फसली ऋण लेने वाले किसानों के लिए अनिवार्य है व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा करवाना
18 लाख किसानों में से मात्र 300 ने किया क्लेम, कम्पनी ने वो भी रोका
जयपुर (मुखपत्र)। सहकारिता विभाग में राज सहकार व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना के नाम पर हुए खे
ल में फंसे किसानों की सुध नहीं ली जा रही। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में अपेक्स बैंक के स्तर पर बड़े ही सुनियोजित ढंग से दुर्घटना बीमा का काम सरकारी क्षेत्र से लेकर निजी क्षेत्र की श्रीराम जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी को दे दिया गया। मंत्री व तत्कालीन बैंक अफसर मलाई बटोर कर चले गये, लेकिन इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
अनुदानित बीमा योजना बंद कर सारा भार किसानों पर डाल दिया गया, इसके बावजूद बीमा कम्पनी किसानों को क्लेम नहीं दे रही। सहकारिता विभाग और वर्तमान बैंक प्रबंधन चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। प्रदेश भर में 18 लाख किसानों का दुर्घटना बीमा किया गया, जिसमें से मात्र 300 किसानों ने बीमा दावे के लिए क्लेम किया। ये सब लम्बित पड़े है।
यानी एक साल में कम्पनी ने 33 करोड़ रुपये से अधिक प्रिमीयम वसूल लिया, लेकिन एक भी किसान को क्लेम नहीं दिया गया। अपेक्स बैंक से लेकर रजिस्ट्रार कार्यालय तक प्रयास कर चुके हैं, लेकिन श्रीराम जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी क्लेम देने के नाम पर मौन धारण किये हुए है।
अनुदानित बीमा योजना बंद, सारा बोझ किसान पर
एक साल पहले तक प्रदेश में फसली ऋण लेने वाले किसानों को 6 लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा कवर 9 रुपये प्रति लाख रुपये की दर से 54 रुपये के वार्षिक प्रिमीयम पर मिल रहा था। इसमें से 27 रुपये किसान को देने होते थे, शेष 27 रुपये सम्बंधित केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा चुकाये जाते थे। तब तक बीमा का काम न्यू इंडिया इन्श्योरेंस कम्पनी द्वारा किया जाता था।
वर्ष 2018 में भाजपा सरकार के विदाई वर्ष में सरकार ने किसानों को लुभाने के लिए बीमा का कवर बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया। तत्कालीन सहकारिता मंत्री अजयसिंह किलक ने इसका हर मंच पर बखान किया और वाहवाही लूटी, लेकिन किसानों को यह नहीं बताया गया कि 10 लाख रुपये का बीमा करवाने के लिए सारा प्रिमीयम उसी को चुकाना होगा। फसली ऋण लेने वाले किसान पर इस बीमा योजना को अंगीकार करने की अनिवार्यता लागू है।
एक साल में दोगुना हो गया प्रिमीयम
वर्ष 2018-19 में अपेक्स बैंक ने बीमा का काम श्रीराम जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी को दे दिया। बीमा अनुबंध के लिए अपेक्स बैंक ने ओपन टैंडर किया था। इसमें श्री राम कम्पनी की प्रिमीयम दर 188 रूपये 80 पैसे थी जो सबसे कम थी, इसी आधार पर उसे बीमा का काम मिल गया। हालांकि बताते हैं कि इसमें भी बड़ा खेल हुआ।
प्रतिद्वंद्वी कम्पनियों को इस बात की अधिक हैरानी हुई कि जो न्यू इंडिया इन्श्योरेंस कम्पनी एक साल पहले तक 9 रुपये प्रति लाख रुपये की प्रिमीयम दर पर बीमा की सुविधा उपलब्ध करवा रही थी, उसकी ओर से बिजनेस दोगुना होने की आर्दश परिस्थिति में, 10 लाख रुपये के टेंडर के लिए 200 रुपये से अधिक दर अंकित की गयी यानी 20 रुपये प्रति लाख रुपये से अधिक।
सूत्र बताते हैं कि यह सब मैनेज किया गया था, जिसका बाद में भंडाफोड़ होने पर न्यू इंडिया इन्श्योरेंस ने टेंडर में भाग लेने वाली अपनी प्रतिनिधि फर्म को ब्लेक लिस्टेड कर दिया।
कम्पनी को हुई 18 करोड़ की अतिरिक्त आय
इधर, सरकार और अपेक्स बैंक के प्रबंधन के सहयोग से बीमा का काम मिलने के पश्चात, केंद्रीय सहकारी बैंकों ने एमओयू की शर्त के हिसाब से किसानों के खाते में प्रिमीयम की राशि डेबिट कर श्रीराम जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी को ड्राफ्ट भिजवाने शुरू कर दिये। कम्पनी ने 18 लाख किसानों को दुर्घटना बीमा किया। कम्पनी को इसकी एवज में कुल 33 करोड़ 98 लाख रुपये का प्रिमीयम मिला।
इसकी तुलना यदि न्यू इंडिया इन्श्योरेंस कम्पनी द्वारा एक साल पहले तक वसूल किये जा रहे प्रिमीयम से की जाये तो तो जहां पूर्व में प्रचलित दर के अनुसार जहां किसानों को 16 करोड़ 20 लाख रुपये का प्रिमीयम चुकाना पड़ता, वहीं उन्हें इस गये साल 33 करोड़ 98 लाख रुपये चुकाने पड़े। यानी अकेले प्रिमीयम से ही कम्पनी को 18 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी हुई।
एक भी किसान को क्लेम नहीं दिया
किसानों का दुर्भाग्य यह है कि जब उन्हें 50 प्रतिशत अनुदानित दर पर बीमा की सुविधा न्यू इंडिया इन्श्योरेंस कम्पनी द्वारा मिल रही थी, तब उन्हें क्लेम भी समय पर मिल रहा था। अब जबकि पूर्ववर्ती सहकारिता मंत्री अजयसिंह किलक और तत्कालीन अपेक्स बैंक प्रबंधन अपने हिडन एजेंडे के तहत बीमा प्रिमीयम का सारा भार, वो भी दोगुनी दर पर, किसानों के सिर डाल कर चले गये तो कम्पनी ने किसानों के क्लेम भी अटका दिये हैं।
सूत्र बताते हैं कि कम्पनी ने अब तक एक भी किसान को क्लेम नहीं दिया है। क्लेम नहीं मिलने से निराश और गुस्साये किसानों के सवालों का सामना नई सरकार और अपेक्स बैंक के वर्तमान प्रबंधन को करना पड़ रहा है और तत्कालीन लोकसेवक सरकार की स्थानांतरण एवं पदस्थापन नीति पर सवाल उठाकर नयी जिम्मेदारियों का आनंद उठा रहे हैं।
15 दिन में देना था बीमा का क्लेम
राज सहकार व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना के लिए अपेक्स बैंक व श्रीराम जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी के मध्य वर्ष 2018-19 के लिए हुए एमओयू पर अपेक्स बैंक की ओर से तत्कालीन प्रबंध निदेशक विद्याधर गोदारा, महाप्रबंधक (पीएंडडी) प्रेमचंद जाटव और डिप्टी जीएम पीयूष जी. नारायण ने जबकि श्रीराम जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी की ओर से सीनियर मैनेजर जयपुर जुगल किशोर तनेजा, ब्रांच मैनेजर जयपुर-3 अखलेज अंसारी और एक्जीक्यूटिव जितेंद्र पांचाल के हस्ताक्षर हैं।
एमओयू के अनुसार, बीमा क्लेम पर विवाद की स्थिति में दावों का निपटारा करने के लिए सक्षम कमेटी द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम होगा और दोनों पक्षों को मान्य होगा। राज्य स्तरीय कमेटी में अपेक्स बैंक एमडी चेयरमैन, अपेक्स बैंक के महाप्रबंधक प्रशासन, महाप्रबंधक पीएंडडी और महाप्रबंधक एएंडएफ, बीमा कम्पनी के दो प्रतिनिधि सदस्य एवं अपेक्स बैंक डीजीएम पीएंडडी सदस्य सचिव हैं। इसी प्रकार केंद्रीय सहकारी बैंक स्तर पर बनायी गयी चार सदस्यीय कमेटी में बैंक एमडी, अधिशासी अधिकारी, बैंक का सम्बंधित ऑफिसर और बीमा कम्पनी का एक प्रतिनिधि शामिल है।
एमओयू में यह भी वर्णित है कि यदि बीमा क्लेम को लेकर, किसी भी अदालत द्वारा पारित आदेश की पालना के लिए बीमा कम्पनी जिम्मेदार होगी। एमओयू की शर्त के अनुसार, क्लेम सम्बंधी समस्त दस्तावेज प्रस्तुत करने के पश्चात बीमा कम्पनी को 15 दिन में क्लेम पारित करना था, लेकिन यहां तो महीनो बीत गये। दुर्घटना का शिकार होकर अंगभंंग होने से परेशान किसान या दुनिया को अलविदा कह चुके किसानों का लुटा-पिटा परिवार सोसायटी और बैंक के चक्कर काट-काट कर परेशान हो चुके हैं।
सीसीबी द्वारा क्लेम के लिए रजिस्ट्रार कार्यालय, अपेक्स बैंक और श्रीराम जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी को पत्र-दर-पत्र लिखे जा रहे हैं। अपेक्स बैंक व रजिस्ट्रार द्वारा बीमा कम्पनी प्रतिनिधियों को कई बार हड़काया जा चुका है लेकिन कम्पनी कार्मिक बेशर्मी का लबादा ओढ़कर बैठे हैं।
कम्पनी को ब्लेक लिस्टेड करने की चर्चा
चर्चा है कि कम्पनी के अनप्रोफैशलन एटीट्यूट से हताश सहकारिता विभाग और अपेक्स बैंक ने श्रीराम जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी को ब्लेक लिस्टेड करने का मन बना दिया है। अब सवाल ये है कि श्रीराम कम्पनी को ब्लैक लिस्टेड करने के पश्चात किसानों के क्लेम का क्या होगा।
पीडि़त किसान परिवार यदि क्लेम के लिए अदालतों मे जाते हैं तो वे सोसायटी, बैंक व बीमा कम्पनी, तीनों को पक्षकार बनाएंगे, ऐसी स्थिति में सोसायटी व बैंक की ओर से खर्च की जाने वाली लीगल फीस के लिए कौन जिम्मेदार होगा।
सरकार को चाहिए कि वे निजी क्षेत्र को बीमा का काम देने की जांच करवाए और दोषियों के विरुद्ध सख्त कानूनी व अनुशासनात्मक कार्यवाही करे।
ये है क्लेम का प्रावधान
राज सहकार व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत दुर्घटना में बीमाधारक की मृत्यु होने पर 10 लाख रुपये, पूर्णत: विकलांगता पर 10 लाख रुपये, दोनों नेत्र/दोनों पांव/दोनों हाथ डैमेज होने पर 10 लाख रुपये, एक आखं और एक
हाथ/पांव डैमेज होने पर 10 लाख रुपये, एक हाथ और एक पैर डैमेज होने पर 10 लाख रुपये और एक आंख या एक हाथ या एक पांव डैमेज होने पर 5 लाख रुपये क्लेम देने का प्रावधान है।