जयपुर, 18 फरवरी (मुखपत्र)। राष्ट्रीय सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक्स फैण्डरेशन, मुंबई के प्रबंध निदेशक के.के. रविन्द्रन ने कहा कि बदलते समय में सहकारी भूमि विकास बैंकों द्वारा व्यावसायिक विविधिकरण की ओर आगे बढ़ते हुए मल्टी सर्विस देने पर अधिक ध्यान दिया जाए ताकि तरलता की समस्या नहीं आये तथा बैंक प्रबंधन को भी ऑवन फंड क्रियेट करने पर ध्यान देना होगा।
वे मंगलवार को राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक के परिसर में, बैंक के प्रशासक एवं अतिरिक्त रजिस्ट्रार-द्वितीय जी.एल. स्वामी के मुख्य आतिथ्य में आयोजित सीजीआरआई की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ऋण वितरण की प्रक्रिया को सरल करते हुए किसान पर कम किस्त अदायगी का शेड्यूल बनाना चाहिए ताकि वह समय पर ऋण की अदायगी कर सके।
साउथ के बैंकों की तर्ज पर काम करें
उन्होंने कहा कि जिन भूमि विकास बैंकों की स्थिति अच्छी है, उन्हें गोल्ड लोन एवं एग्रो प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में कार्य करना चाहिए। राजस्थान के सहकारी भूमि विकास बैंकों को कर्नाटक, केरल, तेलगांना जैसे राज्यों के मॉडल को अपनाते हुए कार्य करना होगा ताकि ऋण असंतुलन जैसी स्थितियों से सहकारी भूमि विकास बैंकों को उभारा जा सके। उन्होंने कहा कि अलग-अलग प्राथमिक भूमि विकास बैंकों का अध्ययन कर उनके अनुरूप योजनाओं पर कार्य किया जाए। बैंकों को ऋण वसूली पर ध्यान देना चाहिए।
पीएलडीबी में ऋण आवेदन की प्रक्रिया होगी ऑनलाइन : स्वामी
एसएलडीबी के प्रशासक, अतिरिक्त रजिस्ट्रार-द्वितीय जी.एल. स्वामी ने कहा कि भूमि विकास बैंकों के माध्यम से किसानों के ऋण आवेदन की प्रक्रिया को शीघ्र ही पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि ऋण वसूली एवं विधिक कार्यवाही को भी पोर्टल के माध्यम से सम्पन्न किया जायेगा। इससे ऋण प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता आएगी तथा मॉनिटंरिग भी प्रभावी हो सकेगी। उन्होंने कहा कि सहकारी भूमि विकास बैंकों में भर्ती के लिए शीघ्र ही सहकार भर्ती बोर्ड आवेदन आमंत्रित करेगा।
तीन लाख रुपये तक व्यक्तिगत ऋण देने की योजना
राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक के प्रबंध निदेशक जितेन्द्र प्रसाद शर्मा ने कहा कि भूमि विकास बैंकों द्वारा फसली ऋण वितरण के लिए नाबार्ड से आग्रह किया गया है, साथ ही भूमि विकास बैंकों के सदस्यों को 3 लाख रूपये तक के व्यक्तिगत ऋण देने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि व्यावसायिक विविधिकरण की ओर बढ़ते हुए ऋणों का नियमित चुकारा करने वाले ऋणी सदस्यों को नकद साख सीमा ऋण उपलब्ध कराने की संभावना पर कार्य योजना बनाई जा रही है।
नाबार्ड पुनर्वित्त की दरों में कमी करे
श्री शर्मा ने कहा कि भूमि विकास बैंकों से ऋण वितरण की प्रक्रिया को नया लुक दिया जा रहा है। ऋण वितरण की पुरानी अवधि में समय के अनुसार फेरबदल किया जा रहा है। नाबार्ड की ऋण नीति के अनुसार ऋण वितरण में विविधता को प्रमुखता दी जा रही है। उन्होंने फिर से इस बात पर जोर दिया कि नाबार्ड पुनर्वित्त की ब्याज दरों में कमी लाए। प्रबंध निदेशक के अनुसार, वर्ष 2019-20 में 230 करोड़ का दीर्घकालीन कृषि ऋण किसानों को वितरित किया जा रहा है।
कमजोर पीएलडीबी के लिए एक्शन प्लान बनाएं
नाबार्ड के डीजीएम अश्वनी कुमार ने कहा कि कमजोर पीएलडीबी को सुदृढ़ करने के लिए एक्शन प्लान बनाएं। आरबीआई, सीसीबी एवं नाबार्ड द्वारा विविध कार्यो के दिए जा रहे ऋणों को अपनाएं। किसान को सरलता से ऋण का वितरण करें। इनकम जनरेट करने और रिकवरी एवं कार्मिकों के प्रशिक्षण पर भी ध्यान दें। इस प्रकार दीर्घकालीन योजनाओं पर काम करने से भूमि विकास बैंकों को सुदृढ़ किया जा सकता है।
बैठक में अतिरिक्त रजिस्ट्रार मॉनिटरिंग मदन लाल गुर्जर, एसएलडीबी के महाप्रबंधक नवीन शर्मा, नाबार्ड व एसएलडीबी के अधिकारी उपस्थित थे।