नई दिल्ली, 15 मई। आत्मनिर्भर भारत और कोरोना वायरस लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित आर्थिक पैकेज के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को घोषणाओं की तीसरी किश्त जारी की।
वित्त मंत्री ने कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों के लिए 11 अहम घोषणाएं की। खेती से जुड़े आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का फंड दिया गया है। इसके अलावा किसानों को उनके उत्पाद की सही कीमत दिलाने के लिए तीन सुधारों का ऐलान भी किया गया है। वित्त मंत्री ने कुल डेढ़ लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया।
लॉकडाउन में 74 हजार करोड़ फसल की खरीद
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान किसानों के लिए कई कदम उठाए गए। एमएसपी के रूप में फसल खरीदी की एवज में किसानों को 74 हजार 300 करोड़़ रुपए और पीएम किसान के माध्यम से 18 हजार 700 करोड़ रुपए दिए गए हैं। पीएम फसल बीमा योजना के तहत 6400 करोड़ रुपए का मुआवाजा दिया गया है। लॉकडाउन के दौरान दूध की डिमांड 20-25 प्रतिशत घट गई थी, इसलिए सरकार ने 11 करोड़ लीटर अतिरिक्तदूध की खरीद की। इस पर 4100 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
कृषि के आधारभूत ढांचे के लिए 1 लाख करोड़ रुपए
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार, अनाज भंडारण, कोल्ड चेन और अन्य कृषि आधारित आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। कृषि उत्पादक संघ, कृषि स्टार्टअप आदि का भी इसका लाभ होगा।
खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए 10 हजार करोड़ रुपए
माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज (एमएफई) के फॉर्मलाइजेशन के लिए 10 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इससे देश के अलग-अलग हिस्सों के उत्पादों को ब्रांड बनाया जाएगा। इससे लगभग 2 लाख खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां लाभान्वित होंगी। इससे जुड़े लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ंगे। जैसे बिहार का मखाना, जम्मू कश्मीर का केसर, नॉर्थ ईस्ट का बंबू शूट, यूपी का आम आदि।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लिए 20 हजार करोड़ रुपए
पीएम मतस्य संपदा योजना के लिए 20 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसके वैल्यू चेन में मौजूद कमियों को दूर किया जाएगा।11 हजार करोड़ रुपए समुद्री मत्स्य पालन और 9 हजार करोड़ रुपए इसका आधारभूत ढांचा तैयार करने पर खर्च होंगे। इससे अगले 5 साल में मतस्य उत्पादन 70 लाख टन बढ़ेगा। इससे 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा और निर्यात दोगुना होकर 1 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा।
53 करोड़ पशुओं का टीकाकरण होगा
नेशनल एनिमल डिजीजी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत मुंहपका-खुरपका बीमारी से बचाने के लिए जानवरों को वैक्सीन लगाया जाएगा। इस पर 13,343 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस योजना के तहत 53 करोड़ पशुओं को टीका लगाया जाएगा। अभी तक 1.5 करोड़ गाय और भैसों को टीका लगाया गया है। इससे दूध उत्पादन में वृद्धि होगी और उत्पादकों की गुणवत्ता बेहतर होगी।
पशुपालन में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए 15 हजार करोड़
पशुपालन में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए 15 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इससे अधिक दूध उत्पादन होगा और प्रोसेसिंग यूनिट आदि लगाए जाएंगे।
हर्बल खेती के लिए 4 हजार करोड़ रुपए
करीब 10 लाख हैक्टैयर में हर्बल खेती के लिये 4 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इससे किसानों को 5 हजार करोड़ रुपए की आय होगी। इनमें से 800 हेक्टयर की खेती गंगा के दोनों किनारों पर की जाएगी।
मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपए
मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इससे 2 लाख मधुमक्खी पालकों को लाभ होगा और उपभोक्ताओं को बेहतर शहद मिलेगा।
कृषि उत्पाद कीमत और गुणवत्ता
किसानों के लिए सुविधाजनक ऐसा कानूनी ढांचा बनाया जाएगा, जिसके तहत उसे निश्चित आय हो। जोखिम रहित खेती और गुणवत्ता मानकीकरण किया जाएगा। किसान बड़े खुदरा व्यापारी, निर्यातकों के साथ पारदर्शिता के साथ काम कर सकेंगे।
‘टॉप’ में अब सब्जियां भी, 500 करोड़ का प्रावधान
इस योजना के तहत 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। TOP पहले यह टमाटर, आलू और प्याज के लिए था लेकिन अब अन्य सभी फल और सब्जियों के लिए लागू किया जाएगा। जो खाद्य पदार्थ नष्ट हो जाते थे और दबाव में कम मूल्य में बेचना पड़ता है। इस योजना के तहत सभी फल सब्जियों को लाने से 50 फीसदी सब्सिडी मालभाड़े और 50 फीसदी स्टोरेज, कोल्ड स्टोरेज के लिए दी जाएगी।
किसान जहां चाहें वहां बेच सकेंगे उत्पाद
किसान को अभी एपीएमसी लाइसेंस धारकों को ही अपना उत्पाद बेचना पड़ता है। किसानों को अपने उत्पाद की सही कीमत मिले और दूसरे राज्यों में जाकर भी उत्पाद बेच सकें, उसके लिए कानूनी में बदलाव किया जाएगा। एक केंद्रीय कानून के तहत उन्हें किसी भी राज्य में अपना उत्पाद ले जाकर बेचने की छूट होगी।
आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन
कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पार्धा और निवेश बढ़ाने के लिए 1955 के आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव किया जाएगा। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। किसानों को कम दाम पर उत्पाद बेचना पड़ता था। तिलहन, दलहन, प्याज, आलू को अनियमित किया जाएगा ताकि किसानों को लाभ मिल सके। आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के बाद प्रसंस्करण करने वालों तथा मूल्य श्रृंखला के अन्य भागीदारों पर भंडारण सीमा लागू नहीं होगी। राष्ट्रीय आपदा, भुखमरी जैसी आपात स्थितियों में ही भंडारण सीमा रहेगी।