आरबीआई ने रेपो रेट घटाकर 6 फीसदी किया, सस्ता कर्ज मिलने की उम्मीद
मुंबई, 4 अप्रैल (एजेंसी)| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को प्रमुख ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कटौती की। प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट अब 6.25 फीसदी से घटकर छह फीसदी हो गई है। साथ ही, रिवर्स रिपो रेट घटाकर 5.75 फीसदी कर दिया गया है। रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पावधि ऋण मुहैया करवाता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों से जमा प्राप्त करता है।
आरबीआई द्वारा लगातार दूसरी बार प्रमुख ब्याज दरों में कटौती करने से वाणिज्यिक बैंकों से सस्ती दरों पर खुदरा व कॉरपोरेट ऋण मिलने की उम्मीद जगी है। आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने और महंगाई में कमी आने से प्रेरित होकर आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की। प्रमुख ब्याज दरों में कटौती होने से आगे वाणिज्यिक बैंक ऑटोमोबाइल और आवासीय ऋणों की दरों में कटौती कर सकते हैं, जिससे मांग बढ़ेगी और आर्थिक विकास को रफ्तार मिलेगी।
रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती
केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो रेट में कटौती करने का फैसला लिया। आरबीआई ने कहा, “वर्तमान और आगे पैदा होने वाले आर्थिक हालात की समीक्षा के आधार पर एमपीसी ने नीतिगत प्रमुख ब्याज दरों में कटौती की। तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करके इसे 6.25 फीसदी से घटाकर छह फीसदी कर दिया गया है और यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू होगा।”
आरबीआई ने कहा, “एलएएफ के तहत रिवर्स रेपो रेट 5.75 फीसदी हो गई है और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) व बैंक दर 6.25 फीसदी हो गई है।” इसके अलावा, एमपीसी ने मौद्रिक नीति के रुख में तटस्थता बनाए रखी। केंद्रीय बैंक ने कहा, “यह फैसला मध्यावधि के दौरान उपभोक्ता मूल्य आधारित महंगाई दर दो फीसदी की वृद्धि या कमी की पट्टी के भीतर चार फीसदी रखने के लक्ष्य के अनुरूप है, जबकि इससे आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।”
घरेलू निवेश में कमजोरी
केंद्रीय बैंक ने घरेलू निवेश में कमजोरी के संकेतों का जिक्र किया क्योंकि पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन और आयात की रफ्तार में सुस्ती देखी गई। इसके परिणामस्वरूप 2019-20 में देश के आर्थिक विकास की दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है।
इससे पहले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा इस साल फरवरी में 2018-19 के लिए जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में भारत के संशोधित वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि दर सात फीसदी रहने का आकलन किया गया, जबकि प्रथम अग्रिम अनुमान में 7.2 फीसदी रहने का आकलन किया गया था।
सुस्त रही आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार
आबीआई ने कहा, “सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में उपभोग घट जाने के कारण 2018-19 की तीसरी तिमाही में घरेलू आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार सुस्त रही।” केंद्रीय बैंक ने कहा कि खाद्य वस्तुओं की कीमत कम होने और ईंधन की कीमतों में गिरावट व अन्य कई कारकों से 2019-20 में महंगाई की दिशा तय होगी।
आरबीआई ने कहा, “इन कारकों पर विचार करने और 2019 में मानसून के सामान्य रहने से 2018-19 की चौथी तिमाही में सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) आधारित महंगाई दर घटकर 2.4 फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि 2019-20 की पहली छमाही में 2.9-3.0 फीसदी और दूसरी छमाही में 3.5-3.8 फीसदी।”
फरवरी में आयोजित वित्त वर्ष 2018-19 की आखिरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में भी केंद्रीय बैंक की एमपीसी ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करने के प्रति मत दिया था और रेपो रेट घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया गया था।
फिक्की ने जताया संतोष
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के प्रेसिडेंट संदीप सोमानी ने एक बयान में कहा, “हमें उम्मीद है कि लगातार दूसरी बार रेपो रेट में कटौती किए जाने से खुदरा व कॉरपोरेट कर्ज की ब्याज दरों में कमी आएगी। इससे उपभोग मांग और निजी निवेश बढ़ने से घरेलू अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा।” उन्होंने कहा, “यह जरूरी है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में लगातार मंदी के संकेत मिलने से हमें बाहरी स्रोतों से ज्यादा प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद नहीं है।”
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रेसिडेंट राजीव तलवार के अनुसार, रेपो रेट में कटौती से मांग बढ़ने और आर्थिक विकास को रफ्तार मिलने की उम्मीद है।
शेयर बाजार का साथ नहीं मिला
उधर, शेयर बाजार में आरबीआई के फैसले से कोई उत्साह नहीं दिखा और बंबई स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 192.40 अंक यानी 0.49 फीसदी की गिरावट के साथ 38,684.72 पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख संवेदी सूचकांक 45.95 अंक यानी 0.39 फीसदी की गिरावट के साथ 11,598 पर बंद हुआ।