नई दिल्ली, 18 मई। मोदी कैबिनेट में गुरुवार को एक अप्रत्याशित फेरबदल कर एक साथ कई निशाने साधे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक मंचों से न्यायपालिका और न्यायाधीशों पर तीखी टिप्पणी करने वाले और रिटायर्ड जजों को एंटी इंडिया ग्रुप का हिस्सा बताने वाले केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से कानून मंत्रालय छीन लिया। इससे न्यायपालिका, विशेषकर सुप्रीम कोर्ट को सरकार की ओर से सॉफ्ट सिगनल देने की कोशिश माना जा रहा है।
दूसरी ओर, मोदी ने, राजस्थान के बीकानेर से लोकसभा सांसद और वर्तमान संसदीय कार्य और संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को कानून मंत्रालय के राज्यमंत्री का स्वतंत्र प्रभार देकर राजस्थान के दलित वोटरों को बड़ा संदेश देने की कोशिश की गयी है। माना जा रहा है कि सांसद सीपी जोशी को राजस्थान का पार्टी प्रदेशाध्यक्ष बनाकर ब्राह्मणों को साधने के बाद, अब अनुसूचिज जाति के वोटों का झुकाव बीजेपी की ओर करने के लिए अर्जुनराम मेघवाल को मबजूत किया गया है। राजस्थान में इस साल नवम्बर-दिसम्बर में विधानसभा चुनाव होने हैं।
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी नोटिफिकेशन में बताया गया कि मेघवाल को उनके मौजूदा विभागों के अलावा, कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है। अभी मेघवाल संसदीय कार्य और संस्कृति राज्य मंत्री हैं। किरेन रिजिजू को अर्थ साइंस मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। रिजिजू को रविशंकर प्रसाद के स्थान पर जुलाई 2021 में कानून मंत्री बनाया गया था।
रिजिजू कॉलेजियम सिस्टम पर टिप्पणियों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। उन्होंने कहा था कि देश में कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता है। रिजिजू ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक पूर्व जज का बयान वाला वीडियो भी शेयर किया था। जज आरएस सोढ़ी ने एक यूट्ब चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान को हाईजैक कर लिया है।
रिजिजू ने रिटार्यड जजों पर भी टिप्पणी करते हुए कहा था कि कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीश भारत विरोध ग्रुप का हिस्सा बन गए हैं। इस साल मार्च माह में 90 से ज्यादा रिटायर्ड अफसरों ने किरेन रिजिजू के बयानों को विरोध करते हुए एक खुला पत्र लिखा था, जिसमें कानून मंत्री ने कई मौके पर कॉलेजियम सिस्टम और न्यायिक स्वतंत्रता पर दिये गये बयानों को सुप्रीम कोर्ट पर हमला बताया था।
कौन हैं अर्जुनराम मेघवाल
7 दिसम्बर 1954 को जन्मे अर्जुन राम मेघवाल राजस्थान के बीकानेर संसदीय क्षेत्र का लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते हैं। वो प्रशासनिक अधिकारी रह चुके हैं। राजनीति में आने के लिए उन्होंने प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ली। इसके बाद पहली बार 2009 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में बीकानेर से चुनाव लड़ा और जीत कर लोकसभा पहुंचे। बाद लोकसभा चुनाव 2014 में उन्हें 16वीं लोकसभा के लिए बीकानेर सीट से फिर जीत मिली। अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान वो लोकसभा में बीजेपी के मुख्य सचेतक रहे। मेघवाल को साल 2016 में वित्त राज्य मंत्री बनाया गया था, जिसके बाद जल संसाधन राज्य मंत्री के रूप में भी उनका कार्यकाल रहा। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीकानेर से लगातार तीसरी बार सांसद निर्वाचित हुए।
मेघवाल का कद बढ़ाने के मायने
दरअसल, अर्जुनराम मेघवाल का कद बढाने के पीछे बड़ी वजह इस साल होने वाले राजस्थान विधानसभा के चुनाव को माना जा रहा है। सिर पर राजस्थानी पगड़ी धारण करने वाले मेघवाल राजस्थान में बीजेपी का मुख्य दलित चेहरा हैं और दलितों में मेघवाल ही राजनीति में सबसे अधिक सक्रिय हैं। इस राज्य में लोकसभा की 25 सीट हैं। 2019 के चुनाव में बीजेपी ने राज्य की सभी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। राज्य में विधानसभा की 200 सीट हैं, जिसमें से 34 सीट अनुसूचित जाति और 25 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, राजस्थान में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 17.83 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजाति की संख्या 13.48 प्रतिशत है। इस प्रकार कुल आबादी में एससी, एसटी का वोट प्रतिशत 31 प्रतिशत से अधिक है। किसी भी पार्टी के लिए इस वर्ग को साधे बिना राज्य की सत्ता प्राप्त करना लगभग नामुमकिन है। वैसे भी अर्जुनराम मेघवाल सुलझे हुए राजनेता हैं। कभी बड़े विवाद में नहीं रहे। उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार भी मिल चुका है।