जयपुर, 29 नवम्बर। अपनी विशिष्ट कार्यशैली से पहचाने जाने वाले सहकारिता सेवा के एक अन्य चर्चित अधिकारी बजरंग लाल झारोटिया को विभागीय जांच में पद का दुरूपयोग करने और नियमों को ताक में रखे हुए दोहरी मोबाइल सुविधा का उपयोग करने का दोषी पाया गया है। वे वर्तमान में अजमेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में अधिशासी अधिकारी के पद पर पदस्थापित रहते हुए प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे हैं।
दागी कार्मिकों को फील्ड पोस्टिंग नहीं देने के कार्मिक विभाग के स्पष्ट निर्देश के बावजूद पांचवीं बार अजमेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में प्रबंध निदेशक का पद हथियाने में सफल रहे उप रजिस्ट्रार कैडर के अधिकारी बजरंग लाल को दोहरी मोबाइल सुविधा उठाने के मामले में दोषी माना गया है। झारोटिया वर्ष 2002 में उदयपुर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में एमडी रहते हुए एसीबी द्वारा रंगे हाथों ट्रेप किये गये थे। यह प्रकरण उदयपुर में एसीबी की विशेष अदालत में विचाराधीन है। अजमेर सीसीबी में बजरंग लाल की यह पांचवीं पोस्टिंग है। पहले चारों बार उन्हें एपीओ किया गया था।
मोबाइल भत्ता के साथ डोंगल के लिए अलग से भुगतान उठाया
झारोटिया पर आरोप था कि उनके द्वारा जुलाई 2017 से मार्च 2018 तक 67500 रुपये का भुगतान बैंक से बिना किसी वाउचर के मोबाइल, इंटरनेट सुविधा के नाम पर उठाया गया। मोबाइल सुविधा के नाम पर दो बार 10-10 हजार रुपये प्रति माह, सात बार 5-5 हजार रुपये प्रतिमाह तथा पांच बार 2500-2500 रुपये प्रतिमाह बैंक से प्राप्त किये गये। इसके पश्चात, मोबाइल, इंटरनेट के लिए सितम्बर 2019 से दिसम्बर 2020 तक, कुल 14 माह में 80 हजार रुपये का भुगतान प्राप्त किया गया। इसके लिए दिसम्बर 2019 व जनवरी 2020 में उन्होंने प्रतिमाह 10-10 हजार रुपये तथा शेष 12 महीने प्रति माह 5000 रुपये का भत्ता बैंक से प्राप्त किया।
यानी जिस समय 299 रुपये के मासिक चार्ज में असीमित डाटा व कॉलिंग की सुविधा मोबाइल कम्पनी प्रदान कर रही थी, उस समय में झारोटिया ने बैंक से मोबाइल व इंटरनेट के नाम पर 28 माह में बैंक से 1 लाख 47 हजार 500 रुपये का भुगतान गैरकानूनी रूप से उठा लिया। इसके अलावा, इसी अवधि में कुल चार बार में, डोंगल व मोबाइल रिचार्ज के नाम पर 1641 रुपये का अलग से भुगतान प्राप्त किया। दिलचस्प तथ्य यह कि उपरोक्त अवधि में बैंक में प्रबंध निदेशक पद पर कार्य करते हुए बजरंग लाल झारोटिया ने अपने दो मोबाइल फोन का सीयूजी प्लान के तहत उपयोग किया, जिसके बिल का भुगतान बैंक द्वारा किया गया।
शिकायत हुई तो 75000 रुपये जमा करवाये
सीयूजी प्लान के बावजूद, नियमविरुद्ध मोबाइल, इंटरनेट भत्ता उठाने का मामला प्रकाश में आने के बाद, बजरंग लाल झारोटिया ने बैंक के खाते में 75 हजार रुपये जमा करवा दिये, लेकिन शेष राशि पर मौन साध गये। हालांकि यह राशि चुकाने के लिए भी झारोटिया को बैंक अथवा जांच अधिकारी से किसी प्रकार का डिमांड नोटिस नहीं मिला था। जिस समय यह रकम जमा करायी गयी, तब झारोटिया एपीओ थे। उसी अवधि में उन्होंने जयपुर रोड स्थित अजमेर सीसीबी की मेन ब्रांच में जाकर, प्रधान कार्यालय के खाते में 75 हजार रुपये जमा करवाकर, स्वयं ही अपना अपराध स्वीकार कर लिया था, हालांकि एचओ एकाउंट में रकम जमा करवाने के लिए बैंक प्रबंधन की ओर से अधिकृत पत्र होना आवश्यक है।
स्पष्टीकरण में कहा – बैंक स्वायत्तशासी संस्था, भत्ता देने के लिए स्वतंत्र
उपरोक्त प्रकरण की जांच के दौरान, जांच अधिकारी द्वारा स्पष्टीकरण तलब किये जाने पर झारोटिया का कहना था कि बैंक एक स्वायत्तशासी संस्था है और संचालक मंडल अपने अधिकारियों, कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष भत्ता दे सकता है। जांच अधिकारी ने झारोटिया के कुतर्क को यह करते हुए खारिज कर दिया कि बैंक विभागीय आदेश, निर्देश की पालना में कार्य करते हैं। राज्य सरकार की पूंजी बैंक में नियोजित है और कोई भी संचालक मंडल, दोहरी सुविधा प्रदान करने में सक्षम नहीं है।