राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मु और यशवंत सिन्हा में होगा मुकाबला
नई दिल्ली, 21 जून। आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए मुख्य मुकाबले की तस्वीर स्पष्ट हो गयी है। मंगलवार दिन में विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार घोषित किये जाने के पश्चात, शाम को भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने आदिवासी महिला नेत्री द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवा घोषित कर दिया। इससे पहले, पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए विपक्ष ने अपना साझा उम्मीदवार घोषित कर दिया। सिन्हा कुछ माह पूर्व ही त्रृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी में शामिल हुए थे। विपक्ष द्वारा राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने से पूर्व उन्होंने टीएमसी से इस्तीफा दे दिया।
उधर, मंगलवार शाम को केंद्र में सत्ताधीश बीजेपी ने राष्ट्रपति पद के लिए द्रोपती मुर्मू को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम पर मंथन के लिए पार्टी मुख्यालय में बीजेपी की संसदीय बोर्ड की बैठक हुई, जिसमें झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रोपदी मुर्मु को सर्वसम्मति से उम्मीदवार बनाए जाने का निर्णय लिया गया।
18 जुलाई को होगी वोटिंग
वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए 29 जून तक नामांकन की दाखिल किया जा सकता है। देश का नया राष्ट्रपति चुनने के लिए 18 जुलाई को वोट डाले जाएंगे। वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी।
द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय
द्रौपदी मुर्मु सबसे लम्बे समय तक झारखंड राज्य की राज्यपाल रही हैं। उन्हें मई 2015 से झारखंड की नौवीं राज्यपाल बनाया गया, जिनका वर्ष 2000 में कार्यकाल समाप्त हुआ। वे झारखंड के गठन के बाद से पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली पहली और एक मात्र महिला राज्यपाल हैं। द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था । उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। वह संताल परिवार से ताल्लुक रखती हैं। द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था। दम्पति के दो बेटे और एक बेटी थी।
पूर्व मंत्री और राज्यपाल रह चुकी हैं
वे ओडि़सा में रयरंगपुर विधानसभा से विधायक और भाजपा-बीजज गठबंधन सरकार में राज्यमंत्री रह चुकी हैं। विधायक के रूप में उन्होंने शानदार काम किया। इसके लिए ओडि़सा विधानसभा की ओर से द्रौपदी मुर्मु को 2007 में नीलकंड अवार्ड से सम्मानित किया गया। बाद में उन्हें झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनाया गया। वे इस पद पर पहुंचने वाली ओडिशा की पहली महिला और आदिवासी नेता हैं। वे बीजेपी एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रह चुकी हैं।