जयपुर, 19 मई (मुखपत्र)। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अन्तर्गत उद्योगों को पेटेन्ट, डिजाइन, ट्रेडमार्क आदि बौद्धिक सम्पदा अधिकार दाखिल करने के लिए बौद्धिक सम्पदा फैसिलिटेशन केन्द्र प्रारंभ कर दिया गया है। यह केन्द्र उद्यमियों को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध कराएगा। यह जानकारी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की शासन सचिव श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने दी।
पेटेन्ट विशेषज्ञ समूह को वेबिनार के माध्यम से संबोधित करते हुए श्रीमती सिन्हा ने कहा कि राजस्थान की समृद्व सांस्कृतिक विरासत को देखते हुए राज्य के ऐसे उत्पादों की पहचान की जाए, जिन्हें ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) दिलवाया जा सके। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की महामारी के चलते उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जाए एवं उनकी पूरी मदद की जाए।
कैर सांगरी, नागौरी मेथी, लहरिया एवं जैसलमेर सेंड स्टोन पर फोकस
शासन सचिव ने कहा कि विभाग द्वारा कैर सांगरी, नागौरी मेथी, लहरिया एवं जैसलमेर सेण्ड स्टोन की पहचान संभावित ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) के रूप में कर ली गई है, इस सम्बंध में आवश्यक तथ्य एवं दस्तावेज भी पूर्ण कर लिए गए हैं। शीघ्र ही इसके पारम्परिक ज्ञान, संस्कृति का डेटाबेस एवं मैंपिग का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। इसके लिए विभाग द्वारा विशेषज्ञ संस्थाओं को प्रोजेक्ट भी दिए जाएंगे ताकि विद्यार्थियों को रोजगार के अवसर मिल सकें।
जीआई को बढावा देने के लिए पायलट स्टडी
श्रीमती सिन्हा ने कहा कि बौद्धिक सम्पदा अधिकार क्षेत्र में कार्य करने हेतु इंटर्नशिप के आवेदन प्राप्त करने के साथ ही युवाओं को नए प्रोजेक्ट पर कार्य करने का अवसर दिया जएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) को बढ़ावा देने के लिए पायलट स्टडी प्रारंभ की जाएगी।
विश्वविद्यालयों को मिलेगी वित्तीय एवं तकनीकी सहायता
उन्होंने कहा कि विश्व विद्यालयों को बौद्धिक सम्पदा केन्द्र स्थापित करने के लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहायता दी जाएगी। कोविड-19 को देखते हुए इस वर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों में बौद्धिक सम्पदा अधिकार के लिए वेबिनार को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी।