जयपुर, 30 नवम्बर (मुखपत्र)। मुख्यमंत्री और राज्य के वित्त मंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा के बावजूद, प्रदेश में इस वित्त वर्ष में पांच लाख नये किसान सदस्यों को सहकारी साख सुविधा से जोडऩे का लक्ष्य पूर्ण होता नजर नहीं आ रहा। क्योंकि सहकारिता विभाग के नियम ही रोड़ा बने हुए हैं, जिनके रहते केंद्रीय सहकारी बैंक को अल्पकालीन फसली ऋण लेने वाले नये किसान, ढूंढे से भी नहीं मिल रहे।
हाल ही में सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव और राजस्थान राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड जयपुर की प्रशासक श्रीमती श्रेया गुहा द्वारा अपेक्स बैंक में आयोजित केंद्रीय सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशकों की बैठक में बताया गया कि बजट घोषणा के अनुरूप पांच लाख नये किसानों को अल्पकालीन फसली ऋण वितरण के लक्ष्य के विपरीत, केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में केवल 1 लाख 29 हजार नये किसानों को ही सहकारी साख सुविधा से जोड़ पाए। यानी दो तिहाई समय गुजर जाने के बावजूद, केवल 25 प्रतिशत लक्ष्य ही अर्जित हुआ है। अब शेष चार महीनों में 75 प्रतिशत लक्ष्य और हासिल किया जाना है, जो एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि सहकारिता विभाग के नियम ही, नये किसानों को सहकारी साख सुविधा का लाभ पहुंचाने की बजट घोषणा में रोड़ा बन गये हैं।
दरअसल, अल्पकालीन फसली ऋण के लिए सोसाइटी द्वारा किसान से भरवाए जाने वाले प्रपत्र में किसान से यह शपथ पत्र लिया जा रहा है कि उसके परिवार में किसी अन्य सदस्य ने ग्राम सेवा सहकारी समिति से अल्पकालीन फसली ऋण प्राप्त नहीं किया है। यह शर्त, नये सदस्यों को सहकारी साख सुविधा से जोडऩे में सबसे बड़ा रोड़ा बन गयी है।
बड़ी कृषि जोत को छोटी-छोटी जोतों में कन्वर्ट करवा रहे किसान
राज्य में, दो कर्जमाफी योजनाओं का अधिकांश लाभ लघु एवं सीमान्त किसानों को दिया गया। देशभर में कृषि एवं कृषि कर्ज से सम्बंधित अनुदान आधारित अधिकांश योजनाएं लघु एवं सीमांत किसानों को लाभान्वित करने के लिए डिजाइन की जा रही हैं। जिस किसान के पास अधिकतम एक हैक्टेयर (2.47 एकड़) तक कृषि भूमि होती है, उसे सीमांत किसान की श्रेणी में तथा जिसके पास एक हैक्टेयर से अधिक लेकिन दो हैक्टेयर (4.94 एकड़) से कम कृषि भूमि होती है, उसे लघु किसान की श्रेणी में रखा जाता है।
केंद्र और राज्यों की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए राजस्थान सहित देशभर में खाता विभाजन का ट्रेंड चल पड़ा है। सरकारी योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाने के लिए किसानों ने बड़े खातों को छोटे खातों में कन्वर्ट करना शुरू कर दिया है। यदि किसी के पास बड़ी जोत है, तो उसने अपनी पत्नी या बच्चों के नाम कृषि भूमि का बंटवारा करके, बड़ी जोत को छोटी-छोटी जोत में बांट दिया। इससे वे सब सीमांत या लघु किसान की श्रेणी में आ गये। इससे पहले जहां एक ही व्यक्ति सरकार की योजना का लाभ उठा पा रहा था, वहीं अब एक ही परिवार में दो या दो से अधिक लोग लघु/सीमांत किसान के रूप में सरकार की योजना का लाभ प्राप्त करने लगे हैं।
यह नियम बन रहा रोड़ा
इधर, राजस्थान में केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा दिये जाने वाले अल्पकालीन फसली ऋण के लिए यह शर्त थोप दी गयी कि यदि किसान के परिवार में किसी अन्य सदस्य ने अल्पकालीन फसली ऋण का लाभ ले रखा है, तो दूसरे सदस्यों को इस योजना में लाभान्वित नहीं किया जाएगा। ग्राम सेवा सहकारी समिति के सदस्य किसानों से अल्पकालीन फसली ऋण के लिए भरवाये जाने वाले आवेदन प्रपत्र के बिन्दू संख्या 16 में यह स्पष्ट अंकित है कि आवेदक के परिवार (पति या पत्नी या आश्रित बच्चों) में से केवल एक ही सदस्य ने फसली ऋण प्राप्त किया है।
सीसीबी प्रबंधन का कहना है कि परिवार में किसी एक ही सदस्य द्वारा फसली ऋण प्राप्त किये जाने की बाध्यता के चलते, नये सदस्यों को फसली ऋण वितरण का लक्ष्य प्राप्त करना सम्भव नहीं हो पा रहा। यदि सहकारिता विभाग और अपेक्स बैंक, बजट घोषणा के अनुरूप पांच लाख नये सदस्यों को फसली ऋण वितरण का लक्ष्य अर्जित करना चाहते हंै, तो उसे सबसे पहले आवेदन फार्म में से इस शर्त को विलोपित करना होगा। यदि एक ही परिवार में, अन्य सदस्यों के नाम पर कृषि भूमि की स्वतंत्र जमाबंदी है, तो उसे फसली ऋण लेने से रोका जाना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है।