नवगठित समिति में तीन माह के भीतर चुनाव करवाना आवश्यक

श्री आंजना प्रश्नकाल में विधायकों की ओर से पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि यह सही है कि नवगठित सभी ग्राम सेवा सहकारी समितियों में तीन माह में चुनाव होने थे। लेकिन लोकसभा आम चुनाव के दौरान आचार संहिता लगने के कारण यह चुनाव नहीं करवाये जा सके।
इससे पहले विधायक बाबू लाल नागर के मूल प्रश्न के जवाब में सहकारिता मंत्री ने बताया कि विभाग द्वारा निर्धारित मानदण्ड के अनुसार नवगठित ग्राम सेवा सहकारी समिति के 500 सदस्य, 5.00 लाख रुपये हिस्सा राशि एवं 1.00 लाख रुपये अमानत राशि तथा अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में अमानत राशि 75000 रुपये होना आवश्यक है। उन्होंने इसकी प्रति सदन के पटल पर रखी।
श्री आंजना ने बताया कि राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2001 की धारा 15(1)(क), राजस्थान सहकारी सोसाइटी नियम, 2003 के नियम 34(2)(॥) तथा ग्राम सेवा सहकारी समितियों के लिए बने हुए आदर्श उपनियम संख्या1 5(1)(क) में उल्लेखित सदस्यों के लिए जो योग्याताऎं निर्धारित हैं, वही ग्राम सेवा सहकारी समिति के नवगठन हेतु मनोनीत तथा बाद में निर्वाचित पदाधिकारियों की योग्यताऎं होती हैं।
नवगठित समिति में केवल तीन माह के लिए मनोनयन
सहकारिता मंत्री ने बताया कि नवगठित ग्राम सेवा सहकारी समितियों के संचालक मण्डल का कार्यकाल रजिस्ट्रीकरण की तारीख से केवल तीन महीने के लिए होता है। तीन महीने की कालावधि के भीतर-भीतर नवीन संचालक मण्डल का चुनाव होते ही पूर्व में गठित संचालक मण्डल कार्य करना बन्द कर देगा। राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2001 की धारा 27(1) के अनुसार ऎसे व्यक्ति, जिन्होंने सोसाइटी का रजिस्ट्रीकरण करने के आवेदन पर हस्ताक्षर किये हैं, सोसाइटी के कार्यकलापों के संचालन के लिए रजिस्ट्रीकरण की तारीख से तीन मास की कालावधि के लिए कोई समिति नियुक्त कर सकेंगे, किन्तु इस परन्तुक के अधीन नियुक्त समिति, ऎसी किसी नई समिति, जिसका गठन उपविधियों के अनुसार तीन मास की उक्त कालावधि के भीतर-भीतर किया जाएगा, के गठन के कृत्य करना बन्द कर देगी।