नई दिल्ली, 10 जनवरी | आलोक वर्मा को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक पद से गुरुवार को हटा दिया गया। उनको हटाने का फैसला तीन सदस्यीय एक उच्चस्तरीय चयन समिति द्वारा 2-1 के बहुमत से लिया गया। इससे दो दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय ने उनको सीबीआई निदेशक के रूप में फिर से बहाल कर दिया था। सूत्रों के अनुसार, समिति के फैसले से पहले प्रधान न्यायाधीश द्वारा मनोनीत सदस्य न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी ने सरकार का पक्ष लेते हुए कहा कि उनको केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच के नतीजों के आधार पर पद से हटा दिया जाना चाहिए।
बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, न्यायमूर्ति सीकरी और समिति के अन्य सदस्य के रूप में लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हुए, जिन्होंने बहुमत के फैसले का विरोध किया।
बैठक के तुरंत बाद वर्मा को अग्निशमन सेवा का महानिदेशक नियुक्त किया गया। बतौर सीबीआई प्रमुख वर्मा का कार्यकाल इस महीने के आखिर में समाप्त हो रहा था।
सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के साथ वर्मा का विवाद सार्वजनिक होने पर उनको अनौपचारिक रूप से 23 अक्टूबर की मध्यरात्रि को एजेंसी के प्रमुख पद से हटा दिया गया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस आधार पर मंगलवार को उनको फिर से बहाल कर दिया कि सरकार चयन समिति के बगैर सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति की अवधि में परिवर्तन नहीं कर सकती है।
प्रधानमंत्री, लोकसभा में सबसे बड़े दल के नेता और भारत के प्रधान न्यायाधीश समिति के सदस्य हैं।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने न्यायमूर्ति सीकरी को समिति की बैठक में हिस्सा लेने के लिए अपना प्रतिनिधि नामित किया था।
–आईएएनएस