राजस्थान म्यूनिसिपल एक्ट इलेक्शन रूल्स में परिवर्तन
अब पहले जैसाा नहीं रहेगा पार्षदों का जलवा
जयपुर। राजस्थान में अब पार्षदों/पालिका सदस्यों की खरीद फरोख्त का दौर समाप्त होने वाला है। अब कोई पूंजीपति जनता के समर्थन के बिना, केवल अपने धनबल से शहर की सरकार का मुखिया नहीं बन पाएगा। अब पार्षद नहीं बल्कि जनता जिसे चाहेगी, उसी के सिर शहर की सरकार का ताज सजेगा।
राजस्थान में अशोंक गहलोत सरकार ने अपने एक और चुनावी वादे को पूरा करते हुए प्रदेश में नगर निगम में मेयर, नगर परिषद में सभापति और नगर पालिका में अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से कराने का नियम लागू कर दिया है। सरकार ने गुरुवार को राजस्थान म्यूनिसिपल एक्ट इलेक्शन रूल्स 1994 में बदलाव कर दिया। राज्य के 193 नगरीय निकायों में आगामी चुनाव में यह प्रणाली अपनाई जाएगी। इससे मेयर, सभापति व अध्यक्ष के चुनाव में पार्षदों का प्रभूत्व समाप्त हो जायेगा। नगरीय निकाय के चुनाव में प्रत्येक मतदाता को अब दो वोट डालने होगे। एक वोट मेयर/सभापति/अध्यक्ष के चुनाव के लिए और दूसरा पार्षद चुनने के लिए।
राज्य में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल (वर्ष 2009 से 2014) में भी मेयर, सभापति व अध्यक्ष को चुनाव सीधे जनता से करवाया जाता था। हालांकि पार्षदों को चुनाव पूर्व की भांति वार्डवाइज होता था। इसी व्यवस्था से शहर की सरकार का चुनाव होता था, लेकिन भाजपा ने सत्ता में आकर नियमों में परिवर्तन कर पुन: पार्षदों को ही शहर की सत्ता का केद्र बना दिया।
राजस्थान में १९३ नगरीय निकाय
स्थानीय निकाय विभाग के वरिष्ठ विधि परामर्शी अशोक सिंह के अनुसार, वर्ष 2014 में गठित बोर्ड का कार्यकाल 2019 तक और 2015 में गठित बोर्ड का कार्यकाल 2020 तक है। पुराने बोर्ड में यदि किसी प्रकार का पद रिक्तहोता है तो उनके चुनाव पुरानी अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही होंगे। चाहे अध्यक्ष, सभापति या मेयर का पद खाली हो। जिन निकायों में नए चुनाव की घोषणा होगी, वहां अब नए संशोधन के अनुसार सीधे जनता द्वारा ही मेयर, सभापति और अध्यक्ष का चुनाव किया जायेगा। राज्य में वर्ष 2019 में 44 और 2020 में शेष 149 नगरीय निकायों में चुनाव होंगे।
पांच और राज्यों में है प्रत्यक्ष प्रणाली
उल्लेखनीय है कि राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से मेयर/सभापति/अध्यक्ष चुने जाने की व्यवस्था लागू है।