नई दिल्ली, 17 जनवरी (मुखपत्र)। मशहूर कथक नर्तक और पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित बिरजू महाराज का (83) हार्ट अटैक से निधन हो गया है। उनका असली नाम पंडित बृजमोहन मिश्र था। दोपहर बाद दिल्ली में लोधी रोड स्थित श्मशान गृह में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गय।
बिरजू महाराज ने रविवार-सोमवार की मध्य रात्रि दिल्ली स्थित अपने आवास में अंतिम सांस ली। लखनऊ घराने से ताल्लुक रखने वाले बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को हुआ था। बिरजू महाराज कथक नर्तक होने के साथ-साथ शास्त्रीय गायक भी थे। उन्होंने कथक नृत्य को नई ऊंचाई और विशेष पहचान दी। उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और खैरागढ़ विश्वविद्यालय की ओर से बिरजू महाराज को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गयी थी।
पंडित बृजमोहन मिश्र प्रसिद्ध भारतीय कथक नर्तक थे। वे शास्त्रीय कथक नृत्य के लखनऊ कालिका-बिन्दादिन घराने के अग्रणी नर्तक थे। पंडित जी कथक नर्तकों के महाराज परिवार के वंशज थे, जिसमें अन्य प्रमुख विभूतियों में इनके दो चाचा व ताऊ, शंभु महाराज एवं लच्छू महाराज, तथा इनके स्वयं के पिता एवं गुरु अच्छन महाराज भी आते हैं।
जीवन परिचय
पंडित बिरजू महाराज का असली नाम बृजमोहन मिश्र था। उनका जन्म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ में हुआ था। बिरजू महाराज का नाम पहले दुखहरण रखा गया था। यह बाद में बदल कर ‘बृजमोहन नाथ मिश्र’ हुआ। पद्म विभूषण के अतिरिक्त उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास सम्मान भी मिल चुका है। वहीं साल 2012 में विश्वरूपम फिल्म में कोरियोग्राफी के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
नृत्य के साथ साथ संगीत की दुनिया में भी बिरजू महाराज की पकड़ काफी अच्छी थी। बिरजू महाराज शानदार ड्रमर भी थे। तबला और नाल बजाने का उन्हें काफी शौक था। बिरजू महाराज के पहले गुरु उनके पिता एवं चाचा ही थे। बिरजू महाराज को पिता अच्छन महाराज और उनके चाचा लच्छू महाराज ने कला दीक्षा देनी शुरू की थी।
वॉलीवुड के कई गीतों को सजाया
पंडित बिरजू महाराज ने न केवल कथक में, अपितु अपनी कोरियाग्राफी से वॉलीवुड में भी खूब शोहरत कमाई और कई अभिनेत्रियों को डांस में निपुण बनाया। कमल हासन की फिल्म विश्वरूमप के उन्नई कोडू नान गीत को पंडित बिरजू महाराज ने अपनी कला से सजाया था। इस गाने में कमल हासन ने एक कथक डांसर की भूमिका निभाते हुए, पंडित बिरजू महाराज द्वारा सिखाए गए हाव भाव को बखूबी बड़े पर्दे पर पेश किया था। इस गाने के लिए उन्हें बेस्ट कोरियोग्राफर के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया था।
इसके अलावा हाल के वर्षों में फिल्म डेढ़ इश्किया के जगावें सारी रैना, बाजीराव मस्तानी के मोहे रंग दो लाल और देवदास के काहे छेड़ छेड़ मोहे.. आदि गीतों को कालजयी बनाने मेें पंडित बिरजू महाराज का ही योगदान था।