– लाभान्वित होने वाले सभी नये सदस्य, न्यूनतम ऋण वितरण एक लाख रुपये प्रति सदस्य, शाखा प्रबंधक निलम्बित
श्रीगंगानगर। गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक की रावला शाखा में, ऋण वितरण पर रोक के बावजूद लगभग 4 करोड़ रुपये का फसली ऋण बांटने का खुलासा हुआ है। यह ऋण वितरण दिसम्बर के अंत में एवं जनवरी में प्रथम सप्ताह में किये जाने की जानकारी मिली है।
बैंक के प्रबंध निदेशक दीपक कुक्कड़ ने बताया कि इस मामले में शाखा प्रबंधक साहबराम सोमटा को निलम्बित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि प्रकरण की जांच के लिए सहकारिता निरीक्षक योगेश अग्रवाल के नेतृत्व में एक जांच दल का गठन किया गया, जिसने शाखा और इससे सम्बंधित 12 ग्राम सेवा सहकारी समिितयों का रिकार्ड कब्जे में ले लिया है। ऋण वितरण से सम्बंधित सूचनाओं की जांच की जा रही है।
श्री कुक्कड़ के अनुसार, रावला की घटना के दूष्टिगत बैंक की अन्य शाखाओं के रिकार्ड की जांच करवाने का निर्णय लिया गया है। यह भी देखा जा रहा है कि किन-किन शाखाओं द्वारा रावला शाखा में फंड्स ट्रासंफर किये गये हैं और यह काम किसके कहने पर हुआ है। उन्होंने कहा, प्रधान कार्यालय से जिस किसी अधिकारी की मिलीभगत पायी गयी, उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी।
सूत्रो के अनुसार, साहबराम सोमटा ने क्षेत्र की समस्त 12 ग्राम सेवा सहकारी समितियों के 300 से अधिक सदस्यों को ऋण वितरण किया है। ये सभी नये सदस्य हैं और सभी को एक लाख रुपये से अधिक का फसली ऋण वितरण किया गया है। यह ऋण ऐसे समय में वितरित किया गया, जबकि पूरे प्रदेश में ऋणमाफी का दौर चल रहा था और बैंक के प्रधान कार्यालय की ओर से नवम्बर 2018 में फसली ऋण वितरण पर रोक लगा दी गयी थी। इसमें पुराने सदस्यों को बढाकर ऋण देने और नये सदस्यों को ऋण वितरित करने पर पूरी तरह से रोक लगायी गयी थी।
पांच शाखाओं से ली नगद राशि
सूत्र बताते हैं कि सोमटा ने बैंक की चार अन्य शाखाओं से नगद राशि प्राप्त की। एक बार में 50 लाख रुपये तक प्राप्त किये। इसमें श्रीविजयनगर, समेजा कोठी, रायसिंहनगर, अनूपगढ़ व गजसिंहपुरा शाखा शामिल है। करीब 15 दिन के भीतर से विभिन्न शाखाओं से करीब बीस से अधिक बार रावला शाखा में राशि मंगवाई गई। हालांकि एक ब्रांच से दूसरी ब्रांच से नगद राशि लाना या ले-जाना रूटीन प्रक्रिया है, लेकिन अलग-अलग शाखाओं से एक ही शाखा में दो सप्ताह तक लगातार राशि भेजी गयी और किसी ब्रांच द्वारा प्रधान कार्यालय को सूचित तक नहीं करना, संदिग्ध प्रतीत होता है और यह बिन्दू जांच का विषय हो सकता है।
सूचना से मिली जानकारी
सूत्रों के अनुसार, किसी समिति के नये सदस्य द्वारा बैंक के एमडी दीपक कुक्कड़ से फसली ऋण की डिमांड किये जाने पर इस मामले का खुलासा हुआ। कुक्कड़ द्वारा फसली ऋण वितरण पर रोक होने की बात कहने पर सदस्य ने बताया कि रावला में धड़ाधड़ फसली ऋण बांटा जा रहा है। इस खुलासे ने एमडी को बेचैन कर दिया और उन्होंने अगले ही दिन रावला जाकर रिकार्ड की जांच की तो मामला पकड़ में आ गया। इस पर अविलम्ब सोमटा को निलम्बित करके, वहीं एक लिपिक का कार्यवाहक प्रबंधक का पदभार सौंपकर मामले की जांच शुरू करवा दी।
मार्च में है सोमटा का रिटायर्डमेंट
साहबराम सोमटा का रिटाायर्डमेंट इसी साल मार्च माह में है। सोमटा पर दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज हैं। बैंक की रीको शाखा में वित्तीय अनियमितता और केसरीसिंहपुर शाखा में रहते हुए टै्रक्टर ऋण वितरण में अनियमितता बरतने के मामले में दर्ज पुलिस एफआईआर में सोमटा नामजद मुल्जिम हैं। बैंक के नियमों के मुताबिक ऐसे किसी अधिकारी-कर्मचारी को शाखा प्रबंधक जैसे महत्वपूर्ण पद पर लगाया ही नहीं जा सकता था, लेकिन वह दो साल से रावला में शाखा प्रबंधक के पद पर कार्यरत है। सोमटा की शाखा प्रबंधक पद पर नियुक्ति दो साल पहले तात्कालीन प्रबंध निदेशक मंगतराम खन्ना उर्फ डॉ. एमआर खन्ना द्वारा की गयी थी। खन्ना ने ही नियमों को ताक पर रखकर साहबराम को बाबू से प्रबंधक पद पर प्रमोशन दिया था।
अपने स्तर पर बनाई एमसीएल
सूत्रों के अनुसार, साहबराम सोमटा ने प्रधान कार्यालय से साख सीमाएं मंगवायी और अपने स्तर पर ही नये सदस्यों की अधिकतम साख सीमा (एमसीएस) पारित कर सभी को एक लाख रुपये या इससे अधिक का ऋण वितरण कर दिया। रावला शाखा से सम्बद्ध 12 शाखाओं में 2 केएनडी ग्राम सेवा सहकारी समिति भी शामिल हैं, जहां साहबराम का पुत्र सोमटा व्यवस्थापक है। इस समिति में एक दर्जन से अधिक नये सदस्यों को ऋण दिया गया है।
ये है नगद राशि भेजने की प्रक्रिया
प्रदेश की समस्त केंद्रीय सहकारी बैंक में फंड्स मैनेजमेंट और शाखाओं में नगद राशि के लेन-देन पर नजर रखने के लिए ऑप्रेशन सैल होता है। बैंक की सीआरआर का स्तर बनाए रखने की जिम्मेदारी भी ऑप्रेशन सैल की होती है। बैंक की विभिन्न शाखाओं के बीच नगद राशि का लेन-देन एक सामान्य प्रक्रिया है। समय-समय पर प्रधान कार्यालय द्वारा बैंक शाखाओं में राशि भिजवाई या वहां से अतिरिक्त राशि मंगवाई जाती है। प्रत्येक बैंक ब्रांच को इस लेनदेन की दैनिक रिपोर्ट प्रधान कार्यालय को भेजनी होती है। इसी से प्रधान कार्यालय को शाखाओं के बीच होने वाले लेनदेन की जानकारी रहती है। दैनिक रिपोर्ट के अलावा साप्ताहिक रिपोर्ट भी जाती है, जिसकी समीक्षा ऑप्रेशन सैल करता है। जयपुर सहित प्रदेश की कुछ सीसीबी में शाखाओ द्वारा आपस में नगद राशि का लेदलेन नहीं होता, वहां हैड ऑफिस से ही, बैंक के वाहन में सिक्योरिटी गार्ड की देखरेख में ब्रांचों में कैश भिजवाया जाता है।
आमतौर पर यदि किसी शाखा को नगद राशि की जरूरत है तो शाखा द्वारा प्रधान कार्यालय से मांग की जाती है। इसके लिए लिखित या मौखिक रूप से कारण भी बताना होता है, इसके पश्चात ही प्रधान कार्यालय द्वारा अपने स्तर पर या नजदीकी शाखा से नगद रशि की व्यवस्था करवाता है।