जयपुर, 21 दिसम्बर (मनीष मुंजाल)। राजस्थान में मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों के लाखों पीडि़तों को न्याय दिलाने की सहकारिता रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल की मुहिम रंग ले आई है। केंद्रीय रजिस्ट्रार ने राजस्थान में लूट मचाने वाली मल्टीस्टेट क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटीज पर शिकंजा कसने के लिए, इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए शक्तियां रजिस्ट्रार सहकारी समितियां राजस्थान को सौंप दी हैं। अब रजिस्ट्रार, अन्य अनेक शक्तियों की भांति राज्य के डिप्टी रजिस्ट्रार को कार्रवाई के लिए पावर दे सकेंगे, जिसके बाद जनता के करोड़ों रुपये लूटने वाली सोसायटीज की संपत्तियां और बैंक अकाउंट सीज कर, निवेशकों को राशि लौटायी जा सकेगी।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में अनेक मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लाखों निवेशकों के कई हजार करोड़ रुपये हड़प कर, रफूचक्कर हो चुकी हैं। मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के विरुद्ध कार्रवाई की शक्ति केवल केंद्रीय रजिस्ट्रार के पास होने के कारण, राज्य सरकार के हाथ बंधे थे। लेकिन अब स्थितियां बदल जायेंगी।
सहकारिता रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल द्वारा 1 सितम्बर 2020 को केंद्रीय रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर, राजस्थान में मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों की लूट से अवगत कराते हुए कार्रवाई हेतु अधिकार सौंपे जाने का आग्रह किया गया था।
अब खुलेंगे सहकारिता विभाग के हाथ
केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्यरत केंद्रीय रजिस्ट्रार ने 21 दिसम्बर 2020 को, मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के खिलाफ कार्रवाई के लिए अपनी शक्तियां, रजिस्ट्रार सहकारी समितियां राजस्थान जयपुर को सौंप दी हैं। केंद्रीय रजिस्ट्रार एवं सहकारिता विभाग के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल की ओर से सोमवार को इस आशय का पत्र जारी किया गया। इसमें केंद्रीय रजिस्ट्रार की शक्तियां रजिस्ट्रार सहकारी समितियां राजस्थान जयपुर को सौंपते हुए स्पष्ट किया गया है कि रजिस्ट्रार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों को मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही के लिए अधिकृत कर सकेंगे।
निवेशकों को मिलेगा न्याय
केंद्रीय रजिस्ट्रार द्वारा रजिस्ट्रार सहकारी समितियां राजस्थान जयपुर को पावर दिए जाने के बाद फर्जीवाड़ा करने वाली मल्टीस्टेट सोसायटीज पर शिकंजा कसा जा सकेगा। ऐसी सोसायटीज पर डिप्टी रजिस्ट्रार इस्तगासा दायर कर उस पर दबाव बनाया जा सकेगा। यानि कानूनी लड़ाई लड़कर निवेशकों को न्याय दिलाया जा सकेगा। लूट मचाने वाली मल्टीस्टेट सोसायटीज के बैंक अकाउंट और संपत्तियां सीज की जा सकेगी।