राज्य सरकार के आदेश पर कोतवाली में खन्ना के विरुद्ध 420, 467, 468, 471 आईपीसी में दर्ज हुआ था केस
श्रीगंगानगर। शहर की कोतवाली पुलिस ने गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक के निवर्तमान प्रबंध निदेशक मंगतराम खन्ना उर्फ डॉ. एमआर खन्ना के विरुद्ध धारा 420, 467, 468, 471 आईपीसी में दर्ज मामले में एफ.आर. (अंतिम प्रतिवेदन) प्रस्तुत की है। बड़ी-बड़ी डील करने के लिए चर्चित रहे खन्ना के रुतबे से प्रभावित कोतवाली पुलिस का तर्क है कि करोड़ों रुपये के बैंकिंग कारोबार से जुड़ा अधिकारी पुरानी कार को बेचने के लिए फर्जी पत्र तैयार नहीं कर सकता। मामले की जांच शहर कोतवाल हनुमानराम बिश्नोई द्वारा की गयी।
नियम और कानून को खूंटी पर टांग कर काम करने के लिए चर्चित मंगतराम खन्ना के विरुद्ध सहकारिता विभाग द्वारा वित्तीय एवं प्रशासनिक अनियमितताओं के 20 प्रकरणों की अधिनियम अंतर्गत जांच करवा रहा है। ग्राम सेवा सहकारी समितियों के अध्यक्षों की शिकायत पर तत्कालीन जिला कलेक्टर एवं बैंक प्रशासक ज्ञानाराम ने ये प्रकरण विभाग को भिजवाए थे।
वित्तीय एवं प्रशासनिक अनियमितताओं से हुए नुकसान का दायित्व निर्धारण करने के लिए राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 55 के अंतर्गत करवायी जा रही जांच लम्बे समय से बीकानेर के जोनल एडिशनल रजिस्ट्र्रार के पास लम्बित है। खन्ना के विरुद्ध विभागीय स्तर पर अनुशासनात्मक कार्यवाही भी प्रक्रियाधीन है।
मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रट की अदालत में पेश अंतिम प्रतिवेदन में पुलिस ने सरकार की ओर से दर्ज फौजदारी मुकदमे को सिविल नेचर का बताया है। पुलिस का साफ-साफ मानना है कि सैकड़ों करोड़ रुपये के बैंकिंग कारोबार से जुड़ा मंगतराम खन्ना पुरानी कार बेचने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार नहीं कर सकता।
अंतरयामी कोतवाली पुलिस का यह भी मानना है कि जिस फर्जी दस्तावेज के आधार पर मंगतराम खन्ना ने, बिना नीलामी प्रक्रिया अपनाए, बैंक की एयरकंडीशनर एम्बेसडर कार (आरजे 13 सीए 1811) को मात्र 70 हजार रुपये में बेच दिया, वह पत्र बैंक स्टाफ की आपसी खींचतान से उपजा है।
नीलामी की बजाय कोटेशन से बेची कार
मंगतराम खन्ना ने गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक में प्रबंध निदेशक रहते हुए बैंक की उपरोक्त एम्बेसडर कार को कंडम घोषित करवाकर उसे मात्र 70 हजार रुपये में कोटेशन के आधार पर बेच दिया था। नियमानुसार इस कार को नीलामी के माध्यम से बेचा जाना था। बैंक के स्टोर अनुभाग द्वारा कार रिपेयरिंग का बिल प्रस्तुत किये जाने पर खन्ना ने, किसी संदर्भ के बिना ही, कार गेचने का आदेश जारी कर दिया था।
स्टोर अनुभाग ने विभागीय प्रपत्र का हवाला देते हुए कार बेचने से बार-बार इंकार किया। इसी दौरान खन्ना की ओर से रजिस्ट्रार कार्यालय जयपुर के पदस्थ अतिरिक्त रजिस्ट्रार बैंकिंग के एक पत्र को फाइल में अटैच कर कार को कोटेशन आधार पर बेचने का आदेश जारी कर दिया। उस समय कार की बुक वैल्यू 1 लाख 29 हजार रुपये थी एवं बीमा कम्पनी ने एक लाख 10 हजार रुपये कीमत आंकते हुए प्रिमीयम वसूल किया था। लेकिन खन्ना से इन सब को नजरांदाज करते हुए कोटेशन के आधार पर मात्र 70 हजार रुपये में कार बेच दी।
रजिस्ट्रार कार्यालय से जारी नहीं हुआ पत्र
बाद में एक शिकायत के आधार पर खुलासा हुआ कि खन्ना ने रजिस्ट्रार कार्यालय के जिस पत्र को आधार बनाया था, वह पत्र कभी रजिस्ट्रार कार्यालय से जारी ही नहीं हुआ। इस पत्र की फोटोप्रति खन्ना ने ही फाइल में लगायी थी। विभागीय जांच एवं पुलिस को दिये बयान में प्रबंध निदेशक सैल एवं स्टोर अनुभाग ने ऐसा कोई पत्र प्राप्त होने से इंकार किया था।
आरोप है कि खन्ना ने ही वह कूटरचित पत्र तैयार किया था, जिस पर तत्कालीन अतिरिक्त रजिस्ट्रार बैंकिग राजीव लोचन के हस्ताक्षर थे। यह मामला रजिस्ट्रार के ध्यान में लाये जाने पर गंंगानगर पीएलडीबी सचिव राजेंद्र सिकलीगर ने प्राथमिक जांच में कूटरचित पत्र के लिए खन्ना को दोषी माना था। इस प्रकरण की दोबारा जांच तत्कालीन ज्वाइंट रजिस्ट्रार (वर्तमान में एडिशनल रजिस्ट्रार एवं प्रबंध निदेशक गंगानगर सीसीबी) भूपेंद्र ङ्क्षसह ने की। उन्होंने भी कूटरचित दस्तावेज के लिए खन्ना को दोषी माना।
स्वयं राजीव लोचन ने भी अपने हस्ताक्षर से ऐसा पत्र जारी करने से इंकार किया था। यहां तक कि, उपरोक्त स्वीकृति पत्र जिस फाइल से डील हुआ था, रजिस्ट्रार कार्यालय के बैंकिंग अनुभाग में उस प्रकार की कोई फाइल ही संधारित नहीं की जाती। रजिस्ट्रार कार्यालय अथवा बैंक में कूटरचित पत्र की मूलप्रति नहीं मिलने के बावजूद होनहार कोतवाली पुलिस ने खन्ना को क्लीन चिट दे दी। कोतवाली पुलिस ने मंगतराम खन्ना के रुतबे से प्रभावित होते हुए, यह मान लिया कि वे कुछ हजार रुपये के लिए ऐसा कूटरचित दस्तावेज तैयार नहीं कर सकते। यह किसी और का काम है।
बीमा प्रकरण में भी क्लीन चिट
खन्ना ने इस एम्बेसडर कार को 15 फरवरी 2017 को कोटेशन के आधार पर मात्र 70 हजार रुपये में बेचा था। तब इसकी बुक वैल्यू एक लाख 29 हजार रुपये थी। बेचने ने पहले कार को कंडम घोषित करवाया गया। बेचने के तुरंत बाद इस कर को खरीदार के सुपुर्द कर दिया गया। लेकिन कार विक्रेता पर खन्ना की कृपा बरकरार रही। खन्ना ने 23 मार्च 2017 को बैंक की ओर से 7146 रुपये का प्रिमीयम अदा कर, क्रेता के पक्ष में कार का बीमा करवा दिया। पुलिस ने इस मामले में भी खन्ना को क्लीन चिट दे दी।
जेम्स बांड पुलिस का मानना है कि कार की आरसी ट्रांसफर होने में देरी हुई, इसलिए कार की संभावित दुर्घटना से होने वाले बड़े नुकसान से बचने के लिए बैंक ने बीमा करवाकर दिया। यह गौर करने लायक बात है कि कार को कंडम घोषित करके बेचा गया था। पुलिस लाइन के एमटीओ ने बैंक में आकर कार को कंडम घोषित करने का प्रमाण पत्र जारी किया जिस पर क्रमांक स्पेशल वन अंकत है।
कागजों के हिसाब से यह कार इतनी कंडम थी कि इसे स्टेट मोटर गैराज में नहीं भेजा जा सकता था, इसलिए इसे बैंक में ‘जहां है, जैसे है’ के आधार पर बेचा गया। अब ये तो कोतवाली पुलिस ही बता सकती है कि ‘जहां है, जैसे है’ के आधार पर बेची गयी कार से दुर्घटना और बड़ा नुकसान कैसे संभावित है?
एक साल पुराना मुकदमा
तत्कालीन ज्वाइंट रजिस्ट्रार भूपेंद्र सिंह की जांच रिपोर्ट के आधार पर विभाग ने मंगतराम खन्ना के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। विभागीय आदेश की पालना में गंगानगर के तत्कालीन उप-रजिस्ट्रार बलविन्दर सिंह ने 1 फरवरी 2018 को खन्ना के विरुद्ध थाना कोतवाली श्रीगंगानगर में भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 267, 468 एवं 471 के तहत मुकदमा (52/2018) दर्ज कराया था।
जिला सैशन जज ने खन्ना की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। खन्ना को 3 अप्रेल 2018 को हाईकोर्ट जोधपुर से अग्रिम जमानत मिल गयी थी, तब से वे अग्रिम जमानत पर हैं। खन्ना वर्तमान में रजिस्ट्रार कार्यालय जयपुर में ज्वाइंट रजिस्ट्रार कंज्यूमर के पद पर कार्यरत हैं।