जैसलमेर सीसीबी की रामगढ़ शाखा में करोड़ों के गबन-घोटाले में सात कार्मिकों पर कठोर कार्यवाही का आदेश
जयपुर (मुखपत्र)। सहकारी संस्थाओं में भ्रष्टाचार के मामले में सहकारिता रजिस्ट्रार डॉ. नीरज कुमार पवन ने एक और सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया है। रजिस्ट्रार ने जैसलमेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की रामगढ़ शाखा में हुई वित्तीय अनियमितताओं को गंभीरता से लेते हुए प्रधान कार्यालय के दो अधिकारियों सहित 7 बैंक कार्मिकों के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश दिये हैं। इस मामले में चार सी.ए. फर्म पर भी गाज गिरी है।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा यह कार्यवाही विशेष लेखा परीक्षक सुजनााराम की हालिया जांच रिपोर्ट के आधार की गयी। जिन सात बैंक कार्मिकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की गयी है, उनमें अश्वनी प्रसाद छंगानी और जगदीश प्रसाद मीणा (दोनों प्रबंधक, परिचालन एवं ऋण), रामगढ़ शाखा प्रबंधक एवं मुख्य आरोपी अमृतलाल सोलंकी, शाखा प्रबंधक प्रहलाद राम, ऋण पर्यवेक्षक बलवंतराम और दो बैंकिंग सहायक – संदीप मीणा व ओमप्रकाश गहलोत शामिल हैं।
इनमें अश्वनी प्रसाद व जगदीश प्रसाद को छोड़कर शेष स्टाफ रामगढ शाखा में पदस्थ रहा। मामला सामने आने के बाद से अमृतलाल सोलंकी निलम्बित चल रहा है। अब इस प्रकरण में प्रहलाद राम और बलवंतराम को भी निलम्बित करने के निर्देश दिये गये हैं। जैसलमेर सीसीबी के प्रबंध निदेशक को सभी सातों कार्मिकां के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देशित किया गया है। हालांकि इनमें से एक, ओमप्रकाश गहलोत सहकारी बैंक की सेवा से त्यागपत्र दे चुका है।
चार सी.ए. फर्मों पर गिरी गाज
इस गबन-घोटाले की आंच चार लेखा परीक्षक फर्मों पर भी गिरी है। रजिस्ट्रार ने वित्तीय वर्ष 2009-10 से वर्ष 2014-15 तक रामगढ़ शाखा का निरीक्षण करने वाली चार चार्टेड एकाउंटेंट फर्मों से किसी भी बैंक की लेखा परीक्षा करवाने पर रोक लगा दी है। वित्तीय वर्ष 2009-10 में वी.पी. डागा एंड कम्पनी, वर्ष 2010-11 एवं 2011-12 में आर.जी. माहेश्वरी एंड कम्पनी, वर्ष 2012-13 में टी.एल. जैन एंड कम्पनी, वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 में एस. पुरोहित एंड एसोसिएट्स द्वारा लेखा परीक्षा की गयी थी। ये समस्त चार्टेड एकाउंटेंट जोधपुर से हैं। इन्हें ब्रांच की सही ऑडिट नहीं करने का दोषी मानते हुए, भविष्य में ऑडिट नहीं करवाने के लिए निर्देशित किया गया है।
यह है मामला
यह मामला पांच साल से अधर झूल में था। बैंक स्तर पर प्रारंभिक जांच में गबन-घोटाले की पुष्टि होने पर, जोधपुर सीसीबी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक प्रशांत कल्ला, जो बाद में उप-रजिस्ट्रार सहकारी समितियां के पद पर स्थानांतरित हो गये थे, को राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 55 के तहत जांच सौंपी गयी थी।
कल्ला की जांच रिपोर्ट के आधार पर खंडीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार सोहनलाल लखानी ने जांच परिणाम जारी किये। अमृतलाल ने इसके विरुद्ध अतिरिक्त रजिस्ट्रार (अपील) जोधपुर के समक्ष निगरानी पेश की, जिस पर जांच परिणाम को अपास्त कर दिया गया। फिर यह जांच उप-रजिस्ट्रार जैसलेमर को सौंपी गयी। इस बीच अमृतलाल ने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया। हाल ही में रजिस्ट्रार के संज्ञान में यह प्रकरण लाये जाने पर उनके द्वारा जैसलमेर के विशेष लेखा परीक्षक सुजनाराम को जांच सौंपी गयी।
सृत्रों के अनुसार, सुजनाराम ने अपनी जांच में करीब पौने छह करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि करते हुए मार्च माह में रजिस्ट्रार कार्यालय को रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट का परीक्षण करने के पश्चात, रजिस्ट्रार के निर्देश पर अतिरिक्त रजिस्ट्रार (बैंकिंग) बी.राम ने आज अनुशासनात्मक कार्यवाही का आदेश जारी किया।
नाबार्ड ने पकड़ा था घोटाला
वर्ष 2013-14 में नाबार्ड के निरीक्षण के दौरान जैसलमेर सीसीबी की रामगढ़ शाखा में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं सामने आयी थी। जांच हुई तो पता चला कि अल्पकालीन ऋण वितरण सहित विभिन्न ऋण योजनाओं एवं सावधि जमा खातों में हेरफेर कर करोड़ों रुपयों का गबन कर दिया गया। बैंक की प्रारंभिक जांच में गबन घोटाले की पुष्टि होने के पश्चात एक के बाद एक, कई बार प्रकरण की जांच हुई, लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो रही थी। अंतत: रजिस्ट्रार कार्यालय के हस्तक्षेप के पश्चात ही यह प्रकरण अपने अंजाम को प्राप्त हुआ है।
गंगानगर से हुई शुरूआत
सर्जिकल स्ट्राइक की शुरूआत वित्तीय वर्ष 2018-19 के अंतिम दिनों में गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक से की गयी, जहां रोक के बावजूद 15.56 करोड़ रुपये के ऋण वितरण का मामला सामने आने पर मुख्य आरोपी शाखा प्रबंधक को सेवा से बर्खास्त किया गया, जबकि चार कार्मिकों को निलम्बित करते हुए कुल नौ कार्मिकों के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही करवायी गयी। इस प्रकरण में एक और कार्मिक को बर्खास्त किये जाने की संभावना जतायी जा रही है।