सीआरएआर डिफाल्ट होने से नाबार्ड ने पहले ही बंद कर रखा है फसली ऋण का पुनर्भरण
जयपुर (मुखपत्र)। पूर्ववर्ती राज्य सरकार की लापरवाही और उसी की सरपरस्ती में तत्कालीन प्रबंध निदेशक विद्याधर गोदारा के नेतृत्व में अपेक्स बैंक के नकारा प्रबंधन के कारण राजस्थान का एक और केंद्रीय सहकारी बैंक बर्बादी की कगार पर पहुंच चुका है। पूववर्ती सरकार के सहकारिता मंत्री अजयसिंह किलक के गृहजिले का नागौर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक (नागौर सीसीबी) अब स्वयं के कोष के गलत कृषि निवेश के कारण विवादों में है।
वित्तीय कुप्रबंधन के चलते बैंक अब तक के सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। आंकड़ों को जोड़-तोड़ कर पेश करने की बैंक प्रबंधन का चाल कामयाब नहीं हो सकी है। बैंक का सीआरएआर (पूंजी पर्याप्तता अनुपात) डिफाल्ट होने के कारण नाबार्ड द्वारा नागौर सीसीबी को अल्पकालीन फसली ऋण का पुनर्भरण रोका जा चुका है। बैंक के स्वयं के कोष की 150 करोड़ रुपये से अधिक राशि किसान सहकार कल्याण योजना में फंसी होने के खुलासे के बाद सहकारिता विभाग और अपेक्स बैंक में हड़कम्प मचा हुआ है।
चार साल ने नहीं बदला एमडी
नागौर सीसीबी में प्रबंध निदेशक पद पर पूर्ववर्ती सरकार के सहकारिता मंत्री अजयसिंह किलक के चहेते ज्वाइंट रजिस्ट्रार पृथ्वीपाल सिंह नियुक्त हैं, जो नागौर में ही रहने के लिए एक प्रमोशन फोरगो कर चुके हैं। वे एक बैंक में अधिकतम ठहराव की तीन साल की सीमा से भी लगभग सवा साल अधिक समय से प्रबंध निदेशक का पद संभाले हुए हैं।
सीआरएआर डिफाल्ट
बैंक प्रबंधन पर आरोप है कि उन्होंने गलत तथ्यों के आधार पर वर्ष 2017-18 में सीआरएआर (पूंजी पर्याप्तता अनुपात) 9 प्रतिशत से कुछ अधिक बताया था। नाबार्ड की द्विवार्षिक निरीक्षण में बैंक का सीआरएआर 8 प्रतिशत से कम आंका गया। इसपर नाबार्ड ने फसली ऋण के लिए नागौर सीसीबी का रिफाइनेंस (पुनर्भरण) रोक दिया, जिसके चलते किसानों को फसली ऋण नहीं मिलने की आशंका पैदा हो गयी है।
मामला सामने आने के पश्चात अपेक्स बैंक के वर्तमान प्रबंध निदेशक इन्दर सिंह ने इसे गंभीरता से लेते हुए नागौर बैंक से जवाब तलब किया। हालांकि बैंक के प्रबंध निदेशक पीपी सिंह का दावा है कि 31 मार्च 2018 को बैंक का ऑडिटेड सीआरएआर 9.07 प्रतिशत था। नाबार्ड ने निरीक्षण के दौरान, एनपीए ऋणों की आधिक्य राशि के प्रावधान को नहीं माना, जिसके चलते सीआरएआर 7.96 प्रतिशत ही मानी गयी। नाबार्ड की यह निरीक्षण रिपोर्ट बैंक को 26 नवम्बर 2018 को प्राप्त हुई।
जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार कर रहे हैं जांच
प्रबंध निदेशक के जवाब से असंतुष्ट होने के पश्चात सहकारिता विभाग द्वारा जांच बिठाई गयी है। बैंक प्रबंधन पर महंगी ब्याज दर पर ऋण लेकर उसे सस्ते कर्ज में उपयोग लेने का भी आरोप है। यह जांच अजमेर के जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार रविन्द्र कुमार पुरोहित कर रहे हैं। उनके साथ सहयोग के लिए अपेक्स बैंक के अपेक्स बैंक के उप-महाप्रबंधक (आयोजना एवं विकास) प्रमोद कुमार नाग को लगाया गया है। (विस्तृत समाचार सहकार गौरव में पढ़ें)