गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक में ऋण वितरण में गंभीर चूक का मामला
चार कार्मिक निलम्बित, आठ दोषियों को सीसीए रूल्स 16 के तहत आरोपपत्र दिये
श्रीगंगानगर। बैंक के निर्देशों का उल्लंघन करके, करोड़ों रुपये का अल्पकालीन फसली ऋण वितरण करने के बेहद गंभीर मामले में गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक लि. (जीकेएसबी) के नौ कार्मिकों पर कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की गयी है।
बैंक के प्रबंध निदेशक भूपेंद्र सिंह ने बताया कि रजिस्ट्रार कार्यालय के निर्देश की पालना में रावला शाखा प्रबंधक साहबराम सोमटा को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इसी मामले में प्रधान कार्यालय के दो अधिकारियों और दो अन्य शाखा प्रबंधकों को निलम्बित किया गया है। साहबराम के अलावा अन्य सभी को सीसीए रूल्स 16 के अंतर्गत आरोप पत्र भी दिया गया है।
बैंक सेवा से बर्खास्त किये गये रावला शाखा प्रबंधक साहबराम सोमटा, अपनी आधिवार्षिकी आयु पूर्ण कर 31 मार्च को सेवानिवृत्त होने वाले थे। 31 मार्च को रविवार होने के कारण, उन्हें 30 मार्च को सेवानिवृत्ति दी जानी थी लेकिन इससे कुछ ही घंटे पहले उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। सोमटा पर पूर्व में भी वित्तीय अनियमिताओं के आरोप लगते रहे हैं। उनके विरुद्ध फौजदारी के दो प्रकरण विभिन्न अदालतों में लम्बित हैं। वे करीब तीन माह से निलम्बित चले रहे थे और उन्हें सीसीए रूल्स 16 के अंतर्गत आरोप पत्र भी दिया गया था।
रावला से हुआ खुलासा
बैंक के निवर्तमान प्रबंध निदेशक दीपक कुक्कड़ ने फंड्स के अभाव में 17 सितम्बर 2018 को एक आदेश जारी कर, आगामी आदेश तक किसी भी प्रकार के ऋण वितरण पर रोक लगा दी थी। दिसम्बर 2018 में एक सूचना के आधार पर रावला में बड़े पैमाने पर नये सदस्यों की साख सीमाएं बनाकर पहली ही बार में एक से डेढ़ लाख रुपये तक का ऋण वितरण करने की शिकातय मिली थी।
इसके अगले ही दिन कुक्कड़ और मुख्य प्रबंधक विकास गर्ग ने रावला शाखा में जाकर रिकार्ड की जांच की तो शिकायत सही पायी गयी। इस पर शाखा प्रबंधक साहबराम सोमटा को तुरंत प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया। जांच में कई पुराने सदस्यों को भी ऋण बढाकर देने की पुष्टि हुई। साथ ही कुछ अन्य योजनाओं में भी ऋण वितरण में अनियमितता पायी गयी। इसके बाद जब प्रधान कार्यालय स्तर पर ऋण वितरण की समीक्षा की गयी तो पता चला कि कुछ और शाखाओं द्वारा भी रोक के बावजूद ऋण वितरण किया गया है।
रजिस्ट्रार ने करायी जांच
एक शिकातय के आधार पर सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार डॉ. नीरज कुमार पवन ने 10 सहकारी निरीक्षकों के चार दल बनाकर बैंक की रावला, बींझबायला, जैतसर, समेजा कोठी, श्रीविजयनगर और रायसिंहनगर की दोनों शाखाओं में ऋण वितरण एवं ऋण माफी की जांच करवायी गयी। ऋण माफी में तो कोई अनियमितता सामने नहीं आयी, लेकिन ऋण वितरण में नियमों की भारी अनदेखी उजागर हुई।
जांच दल को इसमें रावला व बींझबायला शाखा में सर्वाधिक गड़बड़ी मिली। बैंक स्तर पर रोक के बावजदू रावला में 6 करोड़ 50 लाख रुपये और बींझबायला में 5 करोड़ 50 लाख रुपये का ऋण वितरण होना पाया गया, जिनमें 90 प्रतिशत से अधिक राशि फसली ऋण के रूप में दी गयी।
नौ कार्मिकों पर गिरी गाज
जांच रिपोर्ट का परीक्षण करने एवं जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार, बीकानेर दिनेश बम्ब व प्रबंध निदेशक भूपेंद ्रङ्क्षसह की टिप्पणियों के आधार पर रजिस्ट्रार डॉ. नीरज कुमार पवन ने 27 मार्च को एक आदेश जारी कर दोषी पाए गये नौ बैंक कार्मिकों के विरुद्ध कार्यवाही करने के निर्देश दिये। इसकी पालना में 29 मार्च को प्रधान कार्यालय के वरिष्ठ प्रबंधक परिचालन और वरिष्ठ प्रबंधक ऋण को निलम्बित कर दिया गया जबकि 30 मार्च को रावला शाखा प्रबंधक साहबराम सोमटा को पूर्व में सीसीए रूल्स 16 के अंतर्गत दिये गये आरोप पत्र का निर्णय करते हुए बैंक की सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया।
शेष कार्मिकों में बींझबायला के शाखा प्रबंधक रहे ऋषी राज डूडी (हाल बैंङ्क्षकग सहायक शाखा केसरीसिंहपुर) और श्रीविजयनगर शाखा प्रबंधक कुन्दनलाल स्वामी को निलम्बित कर दिया गया है। समेजा कोठी शाखा प्रबंधक रामप्रताप सहारण, जैतसर शाखा प्रबंधक जगराम मीणा (हाल शाखा प्रबंधक, शाखा रिडमलसर ), रायसिंहनगर मुख्य शाखा प्रबंधक गणेश पासवान (हाल शाखा प्रबंधक शाखा रावला) और रायसिंहनगर नई धानमंडी ब्रांच के प्रबंधक अनिल गुप्ता को सीसीए रूल्स 16 के अंतर्गत आरोप पत्र जारी किय है।
दबाव को किया दरकिनार
यह मामला सामने आने पर तत्कालीन प्रबंध निदेशक दीपक कुक्कड़ ने गंभीर अनियमितता वाले कार्मिकों को तुरंत प्रभाव से शाखाओं से हटा दिया था। कार्मिकों ने अपने क्षेत्र की ग्राम सेवा सहकारी समितियों के अध्यक्षों एवं राजनीतिक सम्बंधों की मार्फत सत्ताधारी दल के कई नेताओं से दबाव डलवाकर स्थानांतरण निरस्त करवाने का प्रयास किया, स्वयं के पाक साफ होने की दुहाई भी दी लेकिन कुक्कड़ ने, जांच पूर्ण होने तक, एक भी कार्मिक का तबादला रद्द नहीं किया।
उसी का परिणाम है कि करोड़ों रुपयों की वित्तीय अनियमितताओं के मामले में अनुशासनात्मक कार्यवाही संभव हो पायी। कुछ कार्मिकों ने रजिस्ट्रार कार्यालय की ओर से अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश की पालना को लम्बित रखने के लिए वर्तमान प्रबंध निदेशक भूपेंद्र सिंह पर भी राजनीतिक दबाव डलवाया, लेकिन उनके मंसूबे धरे रह गये।