पहरेदार ही बने लूटेरे, पांच अधिकारी-कर्मचारी निलम्बित
प्रधान कार्यालय और बहरोड़ शाखा स्टाफ की सांठगांठ से हुआ घोटाला
अलवर। अलवर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में करोड़ों रुपये का घोटाला हो गया है। यह राशि लगभग पांच करोड़ रुपये होने का अनुमान है। बैंक के प्रधान कार्यालय में कार्यरत दो कर्मचारियों एवं बहरोड़ शाखा में पदस्थ स्टाफ ने सांठगांठ कर बैंक के लगभग 5 करोड़ र रुपये हड़प लिये। इस सम्बंध में बैंक के पांच अधिकारियों-कर्मचारियों को निलम्बित कर दिया गया है। आरोपितों से करीब दो करोड़ रुपये की रिकवरी भी हो चुकी है, लेकिन बैंक प्रबंधन ने डॉक्यूमेंटरी एविडेंस के बावजूद आरोपितों के विरुद्ध पुलिस में प्राथमिकी दर्ज नहीं करवाई है। बैंक के प्रबंध निदेशक मदन गुर्जर और मुख्य प्रबंधक अशोक शर्मा पर आरोपितों को संरक्षण देने का आरोप लग रहा है।
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस प्रकरण के सूत्रधार प्रधान कार्यालय में कार्यरत वरिष्ठ प्रबंधक (आईटी) भूपेंद्र भारद्वाज और प्रबंंधक (आईटी) अंकित शर्मा हैं जिन्होंने राजस्थान में केंद्रीय सहकारी बैंकों के कम्न्प्यूटराइजेशन की खामियों का लाभ उठाकर पिछले चार वर्ष में बैंक से करीब 5 करोड़ रुपये का गबन कर लिया है। आरोपितों ने बहरोड़ शाखा स्टाफ की मिलीभगत से फर्जी खाते खोलकर, अपनी व हैडआफिस के स्टाफ की आईडी व पासवर्ड का दुरूपयोग कर वीजीएल एकाउंट्ए से यह राशि ट्रांसफर की। अनेकों बार आरटीजीएस व एनईएफटी के माध्यम से भी रुपये ट्रांसफर किये गये।
एक से अधिक तरीकों से किया गबन
मामले का खुसाला जनवरी माह में ही उस समय हुआ जब भूपेंद्र भारद्वाज के पिता के देहांत के पश्चात उनके स्थान पर किसी और कार्मिक को आईटी सैक्शन में लगाया गया। उसके द्वारा संदिग्ध ट्रांसफर एंट्रीज की सूचना प्रबंध निदेशक मदन गुर्जर को दिये जाने के बाद अंकित शर्मा को हटाकर जब जांच करवाई गयी तो पता चला कि यह खेल सीबीएस के समय से शुरू हो गया था। आरोपितों ने आटीजीएस, एनईएफटी, एटीएम और रिकोंसिलेशन के माध्यम से धनराशि का गबन किया।
पांच अधिकारी-कर्मचारी निलम्बित
स्टाफ ने मुख्य प्रबंधक अशोक शर्मा पर जातिवाद के चलते दोनों मुख्य आरोपितो को सरंक्षण देने का अरोप हुए बैंक एवं ग्राहकों के व्यापक हित में आरोपितों के विरुद्ध अनुशासनात्मक एवं कानूनी कार्यवाही करने की मांग की। स्टाफ की बगावत के बाद हरकत में आए बैंक प्र्रबंधन ने आदेश क्रमांक एसीसीबी/प्रशासनिक अनुभाग/24319-30 दिनांक 5-1-2019 के द्वारा पांचों आरोपितों- भूपेंद्र भारद्वाज, अंकित शर्मा, जगदीश रेगर, कालूराम वर्मा और जयसिंह तंवर को उनके पद से हटाकर पदस्थापन की प्रतीक्षा में रखा और फिर जांच के दौरान प्रधान कार्यालय एवं बहरोड़ ब्रांच में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि होने पर आदेश क्रमांक एसीसीबी/प्रशासनिक अनुभाग/25255-68 दिनांक 17-01-2019 को निलम्बित कर दिया।
जांच के लिए तीन टीम बनाई
प्रबंध निदेशक मदन गुर्जर ने बताया कि गबन की विस्तृत जांच के लिए तीन टीम बनाई गई हैं। अभी तक अढाई करोड़ रुपये के गबन का पता चला है जो कि चालू वित्तीय वर्ष से सम्बंधित है। अब पीछे के सालों की ओर लौटते हुए मामले की जांच करवाई जा रही है। उन्होंने गबन की राशि बढने की आशंका जतायी है। उन्होंने बताया कि भूपेंद्र भारद्वाज और अंकित शर्मा पर महत्वपूर्ण आईटी सैल की जिम्मेदारी थी। दोनों ही आईटी एक्सपर्ट हैं। प्रधान कार्यालय सहित विभिन्न शाखाअेां में सीबीएस में आने वाली तकनीकी खराबी भी यही दोनों दूर करते थे। इसलिए इन्हें जहां कहीं भी मौका मिला, वहां के स्टाफ की आईडी का दुरूपयोग कर राशि ट्रांसफर करते रहे। प्रधान कार्यालय सहित कई अधिकारियों की आईडी का दुरूपयोग ये लोग कर चुके हैं।
धारा 55 की जांच की अनुशंसा
गुर्जर ने बताया कि गबन की राशि में से एक करोड़ 96 लाख रुपये वापिस जमा करवा लिये गये हैं। भूपेंद्र व अंकित सहित पांच आरोपितों को निलम्बित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि अभी तक प्रारंभिक जांच पूरी नहीं हुई है। राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 55 की जांच के लिए अतिरिक्त खंडीय रजिस्ट्रार की अनुशंसा भेज दी गयी है। बैंक के प्रशासक एवं जिला कलेक्टर इंद्रजीत सिंह को भी मामले से अवगत करवा दिया है। जांच पूरी होने पर कानूनी कार्यवाही भी की जायेगी।