जयपुर, 15 जनवरी (मुखपत्र)। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में सहकारिता विभाग के अधिकारियों को हाथों का खिलौना बनाने वाले मंगतराम खन्ना उर्फ डॉ. एम.आर. खन्ना की कांग्रेस राज में भी तूती बोलने लगी है। राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम की धारा 55 में लगभग एक दर्जन मामलों में दोषी ठहराये गये और धारा 57 में 61 लाख 38 हजार 907 रुपये की वसूली के केस का सामना कर रहे ज्वाइंट रजिस्ट्रार मंगतराम को सरकार ने बीकानेर जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार की जिम्मेदारी सौंपी है।
खन्ना को उसके बेहिसाब कारनामों के कारण राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 के नियम 16 की दो चार्जशीट दी जा चुकी हैं, तीसरी बनकर कार्मिक विभाग में जा चुकी हैं और लगभग आधा दर्जन मामलों में 16 सीसीए की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, जिनकी चार्जशीट बीकानेर जोनल ऑफिस से ही बनकर जानी है। यही नहीं, इसी ऑफिस द्वारा खन्ना से 61 लाख 38 हजार 907 रुपये की वसूली की जानी है।
अब वे यहीं बैठकर विभाग में अपने से कहीं अधिक सीनियर अधिकारियों -एडिशनल रजिस्ट्रार भूपेंद्र सिंह (एमडी, गंगानगर सीसीबी) और दो ज्वाइंट रजिस्ट्रार – रणवीर सिंह (एमडी, बीकानेर सीसीबी) व नियम-उपनियम विशेषज्ञ राजेश टाक (क्षेत्रीय अंकेक्षण अधिकारी, बीकानेर) के कार्य की समीक्षा करेंगे।
खन्ना के ‘कारनामों’ की फेरहिस्त
सरकार के सामान्य ज्ञान की बढोतरी के लिए उल्लेखित है कि खन्ना के खिलाफ भ्रष्टाचार के दो मामलों की जांच क्रमश: पाली एसीबी चौकी और हनुमानगढ़ एसीबी चौकी में प्रक्रियाधीन है। वर्ष 2017 में तत्कालीन अतिरिक्त रजिस्ट्रार (बैकिंग) राजीव लोचन शर्मा के फर्जी हस्ताक्षर कर, बैंक की वातानुकूलित एयरकंडीशंड कार को मात्र 70 हजार रुपये में बेचने और इसी पत्र के आधार पर नई कार खरीदने के मामले में राज्य सरकार द्वारा खन्ना के विरुद्ध 1 फरवरी 2018 को आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 के अंतर्गत पुलिस थाना कोतवाली श्रीगंगानगर में मुकदमा दर्ज कराया गया।
पुलिस ने इस मामले में अंतिम प्रतिवेदन लगा कोर्ट में पेश किया, लेकिन सरकार की ओर से कोर्ट में प्रोटेस्ट किये जाने के कारण, यह मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है। ऐसे ऑफिसर को पूरे जोन की कमान सौंप कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति की सहकारिता विभाग द्वारा बहुत ही बेहतरीन ढंग से पालना की गयी है।

(राजस्थान में सहकारी आंदोलन के कर्णधार (बायें से- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना, प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा, सहकारिता मंत्री के विशिष्ठ सहायक आशीष शर्मा और अत्यंत प्रतिभाशाली ज्वाइंट रजिस्ट्रार डॉ. एमआर खन्ना)
चार्जशीटेड को फील्ड पोस्ट नहीं दी जाये : कार्मिक विभाग
कार्मिक विभाग का स्पष्ट आदेश है कि आरोप पत्र से ‘नवाजे’ गये अधिकारी को फील्ड पोस्टिंग नहीं दी जाये, जो जनता से सीधी जुड़ी हो। इसके बावजूद खन्ना दिसम्बर 2020 में जम्बो तबादला सूची से पहले ही, खन्ना ने अपने गिने-चुने विभागीय सखाओं के बीच यह घोषणा कर दी थी कि वे सोमवार यानी 28 दिसम्बर को बीकानेर जोन का कार्यभार संभालेंगे और अगले दिन यानी 29 दिसम्बर 2020 को गंगानगर सीसीबी में एमडी का अतिरिक्त चार्ज लेंगे।
खन्ना के लिए यह तारीख इसलिए मायने रखती है कि ठीक तीन साल पहले इसी दिन भूपेंद्र सिंह ज्याणी द्वारा जांच अधिकारी के रूप में एमआर खन्ना को पहला नोटिस जारी किया गया था, जब खन्ना गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक और इकाई अधिकारी के पद पर ‘विराजमान’ थे। ये जख्म अभी तक हरा था, जिसे भरा जाना आवश्यक था। इसलिए 23 दिसम्बर 2020 को जब खन्ना का स्थानांतरण ज्वाइंंट रजिस्ट्रार उपभोक्ता से जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार बीकानेर के पद पर हुआ तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ।
पहली सूची में रिक्त रखा गया था एमडी सीसीबी का पद
इसी सूची में भूपेंद्र सिंह को गंगानगर सीसीबी एमडी पद से हटाकर एडिशनल रजिस्ट्रार मार्केटिंग के पद पर लगा दिया गया और एमडी का पद खन्ना के लिए रिक्त रखा गया। इससे साबित हो गया कि खन्ना हवाई फायर नहीं कर रहे थे। उनका गणित बिल्कुल ठीक था। खन्ना को पूरा यकीन था कि सोमवार शाम को एमडी, गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक के अतिरिक्त चार्ज का आदेश हो जायेगा। जब आदेश नहीं हुआ तो अपनी चिर-परिचित कार्यशैली के अनुरूप उन्होंने स्वयं ही एमडी का चार्ज लेने के इरादे से भूपेंद्र सिंह को चिट्ठी लिख डाली कि वे गंगानगर से रिलीव होकर, नव स्थानांतरित पद ग्रहण करें। इसी पत्र को आधार बनाकर, भूपेंद्र सिंह ने अपनी राजनीतिक अप्रोच व पारिवारिक परिस्थितियों का हवाला देते हुए अपना स्थानांतरण आदेश निरस्त करवा, खन्ना के अरमानों पर पानी फेर दिया, हालांकि यह भी तय है कि देर-सवेर खन्ना ‘साहब’ ही गंगानगर में एमडी के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे।
कार्मिक विभाग का आदेश
राजस्थान सरकार के कार्मिक (क-3) विभाग के परिपत्र क्रमांक प.4(6)कार्मिक/क-3/78/दिनांक 23-07-2003 के अनुसार, जिन अधिकारियों/कर्मचारियों को आपराधिक प्रकरणों में अथवा सीसीए नियम 16 के तहत विभागीय जांच में सरकार का हानि पहुंचाने/सरकारी धन का दुरूपयोग करने या उनका गबन करने या गंभीर वित्तीय अनियमितताएं करने जैसे आरोपों के लिए दंडित किया जा चुका है अथवा इस प्रकार के मामले उनके खिलाफ लम्बित हैं, तो उन्हें फील्ड पोस्ट से हटा लिया जाये तथा भविष्य में उन्हें फील्ड पोस्टिंग नहीं दी जाये।
इसे खन्ना के संदर्भ में देखें तो कार्मिक विभाग के उक्त परिपत्र की पालना करवाने के लिए जिम्मेदार तमाम सम्बंध हस्तियों ने एमआर खन्ना को डम्प पोस्ट से उठाकर प्राइम फील्ड पोस्टिंग दे दी। पोस्ट भी ऐसी दी गयी है, जहां खन्ना के गुनाहों को हिसाब होना है। ये सब मामले खन्ना के गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक में प्रबंध निदेशक के पद पर रहते हुए किये गये हैं, जिन्हें पद का दुरूपयोग, सरकारी धन का दुरूपयोग, सहकारी सोसाइटी अधिनियम और सहकारी सोसाइटी नियम का उल्लंघन, वित्तीय अनियमितता आदि जैसे गंभीरतम प्रकरण हैं।