किसान संगठनों ने कहा, तीनों कृषि कानून रद्द करने से कमतर कुछ भी स्वीकार नहीं
नई दिल्ली, 4 दिसम्बर। लगभग तीन दर्जन किसान संगठनों ने कृषि कानूनों पर सरकार के साथ आरपार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। किसान नेताओं ने स्पष्ट किया है कि, बेशक शनिवार की वार्ता में सरकार की ओर से कुछ रियायतें दिये जाने की संभावन है, लेकिन हमें तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने से कमतर कुछ भी स्वीकार नहीं है।
विवादित कृषि कानूनों को वापिस लेने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा, यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान के किसान शुक्रवार को नौवें दिन भी दिल्ली के आसपास के एरिया में तीन हाइवे अवरुद्ध करके धरने पर बैठे हैं। नए कृषि कानूनों पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई लड़ रहे किसान अपनी मांगों को लेकर किसी भी सूरत में झुकने को तैयार नहीं हैं। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगे मानने की अपील की है।
दिल्ली-हरियाणा को जोडऩे वाले सिंघु बॉर्डर पर डटे किसान संगठनों ने शुक्रवार शाम को प्रेस वार्ता कर घोषणा की कि यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो 5 दिसंबर को देशभर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले जलाएंगे और 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया जाएगा।
विफल रही थी गुरुवार की बैठक
उल्लेखनीय है कि कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के नेतृत्व में तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसान संगठनों के पदाधिकारियों और प्रदर्शनकारी किसानों की गुरुवार को हुई बैठक विफल रही थी। लगभग आठ घंटे चली इस बैठक में किसान नेता नए कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अडिग हैं। किसान नेताओं के बातचीत के बीच में सरकार की तरफ से की गई दोपहर के भोजन, चाय और पानी की पेशकश को भी ठुकरा दिया।
सरकार ने बातचीत के लिए पहुंचे विभिन्न किसान संगठनों के 40 किसान नेताओं के समूह को आश्वासन दिया कि उनकी सभी वैध चिंताओं पर गौर किया जाएगा और उन पर खुले दिमाग से विचार किया जाएगा, लेकिन दूसरे पक्ष ने कानूनों में कई खामियों और विसंगतियों को गिनाते हुए कहा कि इन कानूनों को सितंबर में जल्दबाजी में पारित किया गया।
सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कानून में संशोधन करने, विवाद की स्थिति में एसडीएम के अलावा हायर कोर्ट में अपील करने, बिजली दरों को लेकर बिल और पराली जलाने पर लगाये जाने वाले जुर्माने को लेकर कुछ रियायतें देने की बात की जा रही है, लेकिन किसान संगठन चाहते हैं कि तीनों कृषि कानून रद्द किये जायें।