राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किये जाने से टली सुनवाई
नई दिल्ली (मुखपत्र )। कैडर व्यवस्थापकों को बैंक का कर्मचारी बनाए जाने के मामले में उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है।
इस मामले में निचली अदालत के निर्णय को कोर्ट पहले ही स्टे कर चुका है। इस पर आगे की सुनवाई 12 अपे्रेल को हुई। इस पेशी पर राज्य सरकार की ओर से जवाब प्रस्तुत किया जाना था, जो पेश नहीं किया जा सका। इस पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इन्द्रा बैनर्जी की बैंच ने राजस्थान सरकार को दो सप्ताह का समय देते हुए आगामी पेशी तक सुनवाई स्थगित कर दी।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कैडर व्यवस्थापकों को सम्बंधित केंद्रीय सहकारी बैंक का कर्मचारी बनाने के राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर के निर्णय की क्रियान्विति पर 11 मार्च 2019 को रोक लगा दी थी। कोर्ट ने गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक की ओर से छोटूलाल व अन्य के विरुद्ध दायर विशेष अनुमति याचिका (सिविल) पर सुनवाई करते हुए स्थगनादेश जारी किया था।
हाईकोर्ट ने दिया था पक्ष में निर्णय
राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर की डिवीजन बैंचने छोटूलाल व अन्य व्यवस्थापकों द्वारा दायर याचिकाओं का निपटारा करते हुए 14 सितम्बर 2018 को यह निर्णय दिया था कि जिन कैडर व्यवस्थापको के नियुक्तिपत्र बैंक की ओर से जारी किये गये थे, वे बैंक के कर्मचारी माने जाएंगे। इन व्यवस्थापकों पर व्यवस्थापकीय सेवा नियम 2008 लागू नहीं होंगे। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वो याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुनकर उनके लिए अलग से सेवानियम बनाए।
गंगानगर सीसीबी ने दायर की है याचिका
चूंकि इस निर्णय से अधिकांश केंद्रीय सहकारी बैंक प्रभावित हो रहे थे, इसलिए सहकारिता विभाग द्वारा सामूहिक रूप से न्यायिक कार्यवाही करने का निर्णय लिया गया। इसके पश्चात गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक की ओर से हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गयी।