नाबार्ड द्वारा स्टेट क्रेडिट सेमिनार का आयोजन, स्टेट फोकस पेपर का विमोचन
जयपुर, 8 दिसम्बर (मुखपत्र)। प्राथमिकता क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए, राजस्थान में एकीकृत और सतत ग्रामीण विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य के लिए 2 लाख 75 हजार करोड़ रुपये के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण सम्भाव्यता का अनुमान लगाया है। ऋण की सम्भावित राशि पिछले वर्ष की तुलना में 9.6 प्रतिशत अधिक है।
नाबार्ड द्वारा गुरुवार को जयपुर में आयोजित आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार के दौरान सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती श्रेया गुहा और भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक रोहित पी. दास ने नाबार्ड द्वारा वर्ष 2023-24 के लिए तैयार किए गए स्टेट फोकस पेपर (एसएफपी), जो राजस्थान राज्य में भौतिक और वित्तीय, दोनों संदर्भ में, दोहन योग्य जिलावार यथार्थवादी सम्भाव्यता का समेकित लेखाजोखा भी है, का विमोचन किया। इस अवसर पर राजस्थान सरकार के शासन वित्त (बजट) सचिव रोहित गुप्ता एवं एसएलबीसी संयोजक कमलेश कुमार चौधरी भी उपस्थित थे।
फोकस पेपर बजट के लिए महत्वपूर्ण होगा
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए श्रीमती गुहा ने कहा कि यह फोकस पेपर सरकार के साथ-साथ बैंकों के लिए भी एक मार्गदर्शक की भूमिका निभायेगा और सरकार के आने वाले बजट के लिए भी महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने बताया कि गैर कृषि क्षेत्र में ऋण उपलब्ध कराने के मामले में राजस्थान एक अग्रणी राज्य हैं व इससे बड़ी संख्या में महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं। उन्होंने नाबार्ड को उनके कृषि विकास के कार्यों के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि कि हम सभी का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र का विकास ही है।
ट्रेनिंग सोसाइटी बनाने पर विचार
शासन सचिव रोहित गुप्ता ने कहा कि ग्रामीण विकास का राज्य की प्रगति में महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार एक ट्रेनिंग सोसाइटी बनाने का विचार कर रही है, जिसमे बैंकर्स अपने विचार रख सकते हैं और प्राथमिकता क्षेत्र में अपना योगदान दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि नाबार्ड को समय-समय पर अधिकारियों व आम जनता के लिए प्रशिक्षण, क्षमता सेमिनार आदि भी आयोजित करते रहने चाहिए।
59 प्रतिशत ऋण राशि कृषि व सम्बद्ध गतिविधि के लिए
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक बैज्जू कुरप ने बताया कि कुल अनुमानित ऋण सम्भाव्यता में से 1,62,291 करोड़ रुपये यानी 59 प्रतिशत कृषि और सम्बद्ध गतिविधियों के लिए आंकलित किया गया है। एमएसएमई क्षेत्र के लिए 81, 299 करोड़ रुपये 30 प्रतिशत और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे- आवास, शिक्षा आदि के लिए 3,1410 करोड़ रुपये यानी 11 प्रतिशत आंकलित किया गया है। एसएफपी में अनुमानित ऋण सम्भाव्यता का उपयोग वर्ष 2023-24 के लिए बैंकों द्वारा वार्षिक ऋण योजना तैयार करने के लिए एक आधार दस्तावेज के रूप में किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सेमीनार में विभिन्न क्षेत्रों में नाबार्ड, वित्तीय संस्थान, राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए नीतिगत सहयोग और कार्यक्रम का संज्ञान लेने के अलावा आधार स्तर पर ऋण की मांग पर विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने बताया कि कृषि बुनियादी ढांचे में निवेश में वृद्धि, कृषि उपज के समूहीकरण, मूल्य सम्वर्धन और किसानों को किसान उत्पादक संगठनों में संगठित करके उत्पादकता बढ़ाने में आने वाली समस्या के निराकरण के लिए विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए।
कृषक उत्पादक संगठनों को किया पुरस्कृत
प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गुहा ने कृषक उत्पादक संगठनों को उनके कृषि उत्पाद गुलकंद, तेल, मसाले, अचार, सोयाबीन आदि के लिए पुरस्कार प्रदान किए। सेमिनार में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, वरिष्ठ बैंकर, समुदाय आधारित संगठनों के प्रतिनिधि, कृषि और ग्रामीण विकास क्षेत्र के विशेषज्ञ, गैर सरकारी संगठन आदि उपस्थित थे।