लेखक – मोहनलाल शर्मा, चामुण्डा ज्योतिष वास्तु केंद्र, घड़साना (राजस्थान)
देवी भगवती की भक्ति का पर्व बसंत नवरात्रि अर्थात चैत्र नवरात्रि पर्व 22 मार्च 2023 से प्रारम्भ हो रहा है। इस बार चैत्र नवरात्रि 9 दिन की है। नवरात्रि पर्वकाल मां दुर्गा देवी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उत्तम माना जाता है। यदि आप भी इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का व्रत या पूजन करना चाहते हैं, तो उसके व्रत, पूजन नियमों के बारे में जानना आवश्यक है। नियमपूर्वक व्रत करने और विधिविधान से पूजा करने से ही चैत्र नवरात्रि के व्रत सफल होते हैं। नवरात्रि के नौ दिन में मां दुर्गा के नौ स्वरूप की आराधना की जाती है। यहां हम आपको बता रहे हैं चैत्र नवरात्रि व्रत के नियमों के बारे में, ताकि आपको व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो और माता रानी की कृपा और आशीर्वाद हमेशा आप पर बना रहे। चैत्र नवरात्रि से ही नूतन वर्ष अर्थात विक्रमी सम्वत का आरम्भ होता है। इस बार विक्रम सम्वत 2080 आरम्भ हो रहा है, जिसका नाम पिंगल है।
नवरात्रि व्रत की पूजा का विधान
चैत्र नवरात्रि पर्वकाल के प्रथम दिन यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को कलश स्थापना या घटस्थापना करनी चाहिए। कलश स्थापना के साथ हम मां दुर्गा जी का आह्वान करते हैं, ताकि मां दुर्गा हमारे घर पधारें और नौ दिन तक हम उनकी विधि विधान से पूजा कर, शुभ आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
कलश के पास एक पात्र में मिट्टी भरकर उसमें जौ बोना चाहिए। उसमें नियमित जल अर्पित करना चाहिए। जल की मात्रा सामान्य रखें। अधिक मात्रा में जल नहीं चढ़ावें। जौ की जैसी वृद्धि होगी, उस आधार पर इस साल के जुड़े संकेत आप प्राप्त कर सकते हैं। मान्यता है कि जौ जितना बढ़ता है, उतनी मां दुर्गा जी की कृपा होती है।
यदि आपने अपने घर, दुकान या पूजास्थान पर मां दुर्गा का ध्वज लगा रखा है, तो उसे चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस को ही बदल दें। यानी पुराना ध्वज उतारकर, उसके स्थान पर नया ध्वज लगा दें।
यदि आप नौ दिन व्रत नहीं रख सकते हैं, तो नवरात्र के पहले और अंतिम दिन व्रत अवश्य करें।
नवरात्रि पर्वकाल में कलश के पास मां दुर्गा के निमित्त अखंड ज्योति जलानी चाहिए और उसकी अखंडता एवं पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए।
नवरात्रि पर्वकाल में प्रतिदिन, कम से कम एक बार, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। सम्भव हो तो दिन में तीन बार दुर्गा
सप्तशती का पाठ करें। आप नहीं कर सकते, तो किसी वैदिक ब्राह्मण से करायें।
नवरात्रि पर्वकाल में लाल वस्त्र, लाल रंग के आसन का उपयोग करें।
नवरात्रि पूजा के समय माता रानी को लौंग, बताशे का भोग लगाएं। ध्यान रहे, मां दुर्गा को तुलसी और दूर्वा नहीं चढ़ाएं।
नवरात्रि पूजा में नियमित रूप से सुबह और शाम को मां दुर्गा की आरती करें।
मां दुर्गा जी को गुड़हल का पुष्प बहुत प्रिय होता है। सम्भव हो तो पूजा में उसका ही उपयोग करें। गुड़हल न मिले, तो लाल रंग के पुष्पों का उपयोग करें।
पूजा कर्म में शुद्धत्ता की बड़ी महत्ता हैं। आप जितने शुद्ध चित्त एवं पवित्र रहकर पूजा अर्चना करेंगे, उतना ही पूजा का फल प्राप्त होता हैं। भाव बिना पूजा अधूरी हैं।
पूजन का श्रेष्ठ समय
श्री जय मार्तण्ड पंचाग के अनुसार, बसंत नवरात्र यानी चैत्र नवरात्र का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल में उदयव्यापिनी प्रतिपदा में द्विस्वभाग लग्न युक्त प्रात:काल में होता है। इस वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 22 मार्च 2023 बुधवार को रात्रि 08.21 बजे तक है। शास्त्रानुसार चैत्र नवरात्र का प्रारम्भ एवं घटस्थापना इसी दिन होगी। अत: 22 मार्च बुधवार को लाभ-अमृत का चौघडिय़ा प्रात: 06.33 बजे से 09.33 बजे तक एवं द्विस्वभाग लग्न प्रात: 6.33 बजे से 7.38 बजे तक एवं तत्पश्चात 11.12 बजे से अपराह्न 12.10 बजे तक रहेगा। उचित मुहुर्त में विधिपूर्वक पूजा करने से मां दुर्गा मनोकामना अवश्य पूर्ण करती हैं।