विधानसभा में सहकारी समितियों के कर्मचारियों की आवाज बनेंगे विधायक
को-ऑपरेटिव सोसाइटी कर्मचारियों की ज्वलंत मांगों पर विधानसभा में होगी चर्चा
जयपुर, 24 जुलाई (मुखपत्र)। लम्बे अर्से से सहकारी नीतियों से उपेक्षित और हाल के वर्षों में आर्थिक रूप से शोषित, ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांगों को जनप्रतिनिधियों के माध्यम से राजस्थान विधानसभा के मंच पर स्थान मिल सकता है। बजट घोषणा और पर्याप्त बजटीय प्रावधान के बावजूद, काफी समय से ब्याजमुक्त अल्पकालीन फसली ऋण वितरण की एजव में राजस्थान सरकार की ओर से देय 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान नहीं मिलने से, हजारों पैक्स (PACS), लैम्पस (LAMPS) कर्मचारी दो साल से वेतन की बाट जोह रहे हैं, लेकिन कहीं उनकी सुनवाई नहीं हो रही। दो साल पहले जारी हुए व्यवस्थापकीय सेवा नियम 2022 में, प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के व्यवस्थापकों के लिए शत-प्रतिशत आरक्षित, जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCB) में ऋण पर्यवेक्षक पद के लिए आरक्षण समाप्त कर दिया। साथ ही, उन्हें सहकारी सोसाइटी का ही कर्मचारी मानते हुए, कॉमन कैडर की मांग की जड़ में मट्ठा डाल दिया गया।
रायसिंहनगर से कांग्रेस विधायक सोहन नायक और अनूपगढ़ से कांग्रेस विधायक शिमला नायक, सांगवाड़ा विधायक शंकरलाल डेचा द्वारा राजस्थान की ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापकों के लिए वेतन, सहकारी सोसाइटियों में व्यवस्थापक के रिक्त पदों पर भर्ती, ब्याज अनुदान की बकाया राशि का भुगतान और व्यवस्थापकों के ऋण पर्यवेक्षकों के पद पर पदोन्नति आदि से सम्बंधित सवाल पूछे गये हैं।