नई दिल्ली, 26 नवम्बर (मुखपत्र)। सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे की जैसलमेर (राजस्थान) की दो दिवसीय यात्रा शुक्रवार को समाप्त हो गई। यात्रा के दौरान सेना प्रमुख ने भारतीय सेना की दक्षिणी कमान द्वारा आयोजित ‘दक्षिण शक्ति’ युद्धाभ्यास की समीक्षा की। अभ्यास का उद्देश्य कई स्थानों पर सैन्य बल के उपयोग का समन्वय करना और पूरे संघर्ष क्षेत्र में देश के सैन्य उद्देश्यों को पूरा करना था।
पिछले सप्ताह शुरू हुए इस अभ्यास में भारतीय सेना की विभिन्न इकाइयों और डिवीजनों ने भाग लिया। इसके हिस्से के रूप में, सेना की विभिन्न बटालियनों, यांत्रिक अभ्यासों और हवाई सैनिकों ने युद्ध के मैदान जैसे वातावरण में रणनीतिक और सैन्य अभियानों में भविष्य की तकनीक के उपयोग का अभ्यास किया। यह बहुमुखी और पूरी तरह से स्वदेशी हल्के हेलीकॉप्टर (हथियार प्रणालियों से लैस), स्वर्ण ड्रोन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का संयोजन और टोही रेकी सिस्टम के संयुक्त उपयोग को जोड़ती है।
भारतीय उपकरणों के परीक्षण को सराहा
इस अभ्यास में विशेष हेलिबोर्न मिशन, स्वार्म ड्रोन और एएलएच हैंडलिंग के साथ-साथ ग्राउंड ट्रूप ऑपरेशन का एक मजबूत प्रदर्शन भी शामिल था। सेना प्रमुख ने भारतीय निर्मित उपकरणों की क्षमता के परीक्षण और उपयोग के लिए दक्षिणी कमान को बधाई दी, जिसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत सेना में शामिल किया गया था।
सेनाप्रमुख ने सैनिकों को दी बधाई
उन्होंने “भविष्य के युद्धों” के साथ-साथ मानवयुक्त और मानव रहित प्रणालियों में क्षमता वृद्धि से लडऩे के लिए लगातार रणनीति, तकनीक और प्रक्रिया विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। सेनाध्यक्ष ने सभी प्रतिभागियों को उच्च स्तर की तत्परता और परिचालन तैयारी के लिए बधाई दी और उन्हें राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अपनी निगरानी जारी रखने का आह्वान किया।