नई दिल्ली, 18 अप्रेल। ग्रामीण विकास मंत्रालय के दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ने आज “संगठन से समृद्धि- किसी ग्रामीण महिला को पीछे नहीं छोडऩा” अभियान लॉन्च किया। यह अभियान आजादी का अमृत महोत्सव समावेशी विकास के अंतर्गत लॉन्च किया गया है और इसका उद्देश्य पात्र ग्रामीण परिवारों की 10 करोड़ महिलाओं को एकत्रित करना है। यह विशेष अभियान 30 जून, 2023 तक चलेगा और इसका उद्देश्य स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के अंतर्गत सभी कमजोर और सीमांत ग्रामीण परिवारों को लाना है, ताकि वे ऐसे कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदान किए जा रहे लाभ को प्राप्त कर सकें।
यह अभियान 1.1 लाख स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बनाने की आशा के साथ सभी राज्यों में चलाया जाएगा। अभियान के माध्यम से ग्राम संगठनों की सामान्य बैठकें आयोजित करके तथा एसएचजी चैम्पियनों द्वारा अनुभव साझा करने जैसे कदमों से छुटे हुए परिवारों को एसएचजी में शामिल करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। सामूहिक संसाधन व्यक्ति अभियान आयोजित किया जाएगा, पीएमएवाई-जी लाभार्थी परिवारों से पात्र महिलाओं को जुटाया जाएगा, नए एसएचजी सदस्यों को प्रशिक्षित किया जाएगा, निष्क्रिय एसएचजी को पुनर्जीवित किया जाएगा, एसएचजी बैंक खाते खोले जाएंगे तथा अन्य हितधारकों द्वारा सम्वर्धित एसएचजी का सामान्य डाटाबेस बनाया जाएगा।
ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने नई दिल्ली में अन्य मंत्रालयों और प्रमुख भागीदार बैंकों के गणमान्य व्यक्तियों और अधिकारियों की उपस्थिति में यह अभियान लॉन्च किया।
सकल घरेलू उत्पाद पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा
इस अवसर पर गिरिराज सिंह ने कहा कि जब सभी 10 करोड़ एसएचजी सदस्य लखपति दीदियां बन जाएंगी, तब इसका देश की सकल घरेलू उत्पाद पर स्वत: काफी प्रभाव पड़ेगा। इसी विजन के साथ डीएवाई-एनआरएलएम प्रारंभ किया गया था ताकि प्रत्येक ग्रामीण परिवार की कम से कम एक महिला सदस्य स्वयं सहायता समूह में शामिल हो सके और अपनी आजीविका में सुधार के लिए कार्यक्रम के अंतर्गत दिए गए अवसरों और वित्तीय सहायता का लाभ उठा सके।
एक करोड़ अतिरिक्त महिलाओं को जोडऩे का प्रयास
उन्होंने कहा कि हम एसएचजी आंदोलन में पहले से शामिल 9 करोड़ महिलाओं में अतिरिक्त एक करोड़ महिलाओं को शामिल करने लिए “संगठन से समृद्धि” अभियान लॉन्च कर रहे हैं। उन्होंने समस्त एसएचजी सदस्यों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने गांवों में छूटी हुई महिलाओं तक पहुंच बनाएं और उन्हें वर्तमान एसएचजी में शामिल होने या अपना स्वयं का एसएचजी बनाने के लिए प्रेरित करें।