पशुओं को लवण-मिश्रण पर्याप्त मात्रा में खिलायें, पीने के पानी की उचित व्यवस्था करें
बीकानेर | पशुपालकों के लिए अप्रेल माह के लिए निर्दिष्ट सावधानियां-
1. इस माह में गर्मी/तापमान बढ़ने से पशुओं को तापक्रम व धूप से बचाने के प्रबंध करें व पर्याप्त मात्रा में साफ व ठण्डा पानी उपलब्ध करायें।
2. पशुओं को लवण-मिश्रण पर्याप्त मात्रा में खिलायें ताकि पशुओं को लवण की कमी और निर्जलीकरण से बचाया जा सके। लवण-मिश्रण के स्थान पर सस्ता उपलब्ध गुलाबी नमक का भी उपयोग कर सकते हैं।
3. पीने के पानी की उचित व्यवस्था करें। पशुओं को दिन में कम से कम 3 से 4 बार पानी उपलब्ध कराने का इंतजाम करें। पानी की कुण्डी साफ रखें। पानी की कुण्डी में पशुपालक काम के उपरान्त हाथ-पांव ना धोयें और ना ही इस पर पक्षियों को बैठने दे ताकि पशुओं को संक्रमण से बचाया जा सके।
4. गर्मी में सामान्यतया हरे चारे की अनुपलब्धता व पशु पोषण में कमी के कारण पशुओं में “पाइका“ नामक रोग के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसमें पशु अखाद्य वस्तुओं को खाने या चबाने लगता है। अतः ग्रामवासी सामुदायिक प्रयासों से मृत पशु, हड्डी, चमड़ा, कंकाल आदि चारागाह के रास्तों व पशुओं की पहुँच से अत्याधिक दूर निस्तारित करें। ऐसे स्थानों की तारबंदी/बाडबंदी करके भी पशुओं को सुरक्षित रखा जा सकता है। क्योंकि मृत पशु के अवषेषों को खाने/चबाने से पशुओं में “बोचूलिज्म“ नामक प्राण-घातक रोग हो सकता है जिससे पशु की तुरंत मृत्यु हो जाती है।
5. इस समय हरे चारे की कमी से पशुओं मंे विटामिन “ए“ की कमी होती है जिससे गर्भ में पल रहे बच्चों का विकास अवरूद्ध होता है और नवजात अंधे पैदा होते हैं अतः गर्भित पशु को डाक्टर की सलाह से विटामिन “ए“ के टीके लगवाना उचित रहता है।
6. चारा-संग्रहण व उसकी सही समय पर खरीद करके पशुपालक आने वाले समय में चारे के अभाव व चारे-दाने की कीमतों में वृद्धि से बच सकते हैं।
7. पशुपालकों को चाहिए कि यदि खुरपका- मुँहपका, गलघोंटू, फड़किया और ठपपा रोग आदि के टीके नहीं लगवाए हैं तो समय रहते लगवा लें।
सर्वाधिक सम्भावित पशु रोग पूर्वानुमान अप्रैल, 2019
पशु रोग पशु प्रकार क्षेत्र
खुरपका एवं मुँहपका रोग गाय, भैंस, बकरी, भेड़ भरतपुर, दौसा, बाँसवाड़ा, श्रीगंगानगर, चूरू, जयपुर, सवाई- माधोपुर, धौलपुर, चित्तौड़गढ़, नागौर, अलवर, हनुमानगढ़, सीकर, अजमेर, जालोर, बीकानेर, बाड़मेर
पी.पी.आर. रोग भेड़, बकरी सवाईमाधोपुर, जयपुर, श्रीगंगानगर, बीकानेर, उदयपुर, नागौर, अजमेर, सीकर, कोटा, भीलवाड़ा, पाली
चेचक (माता) रोग बकरी, भेड़, ऊँट जयपुर, श्रीगंगानगर, झुंझंुनू़, जालोर, बीकानेर, हनुमानगढ, सीकर
गलघोंटू रोग गाय, भैंस अलवर, धौलपुर, जयपुर, सवाई-माधोपुर, बूँदी, अजमेर, दौसा, राजसमन्द, झंुझुनूं, बारां, सीकर, पाली, हनुमानगढ़
ठप्पा रोग गाय, भैंस जैसलमेर, चित्तौड़गढ़, राजसमन्द, बीकानेर, झुंझुनू, हनुमानगढ़, जालोर, श्रीगंगानगर, जोधपुर
फड़किया रोग भेड़, बकरी सवाईमाधोपुर, बाँसवाड़ा, जयपुर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, अलवर, नागौर, धौलपुर, टोंक, जोधपुर, कोटा
न्यूमोनिक पाष्चुरेल्लोसिस गाय, भैंस, भेड़, बकरी अलवर, टोंक, सीकर, बीकानेर, हनुमानगढ़, झुंझंुनू, भरतपुर
बोटूलिज्म गाय जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, पाली, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़
कंटेजियस कैप्राइन
प्लयूरोन्यूमोनिया भेड़, बकरी जयपुर, झुंझुंनू, श्रीगंगानगर, बारां
सर्रा (तिबरसा) रोग भैंस, ऊँट, गाय धौलपुर, नागौर, बाँसवाड़ा, हनुमानगढ़, भरतपुर
अन्तः परजीवी
(गोल कृमि, पर्णकृमि) गाय, भैंस, भेड़ बकरी डूँगरपुर, बूँदी, धौलपुर, भरतपुर, सीकर, बाँसवाड़ा, कोटा, राजसमन्द, हनुमानगढ, श्रीगंगानगऱ
रानीखेत रोग मुर्गियां अजमेर, जयपुर, श्रीगंगानगर, बीकानेर, अलवर, कोटा
इन्फेक्षियस ब्रोेंकाईटिस मुर्गियां अजमेर, जयपुर, श्रीगंगानगर, बीकानेर, अलवर, कोटा
विस्तृत जानकारी के लिए सम्पर्क करंे – प्रो. राकेष राव, अधिष्ठाता, वेटरनरी कॉलेज, बीकानेर, डॉ. ए.के. कटारिया, प्रभारी अधिकारी, एपेक्स सेन्टर एवं डॉ. अन्जु चाहर, विभागाध्यक्ष, जनपादकीय रोग विज्ञान एवं निवारक पशु औषध विज्ञान विभाग, वेटरनरी कॉलेज, बीकानेर । फोन- 0151-2543419, 2544243, 2201183, टोल फ्री नम्बर 18001806224