श्रीगंगानगर, 7 मई (मुखपत्र)। निर्धन एवं जरूरतमंद बच्चों के लिए आजीवन शिक्षा की अलख जगाते रहे पद्मश्री प्रो. श्यामसुंदर महेश्वरी (विद्यार्थी शिक्षा सहयोग समिति) का शनिवार को 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे पिछले कुछ दिन से अस्वस्थ चल रहे थे।
प्रो. महेश्वरी ने तीन दशक से भी अधिक समय तक श्रीगुरु नानक खालसा पीजी कॉलेज, श्रीगंगानगर में प्राध्यापक के रूप में सेवा दी। सेवाकाल के दौरान ही उन्होंने रेलवे स्टेशन के पास झुग्गियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया। यह बच्चे दिन भर सड़कों पर घूमते भीख मांगते थे। इन बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था उनकी झुग्गियों के पास ही की गई, जहां एक अध्यापक सुबह तीन-चार घण्टे इन्हें पढ़ाता। अक्षर ज्ञान होने के बाद सभी बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूल में करवा दिया। उन बच्चों में से कई बच्चे आज सरकारी सेवा में हैं।
सैकड़ों जरूरतमंद बच्चों को मिल रही है नि:शुल्क शिक्षा
आर्थिक कारणों से बीच में पढ़ाई छोड़ देने वाले बच्चों को पढऩे में मदद करने के उद्देश्य से प्रो. महेश्वरी ने 1990 में विद्यार्थी शिक्षा सहयोग समिति की स्थापना कर शहर के उन दानवीरों को इससे जोड़ा, जो निर्धन परिवारों के प्रतिभाशाली बच्चों को उनकी पढ़ाई के लिए आर्थिक सहयोग देना चाहते थे। विद्यार्थी शिक्षा सहयोग समिति की मदद से दर्जनों बच्चे सरकारी सेवा में उच्च पदों पर पहुंचे। वर्तमान में समिति द्वारा संचालित उच्च प्राथमिक विद्यालय में निर्धन परिवारों के सैकड़ों बच्चे नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
2009 में मिला था पद्मश्री सम्मान
प्रो. महेश्वरी लम्बे समय तक समिति के सचिव रहे। वर्तमान में वे इसके अध्यक्ष थे। शिक्षा के क्षेत्र में इस अद्वितीय नवाचार के लिए भारत सरकार ने 14 अप्रैल 2009 को उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताया है। उनका अंतिम संस्कार रविवार को होगा। अंतिम यात्रा सुबह 9 बजे निवास स्थान 3 एफ ब्लॉक, श्रीगंगानगर से पदमपुर मार्ग स्थित कल्याण भूमि के लिए रवाना होगी। मुखपत्र परिवार प्रो. श्याम सुंदर महेश्वरी के देहांत पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त करता है।