– डीसीसीबी की जांच करेंगे जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार
– डूंगरपुर सीसीबी की गड़बड़ी की जांच 20 ऑडिट दल करेंगे
जयपुर, 15 जनवरी। सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने मंगलवार को बताया कि गत सरकार की फसली ऋण माफी योजना के तहत डूंगरपुर जिले की लैम्पस के लाभान्वित किसानों की सूची में गैर पात्र व्यक्तियों को सम्मिलित करने के तथ्य सामने आने पर सभी जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों की जांच खण्डीय अतिरिक्तरजिस्ट्रार के स्तर से करवाई जायेगी।
डीएमआर के माध्यम से होगा किसानों को भुगतान
उन्होंने बताया कि डूंगरपुर जिले में ऋणमाफी के दौरान हुई गड़बड़ी की जांच के लिये विभाग स्तर से 2-2 सहकारी ऑडिटरों की 20 टीमों का गठन किया जायेगा, जो 7 दिवस में जांच कर रिपोर्ट रजिस्ट्रार को देंगे। उन्होंने बताया कि डीएमआर (डिजिटल मेम्बर रजिस्टर) के माध्यम से ही किसानों को भुगतान की व्यवस्था को लागू किया जायेगा ताकि गड़बड़ी की आशंका पूरी तरह समाप्त किया जा सके। उन्होंने बताया कि जिन बैंकों की शाखाओं के डीएमआर तैयार नहीं हैं, उन्हें प्राथमिकता से पूर्ण किया जाये ताकि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी भी न हो।
रजिस्ट्रार ने ली एडिशनल्स की बैठक
सहकारिता मंत्री के निर्देश पर सहकारिता रजिस्ट्रार डॉ. नीरज के. पवन ने मंगलवार को सहकार भवन में खण्डीय अतिरिक्त रजिस्ट्रारों की बैठक ली। उन्होंने कहा कि सभी जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों में किसानों को फसली ऋण के भुगतान की पारदर्शी एवं पुख्ता व्यवस्था स्थापित करने के लिये सभी ऋणी किसानों के खातों के डेटा का संधारण किया जायेगा तथा उन्हें आधार संख्या से लिंक भी करवाया जायेगा।
पैक्स एवं बैंक शाखाओं का निरीक्षण
रजिस्ट्रार ने जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशक एवं अधिकारियों को शाखाओं एवं पैक्स के निरीक्षण 31 मार्च तक पूर्ण कर कार्यवाही करने के निर्देश दिये ताकि किसी प्रकार की अनियमितता या गबन की जानकारी तुरन्त मिल सके तथा संबंधित के विरूद्ध तत्काल कार्यवाही की जा सके। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पद्र्धा के माहौल में सहकारी बैंकों को कॉमर्शियल बैंकों की तरह कार्य करने की आवश्यकता है। बैंकों को अपनी डिपोजिट बढ़ाने के लिये प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके लिये उनके स्तर से सभी जिला कलक्टर को पत्र भी लिखा जा रहा है।
डॉ. पवन ने कहा कि बैंक सदस्य किसानों को अधिक से अधिक ऋण उपलब्ध करायें ताकि किसानों के खेती बाड़ी के कार्य प्रभावित न हों। जिन बैंकों में ऋण असंतुलन है वहां की पैक्स में खर्चों पर नियंत्रण रखते हुये आय के संसाधन बढ़ाने के लिये प्रयास किये जायें। उन्होंने कहा कि सभी सहकारी संस्थाओं को स्थानीय मांग एवं आवश्यकतानुसार नये व्यवसाय शुरू करने चाहिये ताकि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों में वृद्धि के साथ-साथ संस्था की आय में भी बढ़ोतरी हो सके।
उन्होंने बताया कि फसली ऋण लेने वाले किसानों के दुर्घटना बीमा के पेंडिंग क्लेम के शीघ्र निस्तारण के लिये बीमा कम्पनी के प्रतिनिधियों के साथ राज्य स्तरीय समिति समीक्षा करेगी ताकि ऐसे बीमा क्लेम की पेंडेंसी कम हो सके।