इसरो की सफलता से देश हुआ गौरवान्वित
नई दिल्ली, 2 सितम्बर। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने सोमवार को एक बार फिर देश को गौरवशाली पलों का साक्षी बनाया, जब दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर विक्रम को सफलतापूर्वक अलग करा दिया।
इसरो के मुताबिक, आर्बिटर से लैंडर ‘विक्रम’ को अलग कराने की प्रक्रिया दोपहर 12.45 बजे शुरू की गई। दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर लैंडर ‘विक्रम’आर्बिटर को छोड़कर अलग हो गया। अब निर्धारित कार्यक्रम के तहत लैंडर ‘विक्रम’ 7 सितंबर को तड़के 1.55 बजे चंद्रमा की सतह पर लैंड कर जाएगा।
इसरो के वैज्ञानिकों ने रविवार को शाम 6.21 बजे सफलतापूर्वक चंद्रयान की कक्षा में बदलाव किया था। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद से यान के पथ में यह पांचवां व अंतिम बदलाव था। कक्षा बदलने में 52 सेकंड का समय लगा। अब चंद्रयान चांद से महज 109 किमी दूर रह गया है।
4 सितम्बर को चंद्रमा के सबसे नजदीक होगा ‘विक्रम’
इसरो ने बताया कि लैंडर ‘विक्रम’ इस समय चंद्रमा की 119किमी x 127किमी कक्षा में चक्कर लगा रहा है जबकि चंद्रयान-2 का आर्बिटर उसी कक्षा में चक्कर लगा रहा है, जिसमें वह रविवार को दाखिल हुआ था। वैज्ञानिकों की मानें तो चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के पहले लैंडर ‘विक्रम’ के साथ दो कक्षीय बदलाव किए जाएंगे। यह लैंडर 4 सितंबर को चांद के सबसे नजदीकी कक्षा में 35×97 होगा।
7 सितम्बर को होगा सबसे बड़ी चुनौती का सामना
वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रयान-2 की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग बेहद चुनौतीपूर्ण होगी। 7 सितंबर को रोवर प्रज्ञान के साथ लैंडर विक्रम चांद पर कदम रखेगा। लैंडर दो गड्ढों, मंजिनस-सी और सिमपेलियस-एन के बीच वाले मैदानी हिस्से में लगभग 70 डिग्री दक्षिणी अक्षांश पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करेगा। चांद पर उतरने के बाद रोवर भी लैंडर से अलग हो जाएगा। लैंडर के साथ रोवर प्रज्ञान की लैंडिंग इसरो के लिए सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि इसरो इस प्रकार का प्रयोग पहली बार कर रहा है।