नई दिल्ली, 24 सितम्बर (एजेंसी)| भारत और बांग्लादेश की सीमा से जहां पहले नकली भारतीय करेंसी नोट की तस्करी होती थी, वहीं अब मटर जैसा प्रतिबंधित दलहन भी भारी परिमाण में भारतीय बाजार में झोंका जाने लगा है। देश के किसानों को फसल का अच्छा भाव दिलाने के मकसद से भारत सरकार ने मटर के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन गलत तरीके से मोटी कमाई करने वालों ने अब मटर की तस्करी शुरू कर दी है।
बांग्लादेश के रास्ते चोरी-छिपे देश के बाजारों में मटर पहुंचने से इस महीने मटर का भाव करीब 300-400 रुपये प्रति कुंटल टूटा है। त्योहारी सीजन में मटर का भाव कम होने से उपभोक्ताओं को भले ही सस्ती दाल और बेसन मिले, लेकिन इससे कारोबारी परेशान हैं और अगर इस पर लगाम नहीं लगा तो किसानों को भी नुकसान होगा।
300 फीसदी बढ़ गया मटर का आयात
कोलकाता के एक दलहन कारोबारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि बांग्लादेश और नेपाल के रास्ते देश के बाजारों में मटर झोंकी जा रही है। तस्कर जो मटर चोरी-छिपे देश में भेज रहे हैं, वह कनाडा से आ रही है। मटर की तस्करी का अंदाजा बांग्लादेश के आयात के आंकड़े से लगाया जा सकता है। आंकड़ों के अनुसार, बीते साल की तुलना में इस साल बांग्लादेश का मटर आयात 300 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है।
कनेडियन ग्रेन कमीशन की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, बांग्लादेश ने 2018-19 (अगस्त-जुलाई) के दौरान 6,61780 टन मटर का आयात किया है, जबकि इसी अवधि के दौरान पिछले साल बांग्लादेश ने मटर का आयात 1,51,186 टन किया था। इस प्रकार पिछले साल के मुकाबले बांग्लादेश का मटर आयाज इस साल 337.7 फीसदी बढ़ गया है।
ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के प्रेसीडेंट सुरेश अग्रवाल इस संबंध में जानकारी होने से इंकार कर दिया। बांग्लादेश से मटर आयात के आंकड़े बताए जाने पर अग्रवाल ने भी हैरानी जताई और कहा कि बांग्लादेश में मटर की खपत एक साल में इतनी अधिक हो गई है, इससे संदेह पैदा होता है।
तस्करी के कारण गिरा मटर का भाव
कारोबारियों ने बताया कि मटर की तस्करी होने के कारण बीते महीने जहां मटर का भाव 5,700 रुपये प्रति कुंटल था, वहीं इस समय 5,300-5,400 रुपये प्रति कुंटल है। इससे पहले भाव 5,000-5,100 रुपये प्रति कुंटल तक गिर गया था। केंद्र सरकार ने मटर को प्रतिबंधित श्रेणी में रखा है और सालाना 1.5 लाख टन की आयात सीमा तय की है।
कानपुर के एक कारोबारी ने बताया कि आयात पर प्रतिबंध लगने के कारण मटर का भाव पहले ही चना से ऊंचा चल रहा है, जिसके कारण इसकी मांग कम है। मगर, तस्करी का मटर आने से वह सस्ते भाव पर बाजार में बिक जाती है, जिससे कारोबार पर असर पड़ा है।