धारा 55 की जांच में दोषी पाए गए तात्कालीन प्रबंध निदेशक रामकुमार मीणा
जयपुर (मुखपत्र)। भरतपुर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के लिए नोट सोर्टिंंग मशीनों को अधिक दरों पर क्रय करने के मामले में तत्कालीन एवं वर्तमान प्रबंध निदेशक बिजेंद्र कुमार शर्मा को दोषमुक्त कर दिया गया है। हालांकि इस मामले में आरबीआई को समय पर क्लेम नहीं पेश करने के लिए तत्कालीन एमडी रामकुमार मीणा को दोषी माना है।
भरतपुर सीसीब के लिए वर्ष 2015 में 40 लाख रुपये की लागत से नोट सोर्टिंग मशीनों की खरीद की गयी थी। तब आरोप लगे थे कि पर्चेज कमेटी द्वारा आर्थिक स्वार्थवश ये मशीनें निर्धारित से अधिक कीमत पर खरीदी गयी हैं।
इन मशीनों पर भारतीय रिवर्ज बैंक द्वारा दो तिहाई प्रतिशत अनुदान देय था, लेकिन निर्धारित समय पर दावा पेश नहीं किये जाने के कारण बैंक को अनुदान नहीं मिल पाया था। ये मशीने बिजेंद्र कुमार शर्मा के कार्यकाल में खरीदी गयी थी, लेकिन जब अनुदान के लिए क्लेम पेश किया जाना था, तब रामकुमार मीणा प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत थे। वे अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
दो तिहाई अनुदान मिलना था
प्रकरण की शिकायत होने पर इसकी आरंभिक जांच में क्रय कमेटी को दोषी माना गया था। इस मामले में बैंकको हुए नुकसान के दायित्व निर्धारण के लिए उप-रजिस्ट्रार भरतपुर द्वारा राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 55 के तहत जांच का आदेश दिया गया।
जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में मशीनों को अधिक कीमत पर खरीद करने के आरोप को गलत माना।
दावा करने में ही देर कर दी
रिपोर्ट के अनुसार, मशीनों की खरीद उपभोक्ता संघ के माध्यम से एवं कम्पनियों की कोटेशन के आधार पर की गयी थी। नोट सोर्टिंग मशीनों पर अनुदान के लिए बैंक को 30 जून 2015 तक दावा पेश करने था, लेकिन बैंक ऐसा करने में विफल रहा, जिसके चलते बैंक को लगभग 27 लाख रुपये का नुकसान हुआ। जांच अधिकारी ने समय पर क्लेम पेश नहीं करने के लिए प्रबंध निदेशक रामकुमार मीणा और क्रय कमेटी को दोषी माना है।
मीणा ने बिजेंद्र कुमार शर्मा के स्थानंातरण के पश्चात 21 अप्रेल 2015 को कार्यभार संभाला था। जांच परिणाम अतिरिक्त रजिस्ट्रार बैंकिंग बी.राम द्वारा 12 मार्च 2019 को जारी किये गये। (प्रतीकात्मक फोटो)