नवरात्रि हिन्दू धर्म के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है, जिसे साल में चार बार मनाया जाता है। हालांकि अधिकांश माता के भक्त साल में दो बार – चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के रूप में ही इस धार्मिक उत्सव को मनाते हैं। हालांकि, मां दुर्गा की उपासना और मंत्र सिद्धि के लिए साल में दो बार गुप्त नवरात्र भी मनाये जाने का विधान है। नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की अराधना-उपासना की जाती है। नवरात्रि के प्रत्येक दिन, मां के एक रूप ही अराधना की जाती है। चैत्र नवरात्रि से ही चैत्र प्रतिपदा का आरम्भ होता है और शारदीय नवरात्रि में भगवान राम की लीला, रामलीला के रूप में देखने को मिलती है। दोनों ही बार नवरात्रि बड़े ही शुभ मुहुर्त में मनाये जाते हैं, जो जनमानस को धार्मिक उल्लास से परिपूर्ण कर देते हैं। नवरात्रि में घट स्थापना का विशेष महत्व है।
घटस्थापना बड़ी सावधानी से और शुभमुहुर्त में किये जाने का विधान है। इस बार, चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से आरम्भ होकर 30 मार्च 2023 को सम्पन्न होंगे। इस बार पूरे नौ नवरात्रि हैं। चूंकि, प्रतिपदा तिथि 21 मार्च 2023 को रात्रि 10.52 बजे से आरम्भ होगी और 22 मार्च को रात्रि 8.20 बजे तक रहेगी, इसलिए घटस्थापना 22 मार्च को प्रतिपदा तिथि में ही की जाएगी। हालांकि, इस बार नवरात्रि का आरम्भ पंचक में हो रहा है। ऐसे में इस पंचक का असर घटस्थापना यानी कलश स्थापना के मुहूर्त पर भी देखने को मिलेगा। ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल होगा कि क्या पंचक का नवरात्रि की पूजा पर भी कोई असर पड़ेगा।
दरअसल पंचक को अशुभ माना जाता है। इस दौरान किसी भी तरह के शुभ काम नहीं किए जाते। लेकिन ज्योतिष अनुसार नवरात्रि पूजा पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि नवरात्रि के नौ दिन बेहद शुभ माने जाते हैं। इस दौरान किसी भी तरह के शुभ काम बिना मुहूर्त देखे किए जा सकते हैं। ऐसे में इन पंचक का घटस्थापना मुहूर्त पर कोई प्रभाव नहीं पडऩे वाला है।
चैत्र घटस्थापना की शुरूआत- 22 मार्च 2023, बुधवार।
घटस्थापना मुहूर्त – 22 मार्च की प्रात: 06.23 बजे से प्रात: 07.32 बजे तक।
अवधि – 01 घण्टा 09 मिनट।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 21 मार्च 2023 को रात्रि 10.52 बजे से।
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 22 मार्च 2023 को रात्रि 08.20 बजे।
मीन लग्न प्रारम्भ – 22 मार्च 2023 को प्रात: 06.23 बजे से।
मीन लग्न समाप्त – 22 मार्च 2023 को प्रात: 07.32 बजे।
पंचक क्या होते हैं
हिन्दू पंचांग अनुसार प्रत्येक माह में पांच ऐसे दिन आते हैं जिनका अलग ही महत्व होता है जिन्हें पंचक कहा जाता है। प्रत्येक माह का पंचक अलग अलग होता है तो किसी माह में शुभ कार्य नहीं किया जाता है तो किसी माह में किया जाता है। आओ जानते हैं पंचक क्या और क्यों लगता है एवं इसका प्रभाव क्या होता है।
पंचक क्या और क्यों लगता है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है। इस तरह चन्द्र ग्रह का कुम्भ और मीन राशी में भ्रमण पंचकों को जन्म देता है। अर्थात पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्हीं नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को ‘पंचक’ कहा जाता है।
मुहुर्त चिंतामणि के अनुसार, पंचक में तिनकों और काष्ठों के संग्रह से अग्निभय, चोरभय, रोगभय, राजभय एवं धनहानि संभव है।
1. धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
2. शतभिषा नक्षत्र में कलह होने की संभावना रहती है।
3. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में रोग बढऩे की संभावना रहती है।
4. उतरा भाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है।
5. रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना रहती है।
नहीं करते हैं ये कार्य
1.लकड़ी एकत्र करना या खरीदना
2. मकान पर छत डलवाना
3. शव जलाना
4. पलंग या चारपाई बनवाना
5. दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना।
6. अन्य कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य।
7. मान्यतानुसार किसी नक्षत्र में किसी एक के जन्म से घर आदि में पांच बच्चों का जन्म तथा किसी एक व्यक्ति की मृत्यु होने पर पांच लोगों की मृत्यु होती है। पंचक में मरने वाले व्यक्ति की शांति के लिए गरुड़ पुराण में उपाय भी सुझाए गए हैं।
रोग पंचक
रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानी वाले होते हैं। इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है।
राज पंचक
सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है। ये पंचक शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता मिलती है। राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ रहता है।
अग्नि पंचक
मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इन पांच दिनों में कोर्ट-कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। ये अशुभ होता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान हो सकता है।
मृत्यु पंचक
शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है। नाम से ही पता चलता है कि अशुभ दिन से शुरू होने वाला ये पंचक मृत्यु के बराबर परेशानी देने वाला होता है। इन पांच दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिए। इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है।
चोर पंचक
शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। विद्वानों के अनुसार, इस पंचक में यात्रा करने की मनाही है। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे भी नहीं करने चाहिए। मना किए गए कार्य करने से धन हानि हो सकती है।