सीकर सीसीबी ने महोदव सिंह ऐचरा को कार्यवाहक ऋण पर्यवेक्षक के पद से हटाया
जयपुर, 14 जून (मुखपत्र)। राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने और राज्य सरकार की अल्पकालीन फसली ऋण नीति की आलोचना करने पर सीकर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लि. प्रबंधन ने महादेव सिंह ऐचरा को कार्यवाहक ऋण पर्यवेक्षक के पद से मुक्त कर दिया है।
महादेव सिंह राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर पुरस्कृत पलसाना ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापक और राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ के प्रदेशस्तर के नेता हैं। दो दिन पहले, पूर्व सहकारिता मंत्री अजयसिंह किलक ने पलसाना ग्राम सेवा सहकारी समिति का विजिट किया था। इस दौरान उन्होंने महादेव सिंह ऐचरा और समिति स्टाफ के समक्ष, मीडिया से बातचीत करते हुए हाल ही में राज्य सरकार द्वारा लागू फसली ऋण नीति की कटु आलोचना करते हुए कहा था कि ऑनलाइन ऋण वितरण व्यवस्था के कारण ही किसानों को फसली ऋण वितरण शुरू नहीं हो पा रहा है। स्वयं महादेव ङ्क्षसह ने मंत्री की विजिट व मीडिया से बातचीत करने की पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल की थी।
व्यवस्थापक कर रहे पोर्टल का विरोध
उल्लेखनीय है कि सरकार ने खरीफ 2019 से अल्पकालीन ऋण वितरण व्यवस्था को ऑनलाइन कर दिया है। समितियों द्वारा नई व्यवस्था के विरोध स्वरूप, पोर्टल पर डाटा अपलोड करने के कार्य का बहिष्कार किया जा रहा है। यह कार्य 3 जून से शुरू हो चुका है लेकिन व्यवस्थापकों के विरोध के कारण, डाटा अपलोडिंग का कार्य गति नहीं पकड़ पा रहा।
हालांकि, रजिस्ट्रार सहकारी समितियां व अपेक्स बैंक प्रबंधन, पोर्टल और नई ऋण नीति के प्रावधानों पर संगठन से चर्चा के उपरांत, स्पष्टीकरण जारी कर चुका है, लेकिन अब व्यवस्थापकों ने नियोक्ता निर्धारण व सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप वेतनमान आदेश जारी करने की मांग और जोड़ दी है। इस पर सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उच्चाधिकारियों का कहना है कि नियोक्ता निर्धारण पर संगठन से पूर्व में ही चर्चा हो चुकी है और सरकार इसके लिए विधानसभा सत्र में संशोधन प्रस्ताव पेश करने का आश्वासन पहले ही दे चुकी है।
राजनीतिक षड्यंत्र की बू
वर्तमान में जारी अवरोध के पीछे सरकार व उच्चाधिकारियों को राजनीतिक षड्यंत्र की बू आ रही है। चर्चा है कि वर्तमान आंदोलन के पीछे एक पूर्व मंत्री व अपेक्स बैंक के ही एक पूर्व अधिकारी का हाथ है, जो वर्तमान प्रबंध निदेशक से जबरदस्त खुन्नस रखते हैं। इसे लेकर यह पूर्व एमडी राज्य सरकार की स्थानांतरण व पदस्थापन नीति की आलोचना भी कर चुका है और निलम्बन के कगार पर है।
इसलिए पूर्व अधिकारी चाहते हैं कि येन-केन-प्रकारेण इस पोर्टल की योजना को फेल किया जाये, जो कि वर्तमान प्रबंध निदेशक की दूरगामी सोच का नतीजा है। संगठन में भी इस मुद्दे को लेकर काफी सुगबुगाहट है।