नई दिल्ली, 14 जनवरी। देश में पहली बार भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने भारत के राजपत्र में अधिसूचित खाद्य सुरक्षा और मानकों (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) प्रथम संशोधन विनियम, 2023 के माध्यम से बासमती चावल (ब्राउन बासमती चावल, मिल्ड बासमती चावल, पारबॉयल्ड ब्राउन बासमती चावल और मिल्ड पारबॉयल्ड बासमती चावल सहित) के लिए पहचान मानकों को निर्दिष्ट किया है।
इन मानकों के अनुसार बासमती चावल में चावल की प्राकृतिक सुगंध विशेषता होनी चाहिए और यह कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंट और कृत्रिम सुगंध से मुक्त होगा। यह मानक बासमती चावल के लिए विभिन्न पहचान और गुणवत्ता मापदंडों को भी निर्दिष्ट करते हैं, जैसे कि अनाज का औसत आकार और खाना पकाने के बाद उनका बढ़ाव अनुपात, नमी की अधिकतम सीमा, एमाइलोज की सामग्री, यूरिक एसिड, दोषपूर्ण/क्षतिग्रस्त अनाज और गैर-बासमती चावल की आकस्मिक उपस्थिति आदि।
मानकों का उद्देश्य बासमती चावल के व्यापार में उचित व्यवहार स्थापित करना और घरेलू और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता हित की रक्षा करना है। यह मानक 1 अगस्त, 2023 से लागू होंगे।
भारत बासमती का सबसे बड़ा निर्यातक
बासमती चावल भारतीय उपमहाद्वीप के हिमालय की तलहटी में खेती की जाने चावल की एक प्रीमियम किस्म है और सार्वभौमिक रूप से अपने लम्बे अनाज के आकार, फुली हुई बनावट और अनूठी अंतर्निहित सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है। बासमती चावल उगाए जाने वाले विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र की कृषि-जलवायु परिस्थितियों के साथ ही चावल की कटाई, प्रसंस्करण और उम्र बढऩे की विधि बासमती चावल की विशिष्टता में योगदान देती है। अपनी अनूठी गुणवत्ता विशेषता के कारण, बासमती चावल घरेलू और विश्व स्तर पर व्यापक रूप से खपत होने वाला चावल है और भारत इसकी वैश्विक आपूर्ति का दो तिहाई हिस्सा है।
मिलावट की आशंका के मद्देनजर सरकार ने उठाया कदम
प्रीमियम गुणवत्ता वाला चावल होने तथा गैर-बासमती किस्मों की तुलना में इसकी अधिक कीमत होने के कारण बासमती चावल में आर्थिक लाभ के लिए विभिन्न प्रकार की मिलावट की जाती है, जिसमें चावल की अन्य गैर-बासमती किस्मों का अघोषित मिश्रण शामिल हो सकता है। इसलिए घरेलू और निर्यात बाजारों में मानकीकृत वास्तविक बासमती चावल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एफएसएसएआई ने बासमती चावल के लिए नियामक मानकों को अधिसूचित किया है। यह मानक सम्बंधित सरकारी विभागों/एजेंसियों तथा अन्य हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करके तैयार किये गये हैं।