई चुनौती को ही आधार बनाया गया। इस चुनाव में बंशीधर जिन्दल आदि को अयोग्य घोषित कर दिया था। इसके विरुद्ध बंशीधर ने सभी संचालकों तथा चुनाव प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों के खिलाफ संयुक्तरजिस्ट्रार (अब जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार) सहकारी समितियां बीकानेर के समक्ष वाद दायर किया था। संयुक्त रजिस्ट्रार ने इसके लिए हनुमानगढ़ सीसीबी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक बलविन्दर सिंह को मध्यस्थ एवं पंच निर्णायक नियुक्तकर दिया। पंच निर्णायक ने विजय जिंदल के पक्ष में निर्णय दिया, जिसके विरुद्व बंशीधर ने अपील प्रस्तुत की।
जिन्दल ने प्रतिवादीगण के विरुद्व गैर कानूनी ढंग से निर्वाचन अधिकारी की शिकायत करवाकर नया चुनाव अधिकारी नियुक्तकरवाने, नियमों को ताक में रखकर शेयर धारकों को समिति की सदस्यता से अलग करने, वादी बंशीधर जिन्दल को अवैध तरीके से अयोग्य करार देने, गलत तरीके से व अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर निर्वाचन सम्पन्न करवाने को आधार बनाकर यह अपील प्रस्तुत की थी।
अपील में 2013 में सम्पन्न करवाये गये निर्वाचन को रद्द कर पुन: ईमानदार निर्वाचन अधिकारी लगाकर निर्वाचन करवाने, गैर कानूनी रूप से जिन सदस्यों की सदस्यता निरस्त की गई है, उनकी सदस्यता को बहाल कर निर्वाचन करवाने तथा अधिनियम-नियम की पालना नहीं करते हुए निर्वाचन करवाने पर निर्वाचन अधिकारी के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही करने का अनुतोष चाहा गया था।
अधिकरण ने अपने निर्णय में कहा कि अन्तिम मतदाता सूची प्रकाशित होने के पश्चात् अपीलार्थी को चुनाव लडऩे से निर्योग्य घोषित नहीं किया जा सकता। अपीलार्थी बंशीधर जिन्दल के उम्मीदवार रहते हुए चुनाव सम्पन्न किया जाना चाहिए था, जो निर्वाचन अधिकारी द्वारा नहीं किया गया। अधिकरण ने अपील स्वीकार करते हुए पंच निर्णायक के 11 अक्टूबर 2014 के पंच निर्णय को अपास्त कर दिया तथा राजस्थान राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण को निर्देशित किया कि संस्था का चुनाव नियमानुसार एवं अतिशीघ्र सम्पन्न कराया जाये।
मंगतराम का मायाजाल
श्रीगंगानगर को-ऑपरेटिव इण्डस्ट्रीयल एस्टेट लि. श्रीगंगानगर की नामी संस्था है। जिन चुनावों के कारण यह मामला अधिकरण तक पहुंचा, वे चुनाव 2013 में सम्पन्न हुए थे। इसके चुनाव अधिकारी मंगतराम खन्ना थे, जो तब महाप्रबंधक, समग्र सहकारी विकास परियोजना श्रीगंगानगर थे। सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण ने पहले श्रीगंगानगर के तत्कालीन विशेष लेखा परीक्षक ओमप्रकाश बिश्नोई को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया था। विरोधी गुट बंशीधर जिंदल आदि का नाम वोटर लिस्ट से हटवाना चाहता था, लेकिन बिश्नोई ने ऐसा करने से मना कर दिया। इस पर आदतन शिकायती मंगतराम खन्ना की शह पर बिश्नोई के विरुद्ध एक झूठी शिकायत करवायी गयी, जिसके आधार पर प्राधिकरण ने बिश्नोई को हटाकर खन्ना को चुनाव अधिकारी लगा दिया। खन्ना ने पावर मिलते ही, बंधीधर जिंदल सहित कई सदस्यों के नाम मतदाता सूची से हटा दिये।
समाप्त हो चुका है बोर्ड का कार्यकाल
दिलचस्त तथ्य यह है कि 2013 के चुनाव में विजय जिंदल के नेतृत्व वाला बोर्ड चुनकर आया था। इस बोर्ड का कार्यकाल 2018 में समाप्त हो चुका है। इसके पश्चात सितम्बर 2018 में एस्टेट के चुनाव भी करवाए जा चुके हैं। वर्तमान में विजय जिंदल के नेतृत्व वाला संचालक मंडल कार्यरत है। अब बंशीधर गुट इस फैसले के आधार पर विजय जिंदल की अध्यक्षता वाले बोर्ड द्वारा लिये गये निर्णयों को अवैध घोषित करवाने में जुट गया है।