“मुखपत्र” में अनियमितता के खुलासे के बाद सक्रिय हुआ अपेक्स बैंक प्रशासन
जयपुर (मुखपत्र)। नागौर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में किसान सहकार कल्याण योजना में ऋण के नाम पर हुई बंदरबांट के खुलासे के पश्चात अपेक्स बैंक के अधिकारियों की नींद टूटी है। मुखपत्र वेबसाइट द्वारा 1 मई को समाचार रिलीज कर नागौर सीसीबी एमडी पृथ्वीपाल सिंह के कार्यकाल में किसान सहकार कल्याण योजना में बांटे गये ऋणों का बड़ा हिस्सा एनपीए होने का खुलासा किया गया था।
इस खुलासे को गंभीरता से लेते हुए अपेक्स बैंक एमडी इन्दर सिंह ने प्रदेश के समस्त केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा इस योजना में वितरित किये गये ऋणों की पड़ताल शुरू कर दी है। अपेक्स बैंक द्वारा सीसीबी को पत्र लिखकर किसान सहकार कल्याण योजना में बांटे गये ऋणों की विस्तृत जानकारी मांगी गयी है।
दरअसल पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान किसान सहकार कल्याण योजना की शुरूआत की गयी थी। इस योजना में शुरूआत में किसानों को बीस लाख रुपये तक का ऋण दिया गया। एक साल बाद ही सरकार ने ऋण की अधिकतम सीमा घटाकर 10 लाख रुपये कर दी। बैंकों ने इस योजना में जमकर पैसा बांटा और कमाया।
हालांकि ऋण वितरण के दूसरे साल से ही इस योजना के अंतर्गत बांटे गये ऋणों की वसूली में गिरावट आनी शुरू हो गयी थी। अपेक्स बैंक द्वारा हर माह मदवार ऋण वितरण एवं वसूली की समीक्षा की जाती है, लेकिन 2016-17 से 2018-19 के दौरान, निरंतर समीक्षा के बावजूद अपेक्स बैंक के तत्कालीन एमडी विद्याधर गोदारा ने नागौर सहित गड़बड़ी की आशंका वाले अन्य केंद्रीय सहकारी बैंकों पर सख्ती नहीं दिखाई, जिसका परिणाम सामने है।
साल दर साल घटती गयी वूसली
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, प्रदेश में किसान सहकार कल्याण योजना के अंतर्गत वर्ष 2015-16 में 94 करोड़ 64 लाख रुपये, वर्ष 2016-17 में 205 करोड़ 31 लाख रुपये, 2017-18 में 279 करोड़ 53 लाख रुपये और 2018-19 में फरवरी 2019 तक 148 करोड़ 70 लाख रुपये का ऋण वितरण किया गया।
इस योजना के अंगर्तत बैंकों ने 2015-16 में 8 करोड़ रुपये की मांग के विपरीत 7 करोड़ 47 लाख रुपये (93.25 प्रतिशत), वर्ष 2016-17 में 64 करोड़ 72 लाख रुपये की मांग के विपरीत 46 करोड़ 52 लाख रुपये (71.89 प्रतिशत), वर्ष 2017-18 में 115 करोड़ 68 लाख रुपये की मांग के विपरीत 78 करोड़ 52 लाख रुपये (67.88 प्रतिशत) और 2018-19 में फरवरी 2019 तक 86 करोड़ 80 लाख रुपये की मांग के विपरीत 39.46 करोड़ रुपये (45.45) प्रतिशत तक वसूली की।
गोदारा ने नहीं दिखाई गंभीरता
इससे स्पष्ट है कि विद्याधर गोदारा के प्रबंध निदेशकीय कार्यकाल में ही किसान सहकार कल्याण योजना में वसूली का प्रतिशत गिरकर आधे से भी कम रहा गया, लेकिन गोदारा ने इस मामले को बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं लिया। नागौर सीसीबी का प्रकरण सामने आने के पश्चात अपेक्स बैंक ने अब तमाम बैंकों से सूचनाएं मंगवाई है, इससे आने वाले दिनों में और भी केेंद्रीय सहकारी बैंकों में इस योजना के तहत अनियमित ऋण वितरण के बड़े खुलासे हो सकते हैं।
अपेक्स बैंक का मौजूदा प्रशासन इस स्थिति को लेकर गंभीरता दिखा रहा है। बैंक प्रबंधन ने वसूली स्तर में निरंतर गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ये हालात बैंकों की वित्तीय स्थिति पर दूरगामी विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं।
अपेक्स बैंक ने मांगी हैं ये सूचनाएं
अपेक्स बैंक की ओर से केंद्रीय सहकारी बैंकों को एक प्रपत्र भेजकर वर्ष 2015-16 से 2018-19 तक निम्नलिखित सूचनाएं उपलब्ध करवाने को कहा गया है- कार्यशील पूंजी, सावधि ऋण, किसान सहकार कल्याण योजना के अंतर्गत 30 जून को कुल बकाया ऋण, कुल मांग, कुल वसूली, अवधिपार बकाया, वसूली प्रतिशत, अवधिपार बकाया राशि में से घटाकर कार्यकाल पूंजी और सावधि ऋण।
अपैक्स बैंक की ओर से एक और प्रपत्र भी जारी किया गया है जिसमें इस योजना के तहत वर्ष 2018-19 में ऋण वितरण, 31 मार्च 2019 को बकाया ऋण, अवधिपार बकाया और एनपीए की जानकारी मांगी गयी है।