युद्ध क्षेत्र में जवानों, तोपों और गोला-बारूद पहुंचाने के लिए काम आयेगा चिनूक
चंडीगढ़, 25 मार्च| एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोआ ने यहां सोमवार को चार अमेरिका निर्मित भारी-भरकम वाहक चिनूक हेलीकॉप्टरों को वायुसेना स्टेशन 12 विंग में औपचारिक रूप से शामिल किया। चिनूक हेलीकॉप्टर के लिए यहां दो हैंगर व रसद सुविधाएं तैयार की गई हैं।
प्रत्येक चिनूक हेलीकॉप्टर की भार क्षमता करीब 10 टन है। इससे भारत की सामरिक मालवहन क्षमता में भारी वृद्धि होगी। भारतीय वायुसेना ने गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह में 10 फरवरी को अपना पहला सीएच-47एफ (आई) चिनूक प्राप्त किया था।
चिनूक का उपयोग युद्ध क्षेत्रों में जवानों, तोपों, गोलाबारूद, आपूर्ति व उपकरणों को पहुंचाने के लिए किया जाएगा। इसके अलावा इसका उपयोग घायलों को फौरन चिकित्सा मुहैया कराने के लिए भी किया जा सकता है। प्राकृतिक आपदाओं के समय यह विमान ज्यादा से ज्यादा राहत सामग्री ले जाने और ज्यादा से ज्यादा यात्रियों को सुरक्षित जगह पहुंचाने में सक्षम है। दुनिया के कई देशों में अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियों में चिनूक अपना काम बखूबी कर रहा है।
हैंडलिंग के लिए बेहतरीन विमान
आधुनिक तकनीक से लैस इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल अमेरिका जैसे कई शक्तिशाली देश भी करते हैं। पूरी तरह से इंटीग्रेटेड, डिजिटल कॉकपिट मैनेजमेंट सिस्टम, कॉमन एविएशन आर्किटेक्चर कॉकपिट और एडवांस्ड कार्गो-हैंडलिंग क्षमताओं वाला चिनूक हेलीकॉप्टर, मिशन के दौरान अपने प्रदर्शन और हैंडलिंग के लिहाज से बेहतरीन विमान है।
ओसामा को मारने के लिए प्रयोग
बता दें कि चिनूक वही हेलीकॉप्टर है, जिसका इस्तेमाल अमेरिका ने साल 2011 में अलकायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारने में किया था। साल 2018 में बोइंग विमान के उपाध्यक्ष और जनरल मैनेजर ने कहा था, ‘तटीय ऑपरेशन से लेकर काफी ऊंचाई वाले पर्वतीय मिशनों तक, ये विमान भारतीय सशस्त्र बलों के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”
भारत को मिलेंगे 15 चिनूक हेलीकॉप्टर
भारत सरकार ने साल 2015 में अमेरिका की बोईंग कंपनी को कुल 15 चिनूक हेलीकॉप्टरों का ऑर्डर दिया था, जिसमें से चार हेलीकॉप्टर फरवरी में भारत पहुंचे थे और आज चंडीगढ़ में एक इंडक्शन समारोह के दौरान वायुसेना ने इसे अपने विमानों के बेड़े में शामिल कर लिया है।