जयपुर, 14 जनवरी (मुखपत्र)। राजस्थान सहकारिता सेवा और सहकारी संस्थाओं की छवि को तार-तार करने वाले दागी व कुख्यात अफसरों पर लगाम लगाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की तैयारी कर ली गई है। रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां मुक्तानंद अग्रवाल ने रजिस्ट्रार कार्यालय में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों और समस्त अनुभागों से, उनसे सम्बंधित संस्थाओं एवं अधिकारियों को लेकर अखबारों में प्रकाशित समाचारों और उनपर अनुभाग द्वारा की गयी कार्यवाही का ब्यौरा तलब किया है।
रजिस्ट्रार की ओर से अतिरिक्त रजिस्ट्रार प्रथम व द्वितीय, अतिरिक्त रजिस्ट्रार (मोनेटरिंग, प्रोसेसिंग, उद्योग, बैंकिंग, मार्केटिंग, मानव संसाधन विकास, उपभोक्ता), एमओ आईसीडीपी, मुख्य अंकेक्षक, तकनीकी सलाहकार, निजी सलाहकार, संयुक्त रजिस्ट्रार (योजना, नियम, हाउसिंग, प्रशासन, महिला प्रकोष्ठ, लीगल, स्टोरेज), उप रजिस्ट्रार (योजना, नियम, हाउसिंग, प्रशासन, महिला प्रकोष्ठ, लीगल, स्टोरेज), सहायक रजिस्ट्रार (योजना, नियम, हाउसिंग, प्रशासन, महिला प्रकोष्ठ, लीगल, स्टोरेज), वित्तीय सलाहकार और सहायक निदेशक सांख्यिकी को एक यूओ नोट लिखा है। ये समस्त अधिकारी जयपुर में नेहरू सहकार भवन स्थित रजिस्ट्रार सहकारी समितियां कार्यालय में पदस्थ हैं।
अखबारों में प्रकाशित समाचारों पर क्या कार्यवाही की?
यूओ नोट में आगामी विधानसभा सत्र के दौरान सहकारिता विभाग से सम्बंधित उठाये जाने वाले मुद्दों का हवाला देते हुए अनुभाग से सम्बंधित अखबारों में प्रकाशित समाचारों की कटिंग एवं उन पर सम्बंधित अनुभाग या विभाग द्वारा की गयी कार्यवाही का ब्यौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। अनुभागों को प्रकरण की ताजा स्थिति सहित सम्पूर्ण जानकारी सॉफ्ट एवं हार्ड कॉपी में उपलब्ध करानी होगी।
छवि को कलंकित कर रहे चंद अफसर
उल्लेखनीय है कि सहकारिता सेवा के चंद दागी अफसरों की कारगुजारियों के समाचार आये दिन समाचार पत्रों में सुर्खियां बनते रहते हैं। इसके कारण, सहकारिता विभाग व संस्थाओं की छवि खराब होती है। विशेषकर सहकारी बैंकों, हाउसिंग सोसायटीज और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद या ट्रासंपोर्ट-हैंडलिंग टेंडर में गड़बड़ी के समाचार आये दिन अखबारों में छपते रहते हैं। कुछेक ऐसे अफसर हैं, जो जहां भी जाते हैं, अपने कृत्यों से संस्था व विभाग की छवि को कलंकित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। रजिस्ट्रार कार्यालय के विभिन्न अनुभागों में ऐसे अफसरों से सम्बंधित प्रकरण पृथक-पृथक स्तर पर विचाराधीन रहते हैं, लेकिन इन प्रकरणों को कम्पाइल करने की सुदृढ़ व्यवस्था नहीं होने के कारण, यह कभी रिकार्ड पर नहीं आ पाता कि किस दागी अफसर ने अब तक क्या-क्या और कुल कितने गुल खिला रखे हैं।
दागियों के हमदर्द दबा लेते हैं फाइलें
कई बार यह भी देखा गया है कि रजिस्ट्रार की नाक के नीचे ही, कुछ अनुभाग अधिकारी अपने चहेते दागी अफसरों को, जातिगत या किसी विशेष कारण से बचाने के लिए प्रकरण को अपने पास दबाए रखते हैं या सूचना लीक कर देते हैं, जिसके आधार पर ऐसे अफसर अदालत से राहत पाने में सफल हो जाते हैं, फिर वह प्रकरण वर्षों तक लम्बित रह जाता है। पिछले दिनों एक चर्चित दागी अफसर की पत्रावली ही रजिस्ट्रार कार्यालय से गायब हो गयी थी, जिसकी पुलिस थाना में गुमशुदगी दर्ज है।
काली भेड़ों पर कार्यवाही होगी सुनिश्चित
यदि रजिस्ट्रार के यूओ नोट पर गम्भीरता से अमल हुआ तो दागी व भ्रष्ट अफसरों का पूरा रिकार्ड रजिस्ट्रार के कम्प्यूटर में एवं उनके द्वारा नियुक्त किसी कर्मठ अधिकारी के पास सुरक्षित रहेगा, जिससे सहकारिता विभाग की छवि को कलंकित करने वाली काली भेड़ों की छंटनी कर, उनके विरुद्ध समय पर कार्यवाही सुनिश्चित की जा सकेगी।